अब परिवहन विभाग में पुलिस अफसर नहीं होंगे, एमवीओ से इंस्पेक्टरों की छुट्टी, लगेंगे एचसीएस अफसर
हरियाणा 31 दिसंबर। अब सूबे का परिवहन विभाग जल्द ही पुलिस तंत्र से छुट्टी पा लेगा। विधायक अनिल विज के परिवहन मंत्री बनने के बाद लंबे समय से विभाग में रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी और अन्य पदों पर तैनात पुलिस अफसरों व कर्मियों को हटाने की कवायद तेज कर दी है। जानकारी के मुताबिक पहले चरण में मोटर व्हीकल अफसर के तौर पर तैनात पुलिस इंस्पेक्टरों को वापस कर दिया गया है। विभाग के नए प्रस्ताव में पहले की तरह विभागीय कर्मियों की ही तैनाती की जाएगी। जबकि आरटीएम के पदों पर एचसीएस अफसरों की तैनाती होगी।
यहां काबिलेजिक्र है कि मौजूदा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मुख्यमंत्री रहते हुए परिवहन विभाग में आरटीए के पदों पर गैर एचसीएस अफसर लगाए थे। ऐसे में उनका मामला खत्म करने के लिए फिर से नियमों में बदलाव करना पड़ेगा। परिवहन मंत्री अनिल विज के चीफ सेक्रेटरी को लिखे लैटर के बाद आईएए, अफसरों की ट्रांसफर लिस्ट में परिवहन विभाग के प्रधान सचिव आईपीएस अफसर नवदीप सिंह विर्क की छुट्टी कर दी गई। उनको अब खेल विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। परिवहन विभाग में उनके स्थान पर सीनियर आईएएस अफसर अशोक खेमका को एडिशनल चीफ सेक्रेटरी लगाया गया।
परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार की शिकायत आने के बाद खट्टर सरकार में आरटीए के पदों पर गैर एचसीएस अफसरों की तैनाती का ताना-बाना तैयार किया गया था। दरअसल विजिलेंस ब्यूरो ने आरटीए के पदों पर लगे कई एचसीएस अफसरों को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया था। उस दौरान परिवहन विभाग की कमान वरिष्ठ आईपीएस अफसर शत्रुजीत कपूर के हाथों में थी।
इसलिए, कपूर ने नया प्रयोग करते हुए आरटीए के पदों पर एचसीएस के अलावा एचपीएस व अन्य महकमों के क्लास वन अफसरों की तैनाती का प्रस्ताव तैयार किया था। यही नहीं, एमवीओ के पदों पर पुलिस इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर की तैनाती की गई थी। खट्टर के मुख्यमंत्री रहते हुए भी विज काफी चर्चा में रहे थे। भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल 2014 से 2019 के दौरान विज ने अपने महकमों में सीएमओ के हस्तक्षेप पर नाराजगी जताई थी। उस दौरान विज की आपत्ति के बाद मुख्यमंत्री को सीएमओ के एक अफसर से स्वास्थ्य महकमा वापस लेना पड़ गया था।
खट्टर ने साल 2020 में विज से सीआईडी विभाग का चार्ज वापस ले लिया था। इसके बाद साल 2021 में विज से शहरी स्थानीय निकाय विभाग वापस ले लिया गया। इसके अलावा पूर्व डीजीपी मनोज यादव की एक्सटेंशन को लेकर भी दोनों में विवाद हो गया था।
————