हरे माधव वर्सी पर्व 2025- आस्था की धरा पर अवतरित दिव्यता का अनुभव-अमृत वर्षा क़ा आभास
बाबा ईश्वर शाह की असीम अमृत वर्षा से ,भक्तों के हृदयों में उतरी करुणा की ज्योति
हरे माधव सत्संग में श्रद्धा,सेवा, भक्ति और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिला जो एक आध्यात्मिक क्रांति जैसा था- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आध्यात्मिकता रूपी मिठास मेंडूबे भारत के मध्यप्रदेश की पावन धरा कटनी की शांत और पावन भूमि पर 9 और 10 अक्टूबर 2025 को ऐसा दृश्य उपस्थित हुआ जिसे शब्दों में बाँध पाना अपने आप में एक आध्यात्मिक साधना के समान है। हरे माधव सत्संग के वर्सी महोत्सव ने न केवल शहर बल्कि देश और विदेश के लाखों श्रद्धालुओं को एक सूत्र में पिरो दिया।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र व मेरे साथी मनोहर सुगानी सतना ने वहां की ग्राउंड रिपोर्टिंग की तो हमें इस दौरान श्रद्धा,सेवा,भक्ति और अनुशासन का अद्भुत संगम देखने को मिला। हमने स्वयंम इन दो दिवसीय सत्संग के दौरान ग्राउंड रिपोर्टिंग की,और यह अनुभव किसी साधारण धार्मिकआयोजन से कहीं अधिक एक आध्यात्मिक क्रांति जैसा था।
साथियों बात अगर हम भक्तों के अभूतपूर्व उत्साह की करें तो, हरे माधव दयाल,जिनकी करुणा और दया की गाथाएँ भक्तों के मुख से सहज ही फूट पड़ती हैं, उनके नाम का प्रभाव इस आयोजन में स्पष्ट रूप से झलकता दिखा।हर ओर “हरे माधव” का उच्चारण मानो वातावरण को पवित्र कर रहा था। भक्तों की आँखों में जो चमक थी, वह किसी बाहरी चमत्कार से नहीं बल्कि अंतर्मन में अनुभव की गई शांति और दयालुता की झिलमिल थी।इस सत्संग ने यह सिद्ध कर दियाकिआध्यात्मिकता तब ही सशक्त होती है जब उसमें मानवता की सुगंध हो।कटनी की इस पवित्र भूमि पर जैसे ही 9 अक्टूबर 2025 को सूर्योदय हुआ, हरे माधव दयाल के प्रति भक्ति की तरंगें पूरे शहर में फैल गईं, मानों बच्चे, महिलाएँ, बुजुर्ग और युवा सबकी एक ही चाह थी,”दयाल के दर्शन और सत्संग का श्रवण।”ऐसा लग रहा था मानो पूरा नगर ही भक्ति में रमा हुआ है।यह दृश्य केवल आँखों से नहीं, आत्मा से देखा जा सकता था।
साथियों बात अगर हम देश- विदेश से उमड़ा श्रद्धा का सागर, वैश्विक स्तरपर आध्यात्मिक एकता की करें तो इस वर्सी महोत्सव की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि इसमें भारत के अनेक राज्यों से अनुमानतः हजारों लाखों भक्तों ने इस दो दिवसीय सत्संग का लाभउठाया। भक्तों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण थी कि हरे माधव दयाल की शिक्षाएँ सीमाओं से परे जाकर मानवता को जोड़ रही हैं।जब मैंने ग्राउंड पर भक्तों से बात की, तो उन्होंने कहा“हम यहाँ किसी धर्म के अनुयायी बनकर नहीं, बल्कि प्रेम और शांति की तलाश में आए हैं। यहाँ जो अनुभव मिलता है, वह किसी भी किताब में नहीं।”इससे यह सिद्ध हुआ कि आज के वैश्विक युग में भी सच्ची आध्यात्मिकता वह है जो सभी जाति,भाषा और सीमाओं को मिटाकर मनुष्यता के सूत्र में जोड़ती है।
साथियों बात अगर हम सत्संग के पहले दिन 9 अक्टूबर 2025 अमृत वर्षा क़े प्रारंभ होने की करें तोपहले दिन का आरंभ मंगल वंदना और “ मेरे सतगुरां हम शरण तेरी आए ” के भक्ति स्वर से हुआ। वातावरण में घुली शांति,भजन के मधुर सुर और आरती की लौ ने ऐसा माहौल रचा कि मानो पूरा ब्रह्मांड उसी क्षण स्थिर हो गया हो।मैंने मोबाइल कैमरे की लेंस से जब भक्तों के चेहरों को कैद किया, तो हर चेहरे पर संतोष, श्रद्धा और आनंद की अनोखी अभिव्यक्ति थी। पहले दिन का मुख्य आकर्षण बाबा ईश्वर शाह साहिब जी का“दयाल संदेश”यानें अमृत वर्षा था,जिसमें कलश करुणा, क्षमा और आत्मचिंतन के महत्व पर प्रकाश डाला गया। सत्संग पंडाल में गूँजती मधुर वाणी ने हजारों मनों को छू लिया। ऐसा लगा मानो हृदय के भीतर छिपी सभी थकान, चिंता और अशांति उसी क्षण विलीन हो गई हो।
साथियों बात अगर हम सत्संग के दूसरे व अंतिम दिन 10 अक्टूबर 2025 की करें तो मानो आकाश से उतरती दिव्यता पृथ्वी को नमन कर रही हो,सुबह 10 बजे से ही भक्तों का सत्संग स्थल पर पहुंचना शुरू गया था,यह सामूहिक श्रद्धा और अनुशासन का अनुपम उदाहरण था। बच्चे अपने हाथों में फूल और झंडे लिए, युवा सेवा में तत्पर, बुजुर्गों के चेहरे पर आत्मिक आनंद। यह सब देखकर लगा कि जब आस्था और अनुशासन एक साथ चलें तो समाज में कितनी सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।बाबाजी का आगमन विशाल जुलूस के साथ हुआ एलईडी स्क्रीन पर बाबा माधव शाह बाबा नारायण शाह की अनेक महिमाओं लीलाओं का वर्णन साक्षात रूप से भक्तों को दिखाया गया जिससे भक्तों के अनेक प्रश्नों की जिज्ञासा दूर हुई उसके पश्चात बाबा जी ने स्वयं अपने मुख से सत्संग की अमृत वर्षा की जिससे भक्तजन भाव विभोर हो उठे।
साथियों बात अगर हम सेवा के विविध रूप,व्यवस्थापन का अनुकरणीय उदाहरण की करें तो,यह मेरे लिए इस आयोजन का सबसे प्रेरणादायक पहलू था,इसकी उत्कृष्ट सेवा व्यवस्था। सत्संग परिसर में व्यवस्थापकों और स्वयंसेवकों ने जिस निष्ठा से सेवा दी, वह अपने आप में उदाहरण है, जिसकी मैं पूरी ग्राउंड रिपोर्टिंग कर मोबाइल कैमरे में सेव किया।पंडाल सेवा- विशाल पंडालों में बैठने, धूप से बचाव, वेंटिलेशन, और व्यवस्था इतनी सुचारू थी कि अनुमानतः हजारो लाखों की भीड़ होने के बावजूद कोई अव्यवस्था नहीं दिखी।चरण पादुका सेवा- श्रद्धालुओं के लिए चरण पादुका स्थल पर विनम्र भाव से सेवा करते स्वयंसेवक विनम्रता की प्रतिमूर्ति प्रतीत हो रहे थे।जल सेवा-ठंडा,शुद्ध जल उपलब्ध कराने के लिए अनेक जल स्टॉल लगाए गए थे, जहाँ लगातार सेवा चल रही थी।खोया-पाया सेवा: इतने बड़े आयोजन में कोई वस्तु खो जाए,तो तुरंत सूचना मिल जाए,भंडारा यानी लंगर सेवा तथा बर्तन थालियां धोने की सेवा में मैंने देखा कि बड़े-बड़े अमीरों उच्च स्तरीय लोग, भक्तों द्वारा ग्रहण किए गए भोजन की थालियों को मांझकर फ़िर पानी में फिर धो रहे थे जो मुझे सबसे अनमोल सेवा लगी उनकी यह सेवा रेखांकित करने योग्य है।पुलिस विभाग और सुरक्षा व्यवस्था-कटनी पुलिस और सुरक्षा दल ने अनुकरणीय कार्य किया। भीड़ नियंत्रण से लेकर ट्रैफिक प्रबंधन तक हर पहलू पर बारीकी से ध्यान दिया गया।मेडिकल सेवा-24 घंटे संचालित मेडिकल कैंप में डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ हर समय मौजूद रहे। किसी भी आपात स्थिति के लिए एम्बुलेंस व्यवस्था भी तत्पर थी।स्टालों में एक झाड़ माँ के नाम,पर्यावरणीय पहल- इस आयोजन की विशेषता रही “एक झाड़ माँ के नाम” पहल, जिसके अंतर्गत प्रत्येक भक्त ने एक पौधा रोपने का संकल्प लिया। आध्यात्मिकता को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ने का यह संदेश अत्यंत प्रेरणादायक था। विशेष रूप से व्यवस्थापकों सेवादारियों की सेवाएं अभूतपूर्व अनुशासन के रूप में दिखाई दी सत्संग स्थल के बाजू में हेड ऑफिस बनी हुई थी जहां से व्यवस्थापकों की हर सेवा पर नजर थी ताकि भक्तों को कोई तकलीफ ना हो,इन सभी व्यवस्थाओं को देखकर लगा कि जब सेवा भावना और संगठन शक्ति साथ मिलती है,तो कोई भी आयोजनकितना अनुशासितऔर प्रेरणादायक बन सकता है।
साथियों बात अगर हम व्यवस्था में अनुशासन और तकनीक का सुंदर संगम की करें तो,मेरी ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान मैंने पाया कि यह आयोजन केवल धार्मिक नहीं, बल्कि व्यवस्थापन का भी उत्कृष्ट उदाहरण था।आयोजकों ने आधुनिक तकनीक का भी प्रयोग किया था, सीसीटीवी निगरानी,एलईडी लाइव प्रसारण ताकि दूर बैठे भक्तों को भी स्पष्ट नजर आए,जैसी सुविधाएँ मौजूद थीं। इससे यह महोत्सव केवल एक भौतिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि डिजिटल आध्यात्मिकता का भी एक युगीन उदाहरण बन गया।
साथियों बात अगर हम भक्तों के भाव,अनुभवों की झंकार की करें तो,जब मैंने कुछ श्रद्धालुओं से बातचीत की, तो हर किसी की आवाज़ में भक्ति और भावनाओं की गहराई झलक रही थी।दमोह निवासी एक महिला ने कहा,“हम हर वर्ष आते हैं, लेकिन इस बार जो दिव्यता और शांति महसूस हुई, वह पहले कभी नहीं हुई। यह सचमुच अमृत वर्षा थी। ”कोल्हापुर से आए एक युवा भक्त ने कहा,“मैं तकनीकी क्षेत्र से हूँ, पर यहाँ आकर समझा कि असली ‘कनेक्शन’ईश्वर से जुड़ाव है, न कि इंटरनेट से।”इन सरल वाक्यों में वह आध्यात्मिक सत्य छिपा है जो जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और सकारात्मकता का संदेश देता है।आध्यात्मिकता और समाजसेवा का संगम-हरे माधव सत्संग केवल उपदेश देने वाला मंच नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत सामाजिक आंदोलन भी है। इस महोत्सव के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य और स्वच्छता के क्षेत्र में अनेक जनसेवा अभियानों कि हमें प्रेरणा मिली।हरे माधव परमार्थ सेवा समिति कटनी द्वारा गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवा बाबा माधव शाह चिकित्सालय मासिक अनाज वितरण साहित्य अनेकयोजनाओं का संचालन किया जाता है।यह देखकर लगा कि सच्ची भक्ति वही है जो समाज में परिवर्तन का माध्यम बने। आध्यात्मिकता तभी सार्थक है जब वह मानवता के कार्यों में उतरकर समाज को उन्नति की दिशा में ले जाए।
साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण से हरेमाधव सत्संग की प्रासंगिकता को समझने की करें तो,विश्व स्तर पर आज जब तनाव, हिंसा, युद्ध और आर्थिक प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है, तब हरे माधव दयाल का संदेश,“दयालता ही मानवता का आधार है”अत्यंत प्रासंगिक हो उठता है। कटनी का यह आयोजन केवल धार्मिक भावनाओं का प्रदर्शन नहीं, बल्कि“वसुधैव कुटुंबकम्” के भारतीय आदर्श का जीवंत प्रमाण था।कोल्हापुर मुंबई सहित अनेक मेट्रो सिटी से आए श्रद्धालुओं ने कहा कि उन्हें यहाँ वह “मेडिटेशनल एनर्जी” मिली जो किसी भी मानसिकचिकित्सा से अधिक प्रभावशाली है।
साथियों बात अगर हम मेरी ग्राउंड रिपोर्टिंग करें तो, मुझे इसके लिए संस्था या व्यवस्थापकों नें कहा नहीं था मैंने स्वतः संज्ञान से ग्राउंड रिपोर्टर की आत्मानुभूति,शब्दों से परे एक साक्षात्कार-जब मैंने इन दो दिनों की रिपोर्टिंग पूरी की,तो महसूस किया कि वकालत क़े पेशे जैसे केवल तथ्य नहीं, बल्कि अनुभूति का भी माध्यम है। कैमरे में कैद दृश्य भले सीमित हों, पर हृदय में जो दृश्य अंकित हुए, वे जीवनभर अमिट रहेंगे।मैंने देखा कि किस प्रकार भक्त भक्ति में डूबकर सेवा करते हैं, किस तरह व्यवस्थापक दिन-रात बिना थके अपने कर्तव्यों में लगे रहे,और कैसे एक संत का सन्देश लाखों के जीवन में प्रकाश बन जाता है।यह रिपोर्ट केवल रिपोर्ट नहीं, एक साक्षात्कार है,आत्मा का, श्रद्धा का,और मानवता का।
*-ग्राउंड रिपोर्टिंग लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *