चंडीगढ़ 23 अक्टूबर। चंडीगढ़ नगर निगम गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहा है। 1 अप्रैल से 15 अक्टूबर तक के लेखा-जोखा के अनुसार, निगम के खाते में अब केवल 12-13 करोड़ रुपए ही बचे हैं। यदि जल्द प्रशासन से ग्रांट नहीं मिली, तो कर्मचारियों का वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा। इस बीच, यह चौंकाने वाली बात सामने आई है कि निगम कांट्रेक्ट पर रखे कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों से ज्यादा सैलरी दे रहा है। इसके अलावा, छोटे कार्यों पर 59 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए हैं। कोविड-19 के चलते बनाए गए अस्थायी दफ्तरों पर 70 लाख रुपए खर्च हुए, जो अभी भी चल रहे हैं।
निगम का वित्तीय संकट गहराया
निगम का कुल खर्च वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लगभग 1110 करोड़ रुपए है, जबकि अब तक खुद की कमाई और प्रशासन से मिले ग्रांट से सिर्फ 910 करोड़ रुपए ही जुटाए जा सके हैं। इसका मतलब है कि निगम को 200 करोड़ रुपए के घाटे का सामना करना पड़ रहा है। अगर जल्द 200 करोड़ की सहायता नहीं मिली, तो कर्मचारियों का वेतन देना भी मुश्किल हो जाएगा। निगम के खाते में इस वक्त 35 करोड़ रुपए हैं, लेकिन इसमें से 22 करोड़ रुपए एनजीटी के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में वास्तविक रूप से निगम के पास केवल 12-13 करोड़ रुपए ही बचे हैं।