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हरजिंदर सिंह कुकरेजा और हरकीरत कौर ने हिंदू विवाह रजिस्ट्रेशन से आनंद विवाह एक्ट में कराया री-रजिस्ट्रेशन

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कौमी भाइचारे का पैगाम देने वाली शानदार मिसाल

कायम की है एक्टिविस्ट-बिजनेसमैन कुकरेजा ने

 

लुधियाना19 अप्रैल। अपनी यात्राओं और ऑनलाइन मंच से  सामाजिक-सांस्कृतिक वकालत के लिए मशहूर महानगर के चर्चित कुकरेजा दंपति फिर सुर्खियों में हैं। बिजनेसमैन-एक्टिविस्ट हरजिंदर सिंह कुकरेजा और हरकीरत कौर कुकरेजा ने आनंद विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को फिर रजिस्टर्ड कराया है।

गौरतलब है कि यह अधिनियम सिख समुदाय की अपनी वैवाहिक परंपराओं को मान्यता दिलाने के प्रयास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। जो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्यता प्राप्त परंपराओं से अलग है। मूल रूप से 1909 में अधिनियमित, आनंद विवाह अधिनियम को सार्थक रूप से केवल 2012 में संशोधित किया गया था। हालांकि नियमों को आधिकारिक तौर पर 16 दिसंबर, 2016 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशन के बाद लागू किया गया था। इस कानून के तहत विवाह प्रमाण पत्र जारी करना हाल ही में शुरू हुआ है।

कुकरेजा दंपति के इस कदम का उद्देश्य भारत के कानूनी ढांचे के भीतर सिख विवाहों की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान की पुष्टि करना है। कुकरेजा दंपति इस कानूनी प्रक्रिया से अपनी शादी फिर से पंजीकृत कराने वाले पहले दंपति हैं। जिन्होंने अपने समुदाय में अन्य लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम की है। अपने विश्वास और विरासत के प्रति गहरी प्रतिबद्धता से प्रेरित हैं। यह सामाजिक आंदोलन केवल व्यक्तिगत मील का पत्थर ही नहीं है, बल्कि देशभर में आनंद विवाह अधिनियम के बारे में व्यापक जागरूकता जगाने और अपनाने के बारे में है। हरजिंदर सिंह कुकरेजा ने कहा कि आनंद विवाह अधिनियम के साथ हमारी शादी केवल व्यक्तिगत खुशी होने के साथ सिखों के रूप में हमारी पहचान को मजबूती भी देगी। वहीं हरकीरत कौर कुकरेजा ने कहा कि यह सिर्फ हमारी निजी दिलचस्पी नहीं, बल्कि एक मिसाल कायम करने वाला कदम भी है। इस सोच के पैरोकार पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह भी हैं। उनके शासन में ही 2012 में आनंद विवाह (संशोधन) विधेयक पारित किया गया था।

जून 2023 में पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में आनंद विवाह अधिनियम लागू किया गया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में कानून के सांस्कृतिक और कानूनी महत्व को पहचानते हुए अधिनियम के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। सीएम मान ने कहा कि आनंद विवाह अधिनियम का कार्यान्वयन न केवल सिख वैवाहिक संस्कारों की पवित्रता के लिए है, बल्कि हमारी विशिष्ट सांस्कृतिक प्रथाओं की सही कानूनी मान्यता के लिए भी महत्वपूर्ण है।

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