हरियाणा 30 जुलाई। पूर्व विधायक रामनिवास सुरजाखेड़ा और उसके साथियों द्वारा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) के साथ की गई धोखाधड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नए खुलासे किए हैं। पंचकूला स्थित स्पेशल कोर्ट में ईडी ने बताया कि राजनीति में आने से पहले सुरजाखेड़ा अकाउंटेंट के रूप में काम करते थे। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक, मनीमाजरा में एचएसवीपी के नाम से फर्जी खाते खोलकर करीब 100 करोड़ रुपए का घोटाला किया। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि अपराध से प्राप्त रकम सिर्फ सुरजाखेड़ा के निजी खातों में ही नहीं, बल्कि उनकी पत्नी मंजीत और अन्य परिवारजनों के खातों में भी ट्रांसफर की गई थी।
घोटाले के पैसे से खरीदी फॉर्च्यूनर
ईडी ने कोर्ट में दावा किया है कि इस पैसे से एक टोयोटा फॉर्च्यूनर खरीदी गई और बाद में बिना किसी वैध प्रतिफल के पूर्व विधायक के नाम पर हस्तांतरित कर दी गई। इस मामले में रामनिवास को 9 जून को गिरफ्तार किया गया था। जमानत पहले हो चुकी है। सुरजाखेड़ा के मामले में विशेष अदालत ने कहा, धन शोधन के बहुत गंभीर आरोपों के मद्देनजर, इस स्तर पर आवेदक-आरोपी को या तो योग्यता के आधार पर या आरोपी के मौलिक अधिकारों के कथित उल्लंघन के आधार पर जमानत देना संभव नहीं है।
100 करोड़ रुपए नकद निकाले गए
गिरफ्तारी के बाद ईडी की रिमांड अर्जी के अनुसार, 100 करोड़ रुपए से अधिक की राशि कथित तौर पर नकद निकाली गई और तीसरे पक्ष के बैंक खातों के माध्यम से भेजी गई। ये खाते अक्सर “मुआवजा निपटान” की आड़ में खोले जाते थे, जिसमें अनजान व्यक्तियों को व्यक्तिगत बैंकिंग विवरण साझा करने के लिए लुभाया जाता था। ईडी का आरोप है कि राम निवास ने ऐसे बिचौलियों से सीधे नकदी एकत्र की और अवैध आय को अपने और परिवार के सदस्यों के खातों में भेजा।