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कर्ज में डूबा हरियाणा, क्या पूरी हो पाएगी कांग्रेस की चुनावी गांरटी

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हरियाना/यूटर्न/19 सितंबर: विधानसभा चुनाव में जीत के लिए चुनावी चाशनी में लपेटकर जारी की गई सात गांरटियों को कर्ज तले डूबे हरियाणा प्रदेश में लागू करना इतना आसान नहीं है, बल्कि इनको लागू करना बड़ी चुनौती है। अगर सभी सात वादों को सरकार पूरा करती है तो इससे हरियाणा पर सालाना हजारों करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। महिलाओं को 2 हजार रुपये प्रति माह, बुढ़ापा पेंशन 6 हजार रुपये, कर्मचारियों को ओपीएस, 300 यूनिट मुफत बिजली, 25 लाख रुपये तक निशुल्क इलाज करने पर ही हर माह करोड़ों रुपये का असर पड़ेगा। खुद अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ इन गारंटियों पर सवाल उठा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई भी सरकार ऐसा करती है तो प्रदेश में अन्य चीजों की कीमतें बढ़ेंगी और महंगाई अनियंत्रित हो सकती है। किसी भी सूरत में सातों गारंटी पूरी करना असंभव है।
ओपीएस और मुफत बिजली से बढ़ेगा बोझ
वृद्धावस्था, दिव्यांग और विधवा पेंशन तीन हजार रुपये से बढ़ाकर 6 हजार करने पर प्रदेश पर हर महीने करीब 988 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। मौजूदा समय में 32.95 लाख लाभार्थियों को पेंशन दी जा रही, 3 हजार रुपये मासिक के हिसाब से यह आंकड़ा करीब 988 करोड़ रुपये बनता है। 6 हजार रुपये पेंशन होने पर सरकार को हर महीने करीब 1977 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। वहीं, 18 से 60 साल के बीच की महिलाओं की बात करें तो एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 18 से 60 साल के बीच करीब 76 लाख महिलाएं हैं। अगर प्रति माह इनको 2 हजार रुपये दिए जाते हैं तो 1575 करोड़ रुपये खर्च होंगे। ओपीएस और 300 यूनिट मुफत बिजली देने पर भी सरकारी खजाने पर करोड़ों रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
500 रुपये में गैस सिलेंडर लागत से भी कम
चंडीगढ़ स्थित डीएवी कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. बिमल अंजुम का कहना है कि कोई भी सरकार इन सात गारंटियों को पूरा करने की स्थिति में नहीं है। हरियाणा पर पहले से 3,17,982 करोड़ रुपये का कर्ज है और सरकार को सालाना 64,044 करोड़ रुपये का भुगतान करना है। 500 रुपये में गैस सिलेंडर देना फिर से असंभव है, यह लागत से भी कम है। वृद्धावस्था, दिव्यांग और विधवा पेंशन बढ़ोतरी की जा सकती है, लेकिन इससे प्रदेश पर और बोझ बढ़ेगा। प्रो. बिमल के अनुसार प्रदेश की प्रत्येक महिला को प्रति माह 2000 रुपये का भुगतान भी असंभव है। उन्होंने कहा कि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह राशि प्रत्येक महिला को दी जाएगी या केवल बीपीएल श्रेणी में आने वाली महिलाओं को। रोजगार उपलब्ध कराना अच्छा है, लेकिन अगर यह सार्वजनिक क्षेत्र में हो सके तो। जनवरी 2026 में नया वेतन आयोग आ रहा है और सरकार 8वां वेतन आयोग देने की स्थिति में होगी इस पर अभी संदेह है।
ओपीएस देना संभव नहीं
300 यूनिट तक मुफत बिजली देने की गारंटी को उन्होंने पूरी तरह से आधारहीन बताया। उन्होंने कहा कि यह कैरी कॉस्ट है और हरियाणा में पहले से ही इसकी कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में 100 गज के प्लॉट उपलब्ध कराना तो संभव है, लेकिन शहरों में यह उपलब्ध कराना असंभव है। मांग आधारित बाजार तैयार किए बिना सभी फसलों पर एमएसपी प्रदान करना सरकार के लिए असंभव है। इससे फसलों की कीमतें बढ़ेंगी और समाज के कमजोर वर्ग को नुकसान होगा। सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस देने पर प्रो. बिमल ने कहा कि यह संभव नहीं है, क्योंकि आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है। निष्कर्ष के तौर पर कहूं तो इनमें से कुछ ही चीजें लागू की जा सकती हैं, उसके लिए भी प्रदेश को कर्ज ही लेना पड़ेगा, अगर कर्ज नहीं लिया तो मानकर चलना प्रदेश के अन्य लोगों को या तो अतिरिक्त टैक्स देना पड़ेगा या फिर खाद्य समेत अन्य चीजों के रेट में बढ़ोतरी होगी।
सभी गारंटी पर गहराई से काम किया
गीता भुक्कल, अध्यक्ष, मेनिफेस्टो कमेटी, कांग्रेस ने कहा कि हमने सातों गारंटी पर पूरी गहराई से काम किया है और वित्तीय असर देखने के बाद ही ये हाईकमान ने जारी की है। एक-एक गारंटी पर एक्सपर्ट से राय ली गई है, हरियाणा में इनको लागू करने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। दूसरा, बुढ़ापा पेंशन में बढ़ोतरी पहले की सरकार भी कर ही रही है, 300 यूनिट बिजली मुफ्त दूसरे राज्य भी कर रहे हैं और महिलाओं को पेंशन हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य भी दे ही रहे हैं। ओपीएस कांग्रेस का वादा है, इसमें भी अभी प्रदेश पर लागू करते ही कोई ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हिमाचल प्रदेश ने इसे लागू किया है। वहीं, 100-100 गज के प्लाट पहले से ही दिए जा रहे हैं और क्रीमीलेयर की आय सीमा 2 लाख बढ़ाई है। कई बार स्टडी के बाद ही ये गारंटी जारी की हैं और हमारा वादा है इसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। कांग्रेस के घोषणापत्र को तैयार करने के लिए हर वर्ग के लिए अलग कमेटी बनाई गई थी। इन कमेटियों ने किसान, जवान, बेरोजगार, महिलाएं, व्यापारी, दुकानदार, विद्यार्थी, मजदूर, कर्मचारी, कच्चे कर्मचारियों, ग्रामीण, शहरी, झग्गी वासियों समेत हर वर्ग से उनकी समस्याओं और मांगों के बारे में जाना। उन सबकी समस्याओं के समाधान कांग्रेस के घोषणापत्र में देखने को मिलेंगे।
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