चंडीगढ़, 20 जून-हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य एक ऐसा शासन मॉडल बनाना है जो सुरक्षा या जवाबदेही से समझौता किए बिना उद्योगों को बढ़ावा दे। लालफीताशाही को कम करके, डिजिटल समाधानों को अपनाकर, सरकार का लक्ष्य प्रदेश को निवेश और नवाचार के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के तौर पर स्थापित करना है।
मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी की अध्यक्षता में आज यहां हुई उच्च स्तरीय विनियमन समीक्षा बैठक में, नौकरशाही से जुड़ी बाधाओं को कम करने, विनियमों को सरल बनाने और कारोबार करने में सहुलियत को बढ़ावा देने के लिए, इन्हें राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के बनाने के उद्देश्य से एक व्यापक रोडमैप प्रस्तुत किया गया।
गौरतलब है कि हरियाणा ने विनियमन और अनुपालन में कमी करके स्वयं को व्यापार-अनुकूल राज्य के तौर पर स्थापित किया है। सुधारों के इस सफर में क्षमता निर्माण कार्यशालाओं, एमआईएस ओरियंटेड सत्रों और औद्योगिक आउटरीच के माध्यम से हितधारकों के साथ निरंतर जुड़ाव शामिल है। कैबिनेट सचिवालय की हालिया समीक्षा ने विभागों को विनियमन पोर्टल पर डेटा अपलोड करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
हरियाणा श्रम सुधारों में अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। राज्य ने 14 जोखिम वाले उद्योगों में काम करने वाली महिलाओं से पुराने प्रतिबंधों को हटा दिया है। अब सुरक्षा उपायों के साथ गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं की भागीदारी की अनुमति दी गई है। रात्रि पाली में महिलाओं के रोजगार की शर्तों को युक्तिसंगत बनाया गया है, अनिवार्य अनुमतियां हटा दी गई हैं, कोरम की आवश्यकताएं कम की गई हैं और साझा परिवहन और जीपीएस-सक्षम वाहनों जैसे सुरक्षा प्रोटोकॉल पेश किए गए हैं।
इसके अलावा, नौकरी से हटाने, छंटनी करने और किसी इकाई को बंद करने के लिए सरकार से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की सीमा 100 से बढ़ाकर 300 कर्मचारी कर दी गई है। उद्योगों के लिए परिचालन सम्बन्धी लचीलापन बढ़ाने के उद्देश्य से काम के घंटे और ओवरटाइम सीमा बढ़ाने के लिए भी संशोधन प्रस्तावित हैं।
राज्य अपने भूमि उपयोग और निर्माण विनियमों में तत्परता से सुधार कर रहा है। ट्रांजिट-ओरिएंटेड डेवलपमेंट (टीओडी) जोन के बाहर मिक्सड लैंड यूज को बढ़ावा देने के लिए एक नया जोनिंग ढांचा विकसित किया जा रहा है। भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) प्रक्रिया के डिजिटलीकरण से दस्तावेजी आवश्यकताएं और प्रोसैसिंग टाइम कम हो गया है।
उपायुक्तों को एक एकड़ तक के सीएलयू आवेदनों को स्वीकृत करने का अधिकार दिया गया है, जिससे विकेंद्रीकरण को बढ़ावा मिला है। भवन विनियमों के सम्बन्ध में, हरियाणा ने स्व-प्रमाणन और थर्ड-पार्टी प्रमाणन प्रणाली को अपनाया है। एचओबीपीएएस पोर्टल से कम जोखिम वाली इमारतों के लिए आठ दिन की समय-सीमा के अन्दर डिजिटल अनुमोदन हो जाता है।
इन्वेस्ट हरियाणा पोर्टल पूरी तरह से नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम के साथ एकीकृत है। यह पोर्टल पानी और बिजली कनेक्शन सहित व्यवसाय से संबंधित अनुमतियों के लिए सहज डिजिटल सेवाएँ प्रदान करता है। प्रदूषण नियंत्रण स्वीकृतियों को सुव्यवस्थित किया गया है। श्वेत श्रेणी के उद्योगों के लिए स्वतः नवीनीकरण और अन्य के लिए अनुमोदन समय-सीमा कम की गई है।
राज्य थर्ड पार्टी फायर इंस्पेक्शन और फायर एनओसी की दीर्घकालिक वैधता की दिशा में भी काम कर रहा है। जोखिम आधारित अग्नि सुरक्षा अनुपालन मॉडल तैयार करने के लिए एक परियोजना प्रबंधन इकाई (पीएमयू) की स्थापना भी की जा रही है।
जन विश्वास अधिनियम की भावना के अनुरूप, प्रदेश में छोटे-मोटे व्यावसायिक अपराधों को अपराध मुक्त करने और अप्रचलित प्रावधानों को निरस्त करने के लिए 37 विभागों के 231 अधिनियमों की समीक्षा की जा रही है। मुख्य सचिव की देखरेख में उद्योग विभाग इस पहल की अगुवाई कर रहा है।
इसके अतिरिक्त, सभी व्यावसायिक सेवाओं को सिंगल विंडो प्लेटफॉर्म के तहत एकीकृत किया जा रहा है। इसमें विशिष्ट पहचानकर्ता के तौर पर पैन राष्ट्रीय प्रणालियों के साथ एकरूपता सुनिश्चित करता है।
बैठक में नगर एवं ग्राम आयोजना तथा शहरी संपदा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री अपूर्व कुमार सिंह, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त एवं सचिव डॉ. अमित कुमार अग्रवाल तथा विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।