10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस पर विशेष –
भारत विविधता में एकता का प्रतीक है, और इस एकता को हिंदी भाषा सशक्त रूप से जोड़ती है। हिंदी दिवस, जो हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है, हमें हमारी मातृभाषा के महत्व, गौरव और इसकी सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाता है। इस दिन का उद्देश्य हिंदी को न केवल भारत के प्रशासनिक और सामाजिक जीवन में मजबूत बनाना है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना भी है।
हिंदी दिवस का इतिहास
1949 में, संविधान सभा ने 14 सितंबर को हिंदी को भारतीय गणराज्य की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया। इसी उपलक्ष्य में 1953 से हर साल हिंदी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।
• राजभाषा के रूप में हिंदी का चयन क्यों?
• हिंदी सबसे अधिक बोली जाने वाली भारतीय भाषाओं में से एक है।
• यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है, जो सरल और वैज्ञानिक मानी जाती है।
• हिंदी भारतीय संस्कृति, साहित्य और लोकजीवन का आधार है।
हिंदी: पहचान और चुनौती
(i) हिंदी का विस्तार
हिंदी न केवल भारत में बल्कि विश्व के अनेक देशों में बोली और समझी जाती है। फिजी, मॉरीशस, गुयाना, नेपाल, और त्रिनिदाद जैसे देशों में यह प्रवासी भारतीय समुदायों के माध्यम से जीवंत है।
(ii) वर्तमान स्थिति
• सफलताएं:
• हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।
• डिजिटल युग में हिंदी सामग्री की मांग तेजी से बढ़ रही है।
• हिंदी साहित्य, सिनेमा, और समाचार पत्रों का वैश्विक प्रभाव है।
• चुनौतियां:
• क्षेत्रीय भाषाओं और अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव।
• शहरीकरण और आधुनिक शिक्षा प्रणाली में हिंदी के प्रति घटती रुचि।
हिंदी दिवस का महत्व
(i) भाषा का संरक्षण और विकास
हिंदी दिवस का मुख्य उद्देश्य भाषा के प्रति जागरूकता और गर्व पैदा करना है। यह दिन सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा देता है।
(ii) साहित्य और संस्कृति का उत्थान
हिंदी साहित्य में प्रेमचंद, महादेवी वर्मा, दिनकर, और बच्चन जैसे रचनाकारों ने हिंदी को अद्वितीय ऊंचाई पर पहुंचाया। हिंदी दिवस हमें उनके योगदान को याद करने और साहित्य को समृद्ध बनाने का अवसर देता है।
हिंदी का भविष्य: संभावनाएं और आवश्यकताएं
(i) शिक्षा और तकनीक का सहयोग
• राष्ट्रीय शिक्षा नीति (2020) ने क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिक शिक्षा का माध्यम बनाने का प्रावधान किया है।
• हिंदी को तकनीकी विकास, एआई, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के साथ जोड़कर अधिक प्रासंगिक बनाया जा सकता है।
(ii) हिंदी का वैश्विकरण
• भारत की बढ़ती आर्थिक और राजनीतिक शक्ति के साथ, हिंदी का वैश्विक स्तर पर प्रभाव बढ़ रहा है।
• विदेशों में हिंदी पाठ्यक्रमों की बढ़ती मांग इस बात का प्रमाण है।
(iii) जनभागीदारी
हिंदी दिवस केवल एक औपचारिक आयोजन न रहकर एक जनांदोलन बने। हर नागरिक को हिंदी के प्रचार-प्रसार में अपनी भूमिका निभानी होगी।
हिंदी दिवस केवल एक तिथि नहीं, बल्कि हमारी भाषा, संस्कृति, और पहचान के प्रति सम्मान का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना और अपनी भाषा पर गर्व करना हमारी जिम्मेदारी है।
हिंदी का उत्थान न केवल भाषा का विकास है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और विचारधारा को समृद्ध करने की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। आइए, इस हिंदी दिवस पर हम सभी अपनी मातृभाषा को सहेजने और आगे बढ़ाने का संकल्प लें।
“हिंदी है, तो हम हैं; हिंदी के बिना हम अधूरे हैं।”
मोहित सिंगला-तपा ।