पंजाब/यूटर्न/31 जुलाई: पंजाब में छह हजार करोड़ के ड्रग तस्करी मामले में कोर्ट ने पूर्व डीएसपी जगदीश भोला को दस साल की कैद की सजा सुनाई है। एक समय था जब जगदीश भोला का कुश्ती में बड़ा नाम था। वह कुश्ती के किंग कांग के रूप में जाना जाता था। उसने अपने कुश्ती कॅरिअर के दौरान अर्जुन पुरस्कार भी जीता था, लेकिन धीरे-धीरे उसने नशे के कारोबार में ऐसा प्रवेश किया कि बड़ा ड्रग्स सरगना बन गया। भोला का जन्म चौके जिला बठिंडा में हुआ था। भोला ने अपना अधिकांश बचपन अपने ननिहाल में बिताया। बचपन में ही मामा ने उसे कुश्ती को अपना कॅरिअर के लिए प्रोत्साहित किया और चौके गांव में ही उन्होंने उन्हें प्रशिक्षण दिया, जहां कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार हुए। बाद में भोला लुधियाना चला गया और कुश्ती में महारत हासिल करने के लिए एक प्रसिद्ध अखाड़े के साथ जुड़ गया। एक पहलवान के रूप में वे 1991 में दिल्ली में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीतने के बाद प्रसिद्धि पर पहुंचा।
मिला था अर्जुन पुरस्कार
अपने कुश्ती कॅरिअर के लिए सरकार ने उन्हें अर्जुन पुरस्कार से समानित किया। भोला पंजाबी भाषा की फिल्म रुस्तम-ए-हिंद में भी दिखाई दिया। पंजाब पुलिस द्वारा निलंबित किए जाने से पहले भोला ने कुछ समय के लिए पंजाब पुलिस में डीएसपी के रूप में काम किया। भोला उस समय विवादों में आया जब 2008 में उसे मुंबई पुलिस ने ड्रग तस्करी के आरोप में पकड़ा था। इसके तुरंत बाद सरकार ने उसका अर्जुन पुरस्कार वापस ले लिया, जिसके बाद पंजाब पुलिस ने 2008 में भोला को डीएसपी पद से निलंबित कर दिया था। इसके बाद भोला नशे के कारोबार में ऐसा घुसा कि सिंथेटिक ड्रग रैकेट में भागीदारी के लिए उसे फिर से गिरफतार किया था। भोला ड्रग्स मनी लॉन्ड्रिंग मामला करोड़ों रुपये के सिंथेटिक नारकोटिक्स रैकेट से जुड़ा है, जिसका पंजाब में 2013-14 के दौरान पर्दाफाश हुआ था। ईडी ने जनवरी 2014 में भोला को गिरफ्तार किया था और उसकी संपत्ति जब्त की थी। भोला को पंजाब पुलिस के मामलों में भी दोषी ठहराया गया था।
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कुश्ती के किंग कांग से ड्रग्स का सरगना बना पुलिस का पूर्व डीएसपी, ऐसे फंसा दलदल में
Kulwant Singh
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