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नेक-मुहिम : लुधियाना में गुरु राम दास अकादमी ने शुरु किया दो दिवसीय आलम-ए-नानक समागम

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संगत को गुरु नानक देव जी की विरासत रुपी दिव्य यात्रा से जोड़ने की शुरुआत

लुधियाना 7 दिसंबर। यहां गुरु राम दास अकादमी में बहुप्रतीक्षित दो-दिवसीय प्रदर्शनी ‘आलम-ए-नानक का उद्घाटन श्रद्धा और उत्सव से ओतप्रोत वातावरण में किया गया। इस दौरान अकादमी के सुरम्य लेकव्यू लॉन्स में आयोजित इस अद्वितीय आयोजन ने गुरु नानक देव जी के जीवन और शिक्षाओं को समर्पित ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भव्यता की एक अद्भुत दुनिया में उपस्थित लोगों का स्वागत किया गया।

यह प्रदर्शनी सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चली। इस आयोजन का शुभारंभ एकता और साम्प्रदायिक सौहार्द के शक्तिशाली प्रतीक के रूप में हुआ। पंजाब के शाही इमाम मोहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी, ज्वाइंट कमिश्नर जसदेव सेखों, प्रो. सरबजीत सिंह रेणुका, मनीत दीवान, और एलेक्स पी. सुनील जैसी विभूतियों ने मिलकर इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। बेईं नदी पर उनके दिव्य ज्ञान प्राप्ति से लेकर ननकाना साहिब, हरिद्वार के घाटों, पुरी के जगन्नाथ मंदिर की आरती, और मक्का की उनकी यात्रा तक के ऐतिहासिक क्षण जीवंत किए गए। प्रदर्शनी का समापन करतारपुर की स्थापना, “नाम जपो, किरत करो, वंड छको” के संदेश, और भाई लेहणा जी को गुरुगद्दी सौंपने से लेकर उनके ज्योति जोत समाने तक के प्रसंगों से हुआ।

प्रदर्शनी में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का अनमोल खजाना प्रदर्शित किया गया, जिसमें 2600 वर्ष पुराने सिक्के, 400 वर्ष पुराने शस्त्र, हस्तलिखित पवित्र ग्रंथ, और दुर्लभ वस्त्र शामिल थे। इनके साथ-साथ पारंपरिक सिख वाद्ययंत्रों—रबाब, सरंदा, और तानपूरा की सजीव प्रस्तुतियों ने इस अनुभव को आध्यात्मिक रूप से सशक्त कर दिया। प्रसिद्ध कलाकार स्वर्णजीत सावी की गुरु नानक श्रृंखला की पेंटिंग्स और देविंदर नागी द्वारा लाइव गुरबाणी कैलिग्राफी ने इस आयोजन में कलात्मक आकर्षण जोड़ा। काशी के प्राचीन बाजार को जीवंत रूप में पुनः प्रस्तुत किया गया, जिसने एक जीवंत सांस्कृतिक वातावरण प्रस्तुत किया, जबकि पारंपरिक व्यंजनों ने इस अनुभव को और समृद्ध किया।

इस मौके पर पंजाब कला परिषद के अध्यक्ष स्वर्णजीत सवि, पंजाब भाषा विभाग के निर्देशक जसवंत ज़फर, प्रमुख विद्वान अमरजीत ग्रेवाल, और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता प्रो. भूपिंदर अज़ीज़ परिहार शामिल थे। निर्देशक गुरशमिंदर सिंह जगपाल ने कहा, “आलम-ए-नानक को गुरु नानक देव जी की दिव्य विरासत की अनुभवात्मक यात्रा के रूप में तैयार किया गया है।

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