विदेशी छात्रों के लिए कनाडा सरकार ने नियम सख्त करने के साथ ही कालेज-कैंपसों पर भी कसा शिकंजा
लुधियाना 2 अगस्त। पहले कनाडा में स्टडी वीजा और पीआर के नियम लचीले होने का सीधा असर पंजाब में देखने को मिल रहा था। खासकर हायर-एजुकेशन हासिल करने के नाम पर हर साल बड़ी तादाद में पंजाबी युवा कनाडा जा रहे थे। नतीजतन, सूबे के उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थानीय छात्रों की संख्या में तेजी से गिरावट आने लगी थी। खैर, अब कनाडा की ट्रूडो सरकार ने पढ़ाई के लिए आने वाले विदेशी स्टूडेंट्स को लेकर कड़े नियम बना दिए हैं।
कनाडा सरकार के शिकंजा कसने का असर : कनाडा की सरकार ने वहां के कॉलेजों पर भी एक तरह से शिकंजा कस दिया है। पहले से तुलना करें तो कनाडा ने इस साल 35 फीसदी स्टूडेंट्स की कटौती कर दी। जबकि कई निजी कॉलेजों द्वारा कैंपस खोलने पर भी पाबंदी लगा दी। नतीजा यह रहा कि कनाडा सरकार के इस एक्शन के बाद वहां कई कॉलेजों के कैंपस खाली हो गए। बड़ी तादाद में पंजाब से गए स्टूडेंट्स अब वापस लौट रहे हैं। यहां गौरतलब पहलू यह है कि इस बदलाव से पंजाब के हायर एजुकेश्नल इंस्टिट्यूट को एक आस जगी है।
स्टूडेंट्स के जाने की रफ्तार घटी : भले ही कनाडा से लौटने वाले स्टूडेंट यहां के कालेजों में फिर से दाखिल नहीं ले रहे, लेकिन यहां से स्टूडेंट्स का वहां जाने की रफ्तार जरुर धीमी पड़ने लगी। ऐसे में सूबे के स्टूडेंट्स रोजगार हासिल करने के लिए मजबूरन यहीं उच्च शिक्षा हासिल करेंगे। पहले तो हालात इतने चिंताजनक हो गए थे कि पंजाब के कॉलेज और डीम्ड यूनिवर्सिटी के नुमाइंदे दूसरे राज्यों में जाकर छात्रों को यहां पढ़ने के लिए लुभाने लगे थे। साथ ही राज्य के स्कूलों में भी जाकर स्टूडेंट्स की काउंस्लिंग करते थे कि उनके संस्थानों में विदेश जैसी ही सुविधाओं के अलावा जॉब-प्लेसमेंट के मौके मिलेंगे।
कनाडा में बढ़ा था एजेंटों का गोरखधंधा : पहले पंजाब के ही तमाम नामी एजेंटों ने कनाडा के कॉलेजों में कैंपस खोल दिए थे। जिनके जरिए वे भारतीय छात्रों, खासकर पंजाबियों को वहां वर्क परमिट व पीआर दिलाने का ‘गोरखधंधा’ चला रहे थे। अब नए नियमों के मुताबिक कैंपस कॉलेज से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को वर्क परमिट नहीं मिल सकते हैं। इसके अलावा वहां की सरकार ने विदेशी विद्यार्थियों के लिए स्टूडेंट वीजा की तादाद घटाकर 3.60 लाख कर दी। यह पिछले साल की तुलना में सीधेतौर पर 35 फीसदी कम हो गई। यहां गौरतलब पहलू है कि कनाडा में विदेश स्टूडेंट्स में सबसे ज्यादा भारतीय हैं। फिलहाल इनकी तादाद 2.3 लाख है। जानकारों की मानें तो इनमें भी पंजाबी सबसे ज्यादा हैं। आने वाले दिनों में तो भारतीय छात्रों की तादाद 80 फीसदी तक कम हो सकती है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक हर साल औसतन 1.5 लाख विद्यार्थी कनाडा गए। साल 2013 से 2022 तक कनाडा में पढ़ने वाले भारतीयों की तादाद 260 फीसदी तक बढ़ी।
ज्यादा सख्त हो गए नए नियम : अब कनाडा में नए नियमों के मुताबिक विदेशी विद्यार्थियों में सिर्फ उन्हीं जीवनसाथी को ओपन वर्क परमिट मिलेगा, जो मास्टर्स या डॉक्टरेट प्रोग्राम कर रहे हैं। ग्रेजुएट या कॉलेज के छात्रों के स्पाउस के लिए यह सुविधा नहीं मिलेगी। इसी सुविधा के चलते वहां जाने के लिए खासकर पंजाब में तो फर्जी शादियों का चलन भी खूब बढ़ा था। स्टूडेंट वर्क परमिट के लिए अब एक नए दस्तावेज अटेस्ट होने वाला लैटर है। यह कनाडा की स्टेट जारी करेगी, जिसमें आवेदक को ठहरने की मंजूरी होगी। वहां की स्टेट गवर्नमेंट ही कॉलेज को सीट-कोटा एलॉट करेगी। ये सीटें भी कालेज में बुनियादी ढांचे, हॉस्टल आदि देखकर तय होंगी। पहले कनाडा में लेटर ऑफ इंटेंट से ही दाखिले मिल जाते थे, अब प्रोविंसनल अटेस्टेशन लैटर से दाखिला मिलेंगे। अगर यह लैटर नहीं होगा तो वर्क परमिट नहीं मिलेगा। जीआईसी भी 10 से बढ़ाकर 20 हजार डॉलर कर दी है। इस साल जनवरी-फरवरी में कनाडा सरकार ने भारतीय विद्यार्थियों को करीब 45 हजार स्टडी परमिट ही दिए गए थे। जबकि मार्च में कटौती के चलते करीब 4 हजार ही परमिट दिए। हालांकि माहिरों की नजर में कनाडा सरकार के नए फरमान से वहां की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
कनाडा में और भी चुनौतियां बढ़ीं : कभी पढ़ाई के लिए आसानी से कनाडा जाकर बस चुके लोगों की मानें तो अब वहां पहले जैसे हालात नहीं हैं। वहां नौकरी मिलना आसान नहीं है, घरों के किराए भी महंगे हो गए हैं। बैंकों की ब्याज दरें बढ़ी हैं। जबकि वहां अपराध-दर भी बढ़ी है।