हरियाणा का हाईप्रोफाइल आईपीएस सुसाइड केस में लुधियाना से जुड़े तार, डीजीपी शत्रुजीत समेत 15 से ज्यादा वरिष्ठ प्रशासनिक अफसरों पर एफआईआर

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राजदीप सिंह सैनी
लुधियाना/चंडीगढ़ 10 अक्टूबर। हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। आईपीएस कुमार के पास से बरामद हुए सुसाइड नोट ने कई बड़े अफसरों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी गई है। अब इस सुसाइड केस के तार लुधियाना से जुड़ गए हैं। दरअसल, इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस द्वारा 3 आईएएस और 12 आईपीएस अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जिन आईपीएस अफसरों पर यह कार्रवाई हुई, उसमें एक आईपीएस अमिताभ सिंह ढिल्लों भी शामिल है। अमिताभ सिंह ढिल्लों का लुधियाना से अहम नाता है। दरअसल अमिताभ ढिल्लों की और से अपनी एजुकेशन यहीं से की है। जबकि उनके माता-पिता भी इसी शहर में अहम पद्दों पर तैनात रह चुके हैं। आईपीएस ढिल्लों की पत्नी भी बड़े सरकारी पद पर तैनात है। आईपीएस अमिताभ ढिल्लों का नाता लुधियाना से होने के चलते इस सुसाइड केस में नाम सामने आने पर शहर में लगातार चर्चाएं छिड़ गई है।

कॉन्वेंट स्कूल से की 10वीं पास, मां थी कॉलेज प्रिंसिपल
जानकारी के अनुसार अमिताभ ढिल्लों 1997 बैच के आईपीएस अफसर है। उनकी और से सराभा नगर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाई की है। उन्होंने साल 1985 में अपनी 10वीं क्लास की पढ़ाई पूरी की है। जबकि उनकी मां सरकारी गावर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स में प्रिंसिपल थी और उनके पिता सरकारी गावर्नमेंट कॉलेज लड़कों में लैक्चरर थे। चर्चा है कि वैसे आईपीएस ढिल्लों लुधियाना के गांव दाद के रहने वाले थे। लेकिन उनकी स्टडी व परिवार की जॉब के चलते वह शक्ति नगर में रहते थे।

आईपीएस ढिल्लो पर साजिश रचने के आरोप
1997 बैच के आईपीएस अमिताभ ढिल्लों पर भी स्वर्गीय वाई. पूरन कुमार द्वारा सुसाइड नोट में गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि आईपीएस अमिताभ ढिल्लों जो एडीजीपी रहे, ने मेरे खिलाफ आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के लिए कार्रवाई शुरू करने की साजिश रची। वह नवंबर 2023 में आईजीपी टेलीकॉम के पद पर मेरे स्थानांतरण के पीछे मुख्य भूमिका में थे। उत्पीड़न और प्रताड़ना का खेल डीजीपी कार्यालय में वर्षों से जारी है। ढिल्लों ने शरारतपूर्ण और दुर्भावनापूर्ण तरीके से वेतन बचत के आधार पर संदिग्ध प्रविष्टियों के बारे में पूछताछ भी की, केवल मुझे सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और मेरी बेइज्जती करने के लिए।

पत्नी के बयानों पर देर शाम हुआ मामला दर्ज
जानकारी के मुताबिक वाई. पूरन कुमार की पत्नी व आईएएस अमनीत पी. कुमार द्वारा औपचारिक शिकायत दर्ज कराने के 24 घंटे बाद चंडीगढ़ पुलिस ने कल देर शाम एक एफआईआर दर्ज की। जिसमें आत्महत्या के लिए उकसाने और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं लगाई गईं। सैक्टर 11 के एसएचओ को सौंपी शिकायत व दिवंगत अधिकारी के सुसाइड नोट के आधार पर दर्ज की गई एफआईआर में कई अफसरों के नाम शामिल है। मामला हाईप्रोफाइल होने के कारण गृह मंत्रालय से औपचारिक परामर्श के बाद यह एफआईआर दर्ज की गई।

डीजीपी समेत 15 अफसरों के नाम शामिल
सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस ने 15 अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। जिसमें मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, पूर्व मुख्य सचिव टी.वी.एस.एन. प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा और आईपीएस अधिकारियों में डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व डीजीपी मनोज यादव, पूर्व डीजीपी पी.के. अग्रवाल, प्रिंसिपल सेक्रेटरी कला रामचंद्रन, एडीजीपी संदीप खिर्वर, एडीजीपी अमिताभ ढिल्लों, एडीजीपी संजय कुमार, एडीजीपी माता रवि किरण, आईपीएस शिवास कविराज, आईजी पंकज नैन, आईजी कुलविंदर सिंह और रोहतक के एसपी नरेंद्र बिजरनिया के नाम शामिल है। इन सभी के नाम सुसाइड नोट में लिखे गए हैं।

पत्नी की अपील के बाद सीएम सैनी मिलने पहुंचे
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लिखे अपने विस्तृत पत्र में मृतक आईपीएस की पत्नी अमनीत कुमार ने तत्काल कानूनी कार्रवाई का आग्रह किया था। साथ ही पति के सुसाइड नोट को मृत्यु पूर्व बयान और ज़िम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ महत्वपूर्ण सबूत बताया था। उन्होंने लिखा था, यह मामला सिर्फ़ एक अधिकारी की मौत का नहीं, बल्कि न्याय, समानता और क़ानून के शासन में विश्वास की परीक्षा है। गौरतलब है कि मौके की नजाकत को समझते हुए सीएम सैनी खुद अमनीत कुमार से मिलने पहुंचे। उधर, इस मामले ने अनुसूचित जाति समुदाय भी पीड़ित परिवार के साथ एकजुट हो गया था। इन संगठनों के डेलीगेशन ने भी सीएम सैनी से मुलाक़ात कर सुसाइड नोट में नामित लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर उन्हें निलंबित करने की मांग की थी।
आरोपी अधिकारियों को अस्थायी रूप से पद से हटाए
एचसीएस एसोसिएशन ने सीएम को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पूरन कुमार के सुसाइड केस को अत्यंत गंभीरता, संवेदनशीलता और निष्पक्षता के साथ निपटाया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि बिना किसी देरी के FIR दर्ज करके नए आपराधिक कानूनों के अनुसार निष्पक्ष, पारदर्शी और समयबद्ध जांच हो। न्याय हित में, एसोसिएशन ने यह सुझाव भी दिया कि जूनियर जांच अफसरों को किसी तरह के दबाव से बचाने के लिए आरोपी अधिकारियों को अस्थायी रूप से उनके पद से हटाया जाए।

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