राज्य की नवीनतम पर्यावरण योजना का अनावरण पर मुख्यमंत्री सैनी दावा कर चुके
चंडीगढ़, 23 सितंबर। हरियाणा की नवीनतम पर्यावरण योजना का अनावरण करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने पराली जलाने को वायु गुणवत्ता में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक बताते हुए साल 2030 तक इसे समाप्त करने का दावा किया।
सैनी ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु संकट के लिए अक्सर पराली जलाने को ज़िम्मेदार ठहराया जाता है। बेशक पराली जलाना सबसे बड़े पर्यावरणीय संकटों में से एक है और हरियाणा इस तथ्य से भली-भांति परिचित है। एक दशक से भी अधिक समय से हम इस समस्या के समाधान के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं। राज्य सरकार ने 2025 के लिए एक कार्य योजना तैयार की है। जिसमें फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की खरीद के लिए लगभग 200 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान भी शामिल है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि हरियाणा 2030 तक पराली जलाने से मुक्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा पिछले नौ वर्षों में पंजाब को पीछे छोड़कर 90 प्रतिशत पराली जलाने की समस्या से मुक्त हो गया। राज्य 2023 की तुलना में 2024 में पराली जलाने की घटनाओं में 39 प्रतिशत की कमी आई।
वहीं, हरियाणा के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने कहा, हरियाणा के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि आज किसान पराली जलाने से होने वाली समस्याओं से अवगत हैं। लगभग 10 साल पहले हमने किसानों को समझाने और मनाने की कोशिश शुरू की थी और आज किसान हमारे पास समाधान की तलाश में आ रहे हैं। मानसिकता में बदलाव से काफी बदलाव आया है और हरियाणा जल्द ही पराली जलाने से मुक्त राज्य बन जाएगा।
इस साल मई में, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग दिल्ली ने पड़ोसी राज्यों को पराली जलाने पर रोक लगाने के निर्देश जारी किए थे। इसमें 19 सूत्री कदम सूचीबद्ध किए थे, जो पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को इस साल पराली जलाने की समस्या को पूरी तरह से खत्म करने के लिए उठाने चाहिएं। तीनों राज्यों को दिए अपने आदेशों में आयोग निर्देश दिया कि ये राज्य हर गांव के खेत का नक्शा बनाएं, 50 से ज़्यादा किसानों के साथ एक नोडल अधिकारी नियुक्त करें। पुरानी फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों को हटाएं। छोटे व सीमांत किसानों के लिए सीआरएम मशीनों को किराया-मुक्त बनाएं।