मूर्ख दिवस 1 अप्रैल 2025-हम दूसरों को और ख़ुद भी मुर्ख बनाकर एंजॉय करते हैं 

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अप्रैल फूल बनाया, उनको गुस्सा आया, मेरा क्या कसूर ज़माने का कसूर, जिसने दस्तूर बनाया

 

पहले एक ही दिन मूर्ख दिवस बनाने का चलन था , आज हर दिन डिजिटल प्लेटफॉर्म, हनीट्रैप, फर्जी ईमेल, बैंक फ्रॉड, मैसेज, ऑनलाइन लॉटरी इत्यादि से रोज़ाना मूर्ख बन रहे हैं-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

गोंदिया महाराष्ट्र

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर वर्तमान डिजिटल, रोबोट व प्रौद्योगिकी युग में मानवीय जीव इतना व्यस्त हो गया है कि उसकी हंसी मजाक कहीं खो सी गई है। भारत में हमारे 60 प्लस वाले बुजुर्गों, सीनियर सिटीजंस लोगों को भारतीय सिनेमा में 1964 में रिलीज हुई हिंदी फीचर फिल्म ‘अप्रैल फूल’ का गाना अप्रैल फूल बनाया, उनको गुस्सा आया, मेरा क्या कसूर, ज़माने का कसूर, जिसने दस्तूर बनाया, का प्रैक्टिकल 1 अप्रैल मूर्ख दिवस की अब याद आती है, तो यकायक ठहाके गुजनें लगते हैं, जो कि आज उनकी दूसरी पीढ़ी के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत ज़रूरी भी है, क्योंकि वर्तमान डिजिटल युग में हंसी मज़ाक ठहाके स्वास्थ्य के टॉनिक के रूप में कार्य करते हैं जो अनमोल है, यानें जिसने दिल से, जोर से हंसीं ठहाके लगाया,उसे कुदरत एनर्जी प्राप्त होती है।यही टॉनिक हमें 1 अप्रैल यानें मूर्ख दिवस परमिलता है, जिससे हम खुद भी मूर्ख बन जाते हैं और दूसरों को भी मूर्ख बनाते हैं,फिर एक साथ ठहाके लगाए जाते हैं,इसका शिकार मैं भी हुआ और मुझे फिर शाम को पता चलता है कि यह अप्रैल फूल था। वह यह कि मुझे जानकारी दी गई कि,आपको लेखन में राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुन लिया गया है, मैं अति उत्साहित होकर दोपहर को सूटकोट लेने भी चला गया था, शाम होते-होते मैंनें विस्तृत जानकारी मांगी तो, ठहाकों से मेरे दोस्त चहक उठे, बोले अप्रैल फूल बनाया तुमको गुस्सा आया, मैंनें भी ठहाके लगाए। यह होता है असली मज़ा हंसी और ठहाके। परंतु आज के डिजिटल युग में पहले एक दिन ही मूर्ख दिवस बनाने का चलन था परंतु आज हर दिन डिजिटल प्लेटफॉर्म, हनीट्रैप फर्जी ईमेल, बैंक से पैसे गायब, मैसेज, ऑनलाइन लॉटरी सहित मूर्ख बनाने के अनेक प्लेटफार्मस हैँ, जिससे हम रोजाना मूर्ख बनते हैं। आज हम मीडियम उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मूर्ख दिवस 1 अप्रैल 2025, हम दूसरों को और खुद भी मुर्ख बनकर ठहाके लगाकर एंजॉय करते हैं, जो स्वस्थ्य रहनें का बहुत बड़ा एक पावरफुल टॉनिक है।

साथियों बात अगर हम 1अप्रैल 2025 की करें तो, हर साल 1 अप्रैल का दिन दुनियाँ भर में अप्रैल फूल डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है, इस दिन सभी लोग एक-दूसरे के साथ खुलकर मस्ती-मजाक करते हैं। इस दिन सभी की कोशिश होती है कि वो किसी को बुद्धू बनाएं, उनके साथ प्रैंक करें और जब हम जब ऐसा करने में कामयाब होते हैं तो अप्रैल फूल बोलते हुए चिल्लाते हैं। आजकल के लोग बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक हर किसी को मूर्ख बना देते हैं। कई बार तो मजाक इतना ज्यादा रीयल होता है कि उन्हें बाद में पता चलता है वो अप्रैल फूल बन गए हैं। इस दिन लोगों अपने दोस्तों, करीबियों या फिर परिवार के सदस्यों को बेवकूफ बनाकर सेलिब्रेट करते हैं, लोगों के साथ प्रैंक या मजाक करने के बाद उत्साह में वो अप्रैल फूल डे कहकर चिल्लाते भी हैं।पहले यह दिन फ्रांस और कुछ अन्य यूरोपीय देशों में ही मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे दुनियाँ भर के देशों में अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा। अप्रैल फूल डे’ मनाए जाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। मूर्ख दिवस यानी अप्रैल फूल्स डे के दिन लोग दूसरों को मूर्ख बनाते हैं और खुद भी बनकर फूल्स डे एंज्वॉय करते हैं। कई देशों में हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। कहीं- कहीं इसे ऑल फूल डे भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं और जोक्स कहते-सुनते हैं। इस दिन जो बेवकूफ बन जाता है उसे ‘अप्रैल फूल’ कहकर सब चिढ़ाते हैं। अप्रैल फूल डे का थीम यही है कि जिंदगी में खोए हुए खुशियों के पल को वापस लाएं और तनाव मुक्त होकर निरोग जीवन जीने के तरफ एक कदम और बढ़ाएं। ज़्यादातर लोगों के पास अप्रैल फूल्स डे से जुड़ी बचपन की यादें होती ही हैं, परिवार, रिश्तेदार और दोस्तों के साथ 1 अप्रैल को की गई शरारत सबके चेहरे पर मुस्कुराहट ला देती है। ‘अप्रैल फूल बनाया, बड़ा मज़ा आया’ या ‘तो उनको गुस्सा आया’ जैसे जुमलों के लिए इस दिन का शरारती लोगों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। इस दिन कई लोग अपने करीबियों को हैरान करने के लिए नए – नए तरीके खोजते हैं और फिर बाद में उनकी प्रतिक्रिया को देखकर मजा लेते हैं। हंसी-मजाक के लिए समर्पित अप्रैल फूल्स डे हर साल एकरस होती जा रही रूटीन लाइफ से एक बहुत ज़रूरी ब्रेक देता है। इसके अलावा अपने दोस्तों और नजदीकी लोगों के साथ कुछ मौज – मस्ती करने का मौका भी देता है। डिजिटल युग में, अप्रैल फूल्स डे ने ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म और सोशल मीडिया नेटवर्क के साथ हंसी-मजाक या प्रैंक करने का नया तरीका भी हासिल कर लिया है। हालांकि, इस दिन दूसरों के साथ शरारत करने वाले लोगों को यह समझना चाहिए कि हर कोई मजाक का निशाना बनना पसंद नहीं करता है, इसलिए, हंसी-मजाक करते समय भी सामाजिक दायरों का ख्याल रखना चाहिए, अब हर दिन बेवकूफ बन रहे लोग ! पहले एक दिन ही मूर्ख दिवस मनाने का चलन था, लेकिन आजकल तो लोग हर दिन ही मूर्ख बन रहे हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए, हनीट्रैप के जरिए, फर्जी ईमेल या मैसेजेज, ऑनलाइन लॉटरी जीतने आदि के नाम पर लोग इन दिनों रोजाना ही बहुत आसानी से मूर्ख बन रहे हैं।

साथियों बात अगर हम 1 अप्रैल 2025 को अप्रैल फूल बनाने के इतिहास की करें तो, वैसे तो इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिलता है कि 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे क्यों मनाया जाता है, लेकिन इसको लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, जिनमें से एक के अनुसार, अप्रैल फूल डे की शुरुआत 1381 में हुई थी। बताया जाता है कि उस समय के राजा रिचर्ड जीती और बोहेमिया की रानी एनी ने घोषणा करवाई कि वो दोनों 32 मार्च 1381 को सगाई करने वाले हैं। सगाई की खबर सुनकर जनता खुशी से झूम उठी, लेकिन 31 मार्च 1381 के दिन लोगों के समझ आया कि 32 मार्च तो आता ही नहीं है। इसके बाद लोग समझ गए कि उन्हें मूर्ख बनाया गया है, बताया जाता है कि तभी से 32 मार्च, यानी 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। कुछ किस्सों के मुताबिक, अप्रैल फूल डे की शुरुआत 1392 में ही हो चुकी थी। कुछ कहानियों के अनुसार, यूरोपीय देशों में पहले 1 अप्रैल को न्यू ईयर मनाया जाता था।लेकिन, पोप ग्रेगरी 13 ने जब नया कैलेंडर अपनाने के आदेश दिए तो नया साल 1 जनवरी से मनाया जाने लगा, कुछ लोग अभी भी 1 अप्रैल को ही नया साल मना रहे थे। तब ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर उनका मजाक उड़ाया जाता था। इस तरह अप्रैल फूल डे की शुरुआत हुई। हालांकि, 19वीं शताब्दी तक अप्रैल फूल डे काफी प्रचलित हो चुका था।कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में इस दिन की शुरुआत 19 वीं सदी में अंग्रेजों ने की थी। आज के समय में भारत में भी लोग इस दिन लोग मस्ती-मजाक करते हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशेषण करें तो हम पाएंगे कि मूर्ख दिवस 1 अप्रैल 2025-हम दूसरों को और ख़ुद भी मुर्ख बनाकर एंजॉय करते हैं।अप्रैल फूल बनाया, उनको गुस्सा आया, मेरा क्या कसूर ज़माने का कसूर, जिसने दस्तूर बनाया।पहले एक ही दिन मूर्ख दिवस बनाने का चलन था,आज हर दिन डिजिटल प्लेटफॉर्म, हनीट्रैप, फर्जी ईमेल, बैंक फ्रॉड, मैसेज, ऑनलाइन लॉटरी इत्यादि से रोज़ाना मूर्ख बन रहे हैं।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र *

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