धर्म नगरी गोंदिया में हरे माधव सत्संग 23 मार्च 2025 – धर्म प्रेमियों का सैलाब उमड़ेगा
पूरण सतगुरु ही पारब्रह्म द्वारा रचित सृष्टि में सर्व आत्माओं के उत्थान हेतु अर्श से फर्श पर प्राकट्य होते हैं – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियाँ में भारत ही एक ऐसा देश है जहां आध्यात्मिकता का अणखुट खजाना भरा पड़ा है, जिसका सटीक उदाहरण अभी 3 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक 45 दिवसीय महाकुंभ पर पूरी दुनियाँ ने हैरानी जताई कि करीब 67 करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाई जो एक रिकॉर्ड है! इसी आध्यात्मिकता की कड़ी में पवित्र पावन धाम नगरी गोंदिया में 23 मार्च 2025 को कटनी के पारब्रह्म पूरण सतगुरु बाबा ईश्वरशाह साहब जी की पावन हुजूरी में हरे माधव सत्संग का आयोजन किया गया है। मेरा मानना है कि जब हम सतगुरु संगत बाबाजी के शरण में रहकर सेवा भक्ति करते हैं तो हमारे कर्मबार हल्के होते हैं व नित्य श्रवण से, दिव्य आभामंडल में रहने से मन, चित्त शांत स्थिर दिव्य आनंद एकाग्रता सकारात्मक से भर जाता है, जिससे सतगुरु भक्ति के साथ-साथ दुनियाँवीं कार्य व्यवहार भी सहज हो जाते हैं, पुख्ता होकर अमिट नाम भक्ति अभ्यास करते हैं, उनकी लौकिक पारलौकिक सभाल करते हैं। आज हम इस विषय पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि पारब्रह्म बाबा ईश्वरशाह साहिब जी का गोंदिया नगरी में आगमन 22 मार्च 2025 को शाम 6 बजे होगा व हरे माधव सत्संग 23 मार्च 2025 को होगा इसलिए आज हम उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, पूरण सतगुरु ही पारब्रह्म द्वारा रचित सृष्टि में सर्व आत्माओं के उत्थान हेतु अर्थ से फर्श पर प्राकट्य होते हैं।
साथियों बात अगर हम हरे माधव सत्संग गोंदिया मार्च 2025 की पूरी रूपरेखा की करें तो इसका आगाज़ 21 मार्च से ही हो जाएगा इस दिन शाम 6 बजे से महिलाओं द्वारा हरे माधव भजन संध्या का आयोजन किया गया है 22 मार्च को पावन प्रभात फेरी दरबार साहब से सुबह 6 बजे निकल कर नगर ब्रह्ममण कर सतगुरु निवास शंकर चौक पर समाप्त होगी। वहीं 22 मार्च को शाम 6 बज़े गुरुवर के नगर आगमन पर जयस्तम चौक से शंकर चौक तक विशाल पावन धर्म रैली नगर भ्रमण कर गुरु निवास पर विश्रामित किया जाएगा व 23 मार्च 2025 को शाम 6 बजे पावन हरे माधव सत्संग होगा, सत्संग पश्चात पावन लंगर साहब की व्यवस्था है। इस पावन सत्संग में महाराष्ट्र राजस्थान गुजरात छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश उत्तरप्रदेश सहित अनेक राज्यों से संगतों के आने की पूरी संभावना है जिनके रहने खाने पीने की व्यवस्था आयोजकों द्वारा की गई है, यह निष्काम निस्वार्थ भाव आध्यात्मिकता की जड़ों को भारत की मिट्टी में दिख़ाता है, जो जन्म से ही हर मनुष्य के हृदय में समा जाती है जो रेखांकित करने वाली बात है।
साथियों बात अगर हम वर्तमान डिजिटल युग में दैन्य जीवन से मुक्त होकर सतगुरु के पावन अंगने में जीवात्मा को समर्पित भाव से आने की करें तो, जीवन मुक्त सतगुरु उनपर अपनी जीवन मुक्त सुहेली दृष्टि आशीष बरसाते हैं और वह एको शाश्वत मुक्ति प्राप्त कर पाते हैं। बेअन्तहै हमारे प्रभु रूप – सतगुरु का पवन अंगना जिसमें आकर अगणित आत्माएं अपना जीवन सफ़ल कर चुकी है अनेक अभी इस राह पर चलने का अभ्यास कर रही है सौभाग्य सौभाग्यशाली हैं हम सारी सांगते, जो एको शाश्वत मुक्ति के भंडारी जीवन मुक्त हरीराया बाबा क़ी जिसको शरण प्राप्त हुई है। बाबा जी फरमाते हैं परमात्मा ने आकाश में ना पटल पर वह परमात्मा तो दिल के अंदर चैतन्य ज्योति रूप में हर पल, हर सांस कायम दयम है जीवन मुक्त सतगुरु की भक्ति के द्वारा, उनकी सेवा बंदगी के द्वारा, सतगुरु के सिमरन ध्यान के द्वारा,आत्मा के अंदर जो, जन्मों जन्मों से सोई गति की जोत है वह जागृत हो उठती है।
साथियों बात अगर हम भाव भक्ति से परमात्मा को पाने की करें तो “आप सवाँरें हरि मिले” परमात्मा को पाना है तो अपनी भावनाओं को ताराशिये क्योंकि भाव बिना भक्ति नहीं निष्काम भक्ति द्वारा ही परमात्मा को पाया जा सकता है, जिन मन प्रीत नाहीं गुरु चरणों से तो भूत प्रेत स्यों रहते,जिनके हृदय के भाव शुद्ध निर्मल हैं और सतगुरु वचनों से सांची प्रीत है, वह परमार्थ पथ पर आगे बढ़ सकते हैं और शेष भूत प्रेत की तरह मन के कहे भटकते रहते हैं, खोटे काले कर्म करते हैं। प्रीत वचनों को वे ही समझ पाते हैं जो पावन सतसंगति में आ सच्चे गुरमुख बन सेवा सत्संग सिमरन ध्यान में रमते हुए सदैव सत्कर्म निष्काम एवं अकर्ता भाव से करते हैं, जिनका जैसा भाव होता है वैसी इन की करणी होती है और उसी के अनुरूप वह फ़ल पाता है, “जैसा बीज वैसी फसल” इसी वास्ते संतों ने सत्कर्म करने की सीख दी है,जिससे गुरमुखसंग़तो के हृदय के भाव निर्मल पवित्र रहे और वे भावभक्ति द्वारा अपना आत्मीय उद्धार पाएं।
साथियों बात अगर हम बाबा जी के विचारों को जानने की करें तो, अप्रगट प्रभु रूप दाता, पूरे सतगुरु का जामा ओढ़ युगों-युगों, कल्पों से इस धरा पर प्रगट होते आए हैं। आदि-अनादि काल से पूरण सतपुरुखों ने, इस धरा पर मानव को मन के, अज्ञानता के अंधेरे से निकाल अंतरघट में परम दिव्य ज्ञान का प्रकाश दिया और दे रहे हैं।पूर्ण सतगुरुनिर्भीक अडोल हो, रूहों को हरे माधव प्रभु मालिक के धाम में ले चलने के लिए, अनेकानेक स्वांग रचते हैं, उनकी मौज प्रभु की मौज है, वे परमत्व मौज के राजे हैं, वे परमत्व मौज के शाहे हैं, पूर्ण संत पुरुखों की मौज निर्लेप और फक्कड़ता वाली मौज है, पूर्ण सतगुरु की मौज पारब्रम्ह की मौज है, सत्संग वाणी में भी आया है-काल खंड में आए के, खेले सतगुरु परम कृपालकाल खंड में रूह उबारे, आप बन कुल दयाल पूर्ण संत सतपुरूखों ने सदा-सदा से एको साहिब के सत-आदेश का अपने पावन भजन मुख से सर्वत्र होका दिया। अब प्रश्न आता है कि पूरण सतपुरुख कहां से आते हैं? कहते हैं प्यारे गुरुमुखों! एक पूर्ण संत पुरुख परम प्रकाशी दुनिया से प्रकट होते हैं, वे जन्म से ही दिव्य आलोकित होते हैं। एक गहन भजन की कमाई कर दिव्य परमत्वमय पूर्ण पुरुख शाहे हो जाते हैं और परम प्रकाश फैलाते हैं; जैसे एक नासा का राॅकेट ऊपर उड़कर उन ग्रहों में गया, वहां की ताजा स्थिति हवा, पानी माहौल देख बताया, वहां रहने के लिए कैसी व्यवस्था है। अब हमारे समझाने का भाव यह कि पूर्ण संत पुरुख अपने अंदर परमत्व प्रकाश को जागृत कर चुके होते हैं, वे मुक्त पुरुख होते हैं, वे अपने भजन प्रकाश से अलोकित प्रकट होते हैं, वे हमारे बीच कालखण्ड में धुरलोक से आते हैं और अपना फरमान परमत्व की गहन कमाई कर सर्वत्र अंशी आत्माओं को देते हैं और कालखंड से उबारते हैं क्योंकि हर एक अंश आत्मा अपने मूल स्त्रोत से जुदा, बिछड़ी है।काल खंड में रूह उबारे, आप बन कुल दयाल हरिराया सतगुरु साधसंगत रूपी गंगा का महारस बरसाते हैं, आत्माओं को सतगुरु अमृत नाम का, अमरता का भाव देकर साधसंगत से जोड़कर, सेवा कराकर जीव का इह लोक सुखी, परलोक सुहेला कर देते हैं। पूरन सतपुरुख निर्वाण धुर लोक से आते हैं, याने आप बन कुल दयाल। ऐसी कौन सी ताकत स्त्रोत से वे आते हैं? वह कौन सा अप्रकट नूर है, जो अथाह है, जिसका अंत नहीं। तो गहबी वचन आए, अप्रगट रूप पारब्रम्ह से, प्रगट रूप पूर्ण सतगुरु आए और रूहों को चिताया कि ऐ बंदे! तुम्हारा मालिक तुम्हारे अंदर है, काल की दुख भरी, उलझन वाली मन-माया की दुनिया से उठो, चलो, आतम परम अमृत के सच्चे निजधाम में; इसलिए तो हम पूर्ण संत सतगुरु को सच्चे पातशाह कहते हैं, क्योंकि वे एक ऐसी पूर्ण सत्य हस्ती, पूर्ण सत्य पद, जो अडोल है, थिर है, उसमें रच बसकर पूरण सच्चे सतरूप शहंशाह ही हो गए।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हरे माधव दयाल की दया प्रभु सदा मेहरबान- हरे माधव सत्संग 23 मार्च 2025।धर्म नगरी गोंदिया में हरे माधव सत्संग 23 मार्च 2025- धर्म प्रेमियों का सैलाब उमड़ेगापूरण सतगुरु ही पारब्रह्म द्वारा रचित सृष्टि में सर्व आत्माओं के उत्थान हेतु अर्श से फर्श पर प्राकट्य होते हैं
*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *