गौरव बख्शी को पूरा भरोसा, वोटर उनकी सोच और जोश का समर्थन कर उनको जीत बख्शेंगे
लुधियाना 15 सितंबर। फिलहाल हरियाणा में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार मुहिम तेज हो गई है। ऐसे में तमाम प्रत्याशियों के बीच करनाल से लगते नीलो खेड़ी विस क्षेत्र से राष्ट्रवादी जनलोक पार्टी (सत्य) के उम्मीदवार गौरव बख्शी खासे चर्चा में हैं। दरअसल वह राज्य के तमाम उम्मीदवारों में सबसे युवा यानि महज 25 साल के हैं। उन्होंने वोटरों को लुभाने वाला नारा ‘हमारी उम्मीद, हमारा गौरव’ दिया है।
अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त युवा राजनेता गौरव जी-जान से प्रचार में जुटे हैं। उन्होंने यूटर्न टाइम से खास बातचीत में तमाम मुद्दों पर सिलसिलेवार बातचीत की। उन्होंने बताया कि वह 9 सितंबर को अपना नामाकंन दाखिल कर चुके थे। उनका चुनाव चिन्ह ‘खाट’ यानि चारपाई है। उनकी पार्टी के अध्यक्ष प्रख्यात राजनेता शेर सिंह राणा हैं। उनका गृह-क्षेत्र नीलोखेड़ी एक कस्बा है, जो करनाल शहर से मात्र 19 किलोमीटर दूर है। नीलोखेड़ी करनाल जिले में एक नगरपालिका समिति है । इसमें 13 वार्ड हैं। यह कस्बा दिल्ली से लगभग 143 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर स्थित है। हमारे विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण आबादी ज्यादा है, वैसे शहरी वोटर भी हैं। इस इलाके में रावड़ी क्षेत्र काफी प्रभावशाली है।
बख्शी कहते हैं कि अनुभव उम्र से नहीं बल्कि संघर्ष से हासिल होते हैं। महज पंद्रह साल की उम्र से इसी संघर्ष के जरिए तमाम किस्म के तजुर्बे हासिल किए। इसीलिए महज दस साल से समाजसेवा के क्षेत्र में रहकर राजनीति की गहरी समझ पैदा हुई। यूनिवर्सिटी में दाखिल होने से पहले ही सरकारों के कामकाज और तमाम राजनीति से जुड़े मुद्दों को देखा, पढ़ा और समझा तो सियासत की काफी हद तक जानकारी हासिल हो चुकी थी। छात्र राजनीति करते हुए लॉ-डिग्री के बाद मुख्य राजनीतिक धारा में आया।
गौरव कहते हैं कि राजनीति में सक्रिय होने का मकसद बिल्कुल साफ था। सत्ता संभालने वाले राजनीतिक दल जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते हैं। लिहाजा जनता के और अपने हकों को हासिल करने के लिए खुद सियासत में उतरना होगा, यह समझ आया। लगभग साढ़े चार साल पहले साथियों ने फैसला किया कि मुझे चुनाव लड़ना चाहिए। मुझे 36 बिरादरियों ने चुनाव लड़ने के लिए आशीर्वाद दिया। कांग्रेस छोड़कर आप में जाने और अब आरजेपी से चुनाव लड़ने को बस टिकट पाने की इच्छा बताने वालों के आरोपों पर उन्होंने कहा कि सबका अपना नजरिया होता है। लोस चुनाव में कांग्रेस का समर्थन इसलिए किया था कि वो बीजेपी की सांप्रदायिक सोच के खिलाफ लड़ रही थी। असल बात ये है कि राष्ट्रीय पार्टियों की पहुंच गांवों तक नहीं है। वे हमारे गांवों से केवल रैलियों में भीड़ जुटाती हैं। उनकी बुनियादी समस्याएं हल नहीं कराती हैं।
अपने चुनावी मुद्दे गिनवाते आरजेपी उम्मीदवार गौरव कहते हैं कि हमारे गांवों में आधे घरों की छतें कच्ची हैं। गांव-शहरों में बेरोजगारी के चलते बेहतर भविष्य की तलाश में युवा विदेश का रुख कर रहे हैं। सरकारी स्कूल बंद कर प्राइवेट स्कूलों पर सरकारों ने फोकस किया है। हम शिक्षा-व्यवस्था को मजबूत करेंगे। चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, रोजगार के साधन उपलब्ध कराएंगे। चुनाव जीतने पर प्राथमिकता गिनवाते उन्होंने कहा कि गांवों में युवाओं को रोजगार मुहैया कराना, हर गांव में लाइब्रेरी खोलना, चौपालों को हाईटेक करना, अपराधों पर अंकुश लगाने को सीसीटीवी कैमरे इंस्टाल कराना और डेवलपमेंट के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे कराना लक्ष्य होगा। आपको ही जनता क्यों चुने, इस पर गौरव ने दोटूक कहा कि बाकी उम्मीदवार अपनी चौधर की लड़ाई लड़ रहे हैं और मैं जनता की चौधर के लिए लड़ रहा हूं। दूसरे नेताओं ने विधानसभा क्षेत्र में जातिवाद का जहर घोला है, उनकी पोल खोलनी है। अपनी पार्टी की कमजोर स्थिति को लेकर तर्क दिया कि पूरे जंगल में आग लगाने को एक चिंगारी बहुत होती है। हम तो 90 में से 10 सीट लड़ रहे हैं।
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