मजदूरों की रोटी रोटी जबरन छीनने वाले प्रबंधन के खिलाफ कार्यवाही करे सरकार

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18 सितम्बर – कानपुर। इस देश में अगर कोई सर्वाधिक शोषण का शिकार है तो वह असंगठित क्षेत्र के मजदूरी ही हैं। जब भी इच्छा होती है मालिकान और प्रबंधन उनकी रोजी – रोटी का सहारा एक झटके में छीन लेते हैं। मजदूरों के इस तरह के अमानवीय शोषण के पक्ष में जिम्मेदार लोग भी सदैव प्रबंधन एवं मालिकानों के पक्ष में ही खड़े नजर आते हैं ,यही कारण है कि लगातार गुहार लगाने के बाद भी लिखित शिकायत करने के बाद भी उनकी कोई भी सुनवाई नहीं होती ,जिसकी वजह से ही यह सभी गरीब मजदूर घुट घुट कर जीने और मरने को भी मजबूर होते हैं।
कुछ इसी तरह के अमानवीय हालातों के शिकार लगभग एक सैकड़ा से भी ज्यादा बताए जाने वाले वह भी मजदूर हैं, जिनकी सेवाएं जबरन समाप्त कर दी गई ,इनमें से कई ऐसे अभागे मजदूर भी हैं ,जो सरकार से सहायता का इंतजार करते-करते असमय मौत का भी शिकार हो गए। शोषण और उत्पीड़न अन्याय की पराकाष्ठा वाला यह मामला अवध शुगर मिल लि.हरगांव सीतापुर का है।
मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय की पराकष्ठा पर घोर चिन्ता व्यक्त करते हुए शोषितों, बंचितों और किसी भी तरह के अन्याय तथा उत्पीड़न के शिकार लोगों की हर संभव सहायता के साथ ही उन्हें न्याय दिलाने में भी अग्रणी तेजतर्रार और व्यवहार कुशल हाई कोर्ट के अधिवक्ता तथा हिन्द मजदूर सभा के भी प्रदेश सचिव, अविनाश पाण्डेय ने यहां बताया कि इस मिल में काम करने वाले 100 से अधिक कर्मचारियों की सेवाएं जबरन समाप्त कर दी गयी है। जिनमें से शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति के इंतजार में अब तक कई मजदूरों की मौत भी हो चुकी है।
हिन्द मजदूर सभा के प्रदेश सचिव कानून विद हाईकोर्ट के अधिवक्ता अविनाश पाण्डेय के मुताबिक भविष्यनिधि कार्यालय में 7ए की कार्यवाही चल रही है। वहां भी मालिकों व मिल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शाम दाम दण्ड भेद करके मज़दूरों के शोषण में लगे हैं। इस अमानवीय शोषण और उत्पीड़न का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके किसी भी बकाए का भुगतान किए बगैर ही उनसे जबरन आवास भी खाली कराये जा रहे हैं। इसके लिए कर्मचारियों उमाशंकर पाल, राम दुलारे, राम सनेही, अशोक कुमार, सुमन, राम कुमार यादव, अनिल श्रीवास्तव विन्द्रा प्रसाद आदि की बिजली, पानी काट कर बेघर करने का भी कुत्सित प्रयास किया जा रहा है। इनमें से अधिकांश कर्मचारी बहुत दूर जा रहा क्षेत्रों के मूल निवासी हैं। चूंकि भविष्य में 7 ए ही कार्रवाई चल रही है। इसलिए वह वापस भी नहीं जा सकते।
हाई कोर्ट के जाने माने वकील और हिन्द मजदूर सभा के प्रदेश सचिव, अविनाश पाण्डेय ने यहां बताया कि इनके निकाले जाने का वाद सरकार द्वारा अभिनिर्णय हेतु श्रम न्यायालय में भेज दिया गया है ,जिससे नाराज होकर मालिकान उन्हें बेघर करने जैसी यह कार्यवाही कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इस अन्याय अत्याचार और शोषण की लगातार लिखित शिकायत किए जाने के बाद भी अपर श्रमायुक्त और सहायक श्रमायुक्त सीतापुर द्वारा भी इस सम्बन्ध में कोई कार्यवाही नहीं की गयी ,जबकि उन्हें इस सम्बन्ध में स्थगन दिये जाने हेतु तमाम प्रार्थना पत्र ,अभिलेख और कई कार्यस्थलों के आदेश भी निर्गत किये गये।
हिन्द मजदूर सभा के प्रदेश सचिव और पीड़ितों की आवाज बुलंद करने में भी अग्रणी उच्च न्यायालय के वकील अविनाश पांडेय ने यह भी बताया कि जिम्मेदार अधिकारियों के इस रवैये के खिलाफ कर्मचारियों में हताशा, निराशा व उत्तेजना का माहौल है। क्योंकि प्रबंधन के इस अमानवीय आचरण से पीड़ित कर्मचारियों के बच्चों की पढ़ाई, भोजन पानी की भी समस्या पैदा हो गई है, क्योंकि निकाले जाने के बाद कर्मचारियों के पास उनकी रोजी-रोटी का कोई भी जुगाड़ नहीं बचा है ,जिसकी वजह से उनमें पैदा आक्रोश किसी बड़ी घटना को भी अंजाम दिलवा सकता है, जिसकी जिम्मेदारी मिल प्रबन्धन के साथ साथ शासन प्रशासन व श्रम विभाग की भी होगी।
फिलहाल फिलहाल गन्ना मिल मजदूरों के लगातार इस उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी देते हुए हिन्द मजदूर सभा के प्रदेश मंत्री हाई कोर्ट के अधिवक्ता अविनाश पाण्डेय ने सेवायोजकों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने, भविष्य निधि सेवन ए ही कार्रवाई तथा उन्हें सेवाओं से जबरन निकाले जाने का अभिनिर्णय वाद के अन्तिम निस्तारण व अनुपालन होने तक बिजली पानी बहाल कराते हुए सभी मजदूर कर्मचारियों की आवासीय सुविधा में पूर्ववत बहाल करने, उनके विरुद्ध की जा रहे किसी भी दण्डात्मक कार्यवाही पर रोक लगाने के साथ-साथ उत्पीड़न, शोषण और अन्याय करने वाले सेवायोजकों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने की भी जोरदार मांग सरकार से की है।

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