बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर पंजाब के विभिन्न शहरों में दिवाली की तरह ही पटाखों का जोरदार उपयोग हुआ। इसके चलते राज्य के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर तक पहुँच गया। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि त्योहारों और पराली जलाने के कारण हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट आई है।
अमृतसर और जालंधर में गंभीर प्रदूषण
राज्य के प्रमुख शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर बेहद चिंताजनक रहा। अमृतसर और जालंधर में एक्यूआई अधिकतम 500 तक पहुँच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। लुधियाना का एक्यूआई 419, पटियाला का 323, मंडी गोबिंदगढ़ का 325, खन्ना का 321 और बठिंडा का 273 रिकॉर्ड किया गया। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि ज्यादातर शहरों की हवा स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हो चुकी है।
पटाखों और पराली जलाने से बढ़ा प्रदूषण
विशेषज्ञों के अनुसार, मंगलवार रात 11 बजे से 1 बजे के बीच वायु गुणवत्ता सबसे खराब रही। पटाखों से निकलने वाला धुआँ और पराली जलाने की आदतें प्रदूषण में मुख्य योगदान दे रही हैं। इसके अलावा, त्योहारों के दौरान वाहनों की बढ़ती आवाजाही ने भी हवा की गुणवत्ता को और बिगाड़ा है।
स्वास्थ्य के लिए गंभीर चेतावनी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन रोगियों को सुबह और शाम के समय बाहर निकलने से बचने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों तक वायु की स्थिति में सुधार की उम्मीद कम है क्योंकि तापमान में गिरावट जारी है और प्रदूषण के स्रोत सक्रिय हैं।
आगे की संभावना
विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि पराली जलाने और पटाखों के इस्तेमाल पर नियंत्रण नहीं किया गया तो अगले कुछ दिनों में पंजाब के शहरों में वायु प्रदूषण और बढ़ सकता है। लोगों को खुद की सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से सतर्क रहने की आवश्यकता है।