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पीएयू के पूर्व वाइस चांसलर डॉ.एमएस कंग नहीं रहे, नामवर कृषि-वैज्ञानिक के तौर पर थी खास पहचान

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फतेहगढ़ साहिब में जन्मे डॉ.एमएस कंग थे पंजाबी की शान, देश-विदेश में पंजाबियों का नाम रौशन कर गए बतौर विद्वान

लुधियाना 3 मई। हरित-क्रांति में अहम योगदान निभाने वाली पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर और नामवर जैनेटिक साइंटिस्ट डॉ. मंजीत सिंह कंग का गत दिवस निधन हो गया। वह काफी समय से अमेरिका के इलिनोइस के कार्बोंडेल में रह रहे थे। उनके निधन से शिक्षा-जगत, खासतौर पर कृषि-विज्ञान से जुड़े शिक्षकों, विद्यार्थियों और किसानों को गहरा आघात लगा है। उनके निधन के चलते शोक स्वरुप पीएयू में श्रद्धांजलि सभा कर अवकाश घोषित कर दिया गया।उनको श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए पीएयू के वीसी डॉ.एसएस गोसल की अगुवाई में शोकसभा रखी गई। जिसमें टीचिंग-नॉन टीचिंग स्टाफ ने डॉ.कंग को श्रद्धांजलि भेंट की। यहां गौरतलब है कि डॉ.कंग पीएयू में 30 अप्रैल, 2007 से लेकर 30 अप्रैल 2011 तक वाइस चांसलर रहे थे। पीएयू के वीसी डॉ.गोसल ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि एक उत्कृष्ट कृषि-वैज्ञानिक, प्रख्यात प्रशासक और सर्वश्रेष्ठ इंसान का हमेशा के लिए बिछड़ जाना असहनीय घटना है। यह पूरे पीएयू परिवार के लिए अपूर्णीय क्षति है। उनके चले जाने से कृषि क्षेत्र और कृषक समुदाय एक दयालु वैज्ञानिक की सेवाओं से वंचित हो गया है।

फतेहगढ़ साहिब है उनकी जन्मभूमि : डॉ.कंग का जन्म 3 मार्च, 1948 को जिला फतेहगढ़ साहिब में हुआ था। साल 1968 में पीएयू से ही ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ डॉ. कंग ने कृषि विज्ञान क्षेत्र में प्रवेश किया। उन्होंने 1971 में एडवर्ड्सविले में दक्षिणी इलिनोइस विश्वविद्यालय से पादप आनुवंशिकी में मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने इसी विश्वविद्यालय से 1977 में वनस्पति विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त की। उसी साल उन्होंने मिसौरी विश्वविद्यालय, कोलंबिया से पादप विज्ञान के क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी। डॉ.कंग की योग्यता के कारण उन्हें अमेरिका की प्रतिष्ठित संस्थाओं में काम करने का अवसर मिला। उन्हें 1990 में लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी में क्वांटिटेटिव जेनेटिक्स का प्रोफेसर नियुक्त किया गया था। पीएयू के मौजूदा वीसी डॉ.गोसल के मुताबिक पीएयू के वीसी के तौर पर उन्होंने इस विश्वविद्यालय और पंजाब को विश्व स्तरीय कृषि विज्ञान के अनुभवों से जोड़ा। छात्रों, वैज्ञानिकों और कर्मचारियों के बीच उनके सम्मान का आधार उनका मिलनसार स्वभाव, विद्वतापूर्ण व्यक्तित्व था। कुलपति के रूप में डॉ. कंग ने विश्वविद्यालय के अनुसंधान को मजबूत करने में रुचि दिखाई। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के महत्व पर जोर दिया। इसके साथ पीएयू का रुतबा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा हुआ। डॉ. कंग दुनिया भर में हो रहे कृषि अनुसंधान के महान वैज्ञानिक होने के साथ ही पंजाब की कृषि चुनौतियों से भी गहराई से जुड़े हुए थे। साल 2018 में पंजाब के मुख्यमंत्री ने उन्हें प्राइड ऑफ पंजाब अवॉर्ड से सम्मानित किया था। इसके साथ ही नवंबर, 2019 में श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के मौके पर पंजाब सरकार ने उन्हें श्री गुरु नानक देव जी अचीवर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया था।

डॉ.कंग ने  कारगिल, इंक., सेंट पीटर, मिनेसोटा (1977-1979) में रिसर्च स्टेशन मैनेजर और सीनियर प्लांट ब्रीडर के रूप में कार्य किया। वह अमेरिकन सोसायटी ऑफ एग्रोनॉमी और क्रॉप साइंस सोसायटी ऑफ अमेरिका के फेलो रहे। वह जर्नल ऑफ क्रॉप इम्प्रूवमेंट के प्रधान संपादक और क्रॉप साइंस के तकनीकी संपादक भी रहे। साल 1999 में उन्हें मलेशिया के लिए यूएस. फुलब्राइट सीनियर स्कॉलर (शिक्षण पुरस्कार) के रूप में चुना गया था। डॉ. कंग ने 13 पुस्तकों का संपादन और लेखन किया। उन्होंने हंगरी, मलेशिया, चीन, फिलीपींस, नाइजीरिया, भारत में मात्रात्मक आनुवंशिकी पर व्याख्यान भी दिए थे।

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