तीन MLA के समर्थन वापसी से बिगड़ा विधानसभा का गणित !
चंडीगढ़, यूटर्न/07 मई। हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बीच एक नया राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने मंगलवार को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी। सुबह के समय इन विधायकों की संख्या चार थी और शाम को तीन रह गई।
निर्दलीय विधायकों ने कहा कांग्रेस को देंगे समर्थन : पूंडरी के निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन चरखी दादरी के निर्दलीय विधायक सोमवीर सांगवान और नीलोखेड़ी के निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर ने मंगलवार शाम को रोहतक पहुंचकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात की और लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी। बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद के भी इन विधायकों के साथ आने का दावा किया गया था, लेकिन शाम को दौलताबाद नहीं आए।
औपचारिक तौर विधानसभा स्पीकर को नहीं दिया कोई लिखित पत्र
इन तीनों निर्दलीय विधायकों ने न सिर्फ कांग्रेस का समर्थन करने की घोषणा की, बल्कि हुड्डा की मौजूदगी में यह भी कह दिया कि उन्होंने भाजपा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालांकि अभी तक इन तीनों विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने का अपना लिखित पत्र नहीं दिया है। फिर भी घोषणा से सरकार पर दबाव जरूर बढ़ गया है।
विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में सरकार
ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार विधायकों के संख्या बल के हिसाब से अल्पमत में आ गई, लेकिन संवैधानिक तौर पर सरकार को अगले चार माह तक किसी तरह का खतरा नहीं है। पूर्व मुख्मयंत्री मनोहर लाल के स्थान पर नायब सिंह सैनी जब मुख्यमंत्री बने थे, तब 22 फरवरी 2024 को भाजपा सरकार के विरुद्ध कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। उस समय निर्दलीय विधायकों के सहयोग और समर्थन के चलते भाजपा बहुमत साबित करने में कामयाब हो गई थी।
जेजेपी के कुछ विधायकों ने भी भाजपा सरकार को अपना समर्थन दिया था, जिस कारण भाजपा व जेजेपी का गठबंधन टूटने के बावजूद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की सरकार को कोई खतरा नहीं पहुंचा था। संवैधानिक दृष्टि से 22 फरवरी के बाद से अगले छह माह तक नायब सिंह सैनी की सरकार के विरुद्ध कोई अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता।
लागू हो राष्ट्रपति शासन-भूपेंद्र सिंह हुड्डा : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि नेता सत्ता के साथ जाना चाहते हैं लेकिन निर्दलीय विधायक कांग्रेस के साथ आ रहे हैं। इससे साबित होता कि कांग्रेस की देश और प्रदेश में सरकार बनने जा रही है। भाजपा जनता में अपना विश्वास खो चुकी है। विधायकों ने सही समय पर सही फैसला लिया है। जनभावना के साथ उनका फैसला लिया गया है। भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि अल्पमत की सरकार है राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए।
22 अगस्त तक सैनी सरकार को कोई खतरा नहीं : इस हिसाब से अल्पमत में होने के बावजूद सरकार को 22 अगस्त तक किसी तरह का खतरा नहीं है। हरियाणा में चूंकि सितंबर-अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं तो ऐसे में सरकार अगस्त में भी विधानसभा भंग कर चुनाव कराने की घोषणा कर सकती है। भाजपा के रणनीतिकारों ने यदि विधानसभा भंग नहीं की और कांग्रेस सरकार के विरुद्ध किसी तरह का अविश्वास प्रस्ताव लेकर आती है तो जेजेपी के 10 असंतुष्ट विधायकों में से पांच भाजपा के साथ हैं और दो का प्रेम कांग्रेस के प्रति पनप रहा है।