निगम ओएंडएम सेल में 3.16 करोड़ घोटाले का मामला
लुधियाना 2 फरवरी। नगर निगम लुधियाना में नगर निगम के ओएंडएम सेल के एक्सियन रणबीर सिंह, डीसीएफए पंकज गर्ग और रिटयार्ड एसई राजिंदर सिंह द्वारा पावरकॉम विभाग के नाम पर सरकारी खजाने से 3.16 करोड़ रुपए निकालकर घोटाला किया गया था। इन तीनों आरोपियों की और से करीब दो साल तक जमकर सरकारी पैसों का इस्तेमाल किया गया और फिर जब घोटाला उजागर हुआ तो अलग अलग तारीखों पर पेमेंट वापिस जमा करवा दी। लेकिन इनकम टैक्स एक्सपर्ट की माने तो आईटी के 69 एक्ट के तहत अगर कोई इतना पैसा जमा कराता है, तो उसे बकायदा इसका सोर्स बताना पड़ता है। जबकि अगर न बता पाए तो उसे 100 प्रतिशत पेनल्टी पड़ती है। ऐसे में उक्त अधिकारियों द्वारा दो साल पहले निकाली 3.16 करोड़ की रकम को इस्तेमाल के बाद वहीं रकम बता जमा करवा दी गई। लेकिन नियमों के तहत ऐसे नहीं हो सकता। इसके चलते उक्त तीनों आरोपियों को 3.16 की 100 प्रतिशत पेनल्टी के मुताबिक 6.32 करोड़ रुपए जमा करवाने चाहिए। लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि नगर निगम के अधिकारियों द्वारा इतनी रकम आरोपियों द्वारा जमा करवाने के बावजूद उनसे पूछताछ नहीं की जा रही कि आखिर उनके पास इतना पैसा आया कहा से था। हैरानी की बात तो यह है कि इनकम टैक्स विभाग भी इस पर शांत बैठा है।
आरोपी खुद मिसयूज ऑफ फंड की गलती मान चुके
इस मामले में विजिलेंस की और से एफआईआर दर्ज की गई। जिसके बाद एक्सियन रणबीर सिंह को गिरफ्तार भी कर लिया। रणबीर सिंह खुद मान चुके हैं कि उन्होंने मिलकर यह गलती की है और बकायदा पेमेंट जमा करवाने की डिटेल भी सामने आ चुके है। ऐसे में अगर आरोपी खुद ही मिसयूज ऑफ फंड की बात मान चुके हैं तो उन पर पेनल्टी भी बनती है और उसे वसूल करना भी जरुरी है।
जांच में कई लोगों के नाम आ सकते हैं सामने
चर्चा है कि एक्सियन रणबीर सिंह, डीसीएफए पंकज गर्ग और रिटयार्ड एसई राजिंदर सिंह द्वारा सरकारी तंत्र और राजनीतिक शह पर ही यह घोटाला किया गया था। चर्चा है कि अब उनके आका ही उन्हें बचाने में लगे हुए हैं। जिसमें नगर निगम के कई नामी अधिकारी भी शामिल होने की चर्चा है। वहीं चर्चा यह भी है कि अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत के बाद ही घोटाले को अंजाम दिया गया।
घोटाला उजागर न होता तो हड़प जाते सारा पैसा
जानकारी के अनुसार आरोपियों द्वारा एडवांस बताकर यह पेमेंट निकाली गई थी। दो साल तक तो मामला शांत रहा। आरोपी जमकर सरकारी पैसे का लुतफ उठाते रहे। लेकिन रिकॉर्ड कस्टोडियन जसपिंदर द्वारा जब रिकॉर्ड चैक किया गया तो उसे टेपरिंग नजर आई। मामले ने तुल पकड़ लिया। जिसके बाद आरोपियों को लगा की वे फंस सकते हैं। ऐसे में उन्होंने पेमेंट जमा करवा दी। लेकिन अगर घोटाला उजागर न होता तो आरोपी पूरी पेमेंट हड़प कर जाते।
बैंक अधिकारी भी रडार पर
बता दें कि बैंक में अगर आम व्यक्ति 50 हजार रुपए से ऊपर जमा कराता है तो उससे पैन कार्ड मांगा जाता है, जबकि दो लाख से ऊपर जमा कराने पर बैंक द्वारा इनकम टैक्स विभाग को सूचना भेजी जाती है। ऐसे में आरोपियों द्वारा इतना पैसा बैंक के जरिए निगम खाते में जमा कराया और फिर भी बैंक द्वारा इसकी जानकारी आगे नहीं भेजी गई। जिससे आशंका है कि बैंक के अधिकारियों की भी आरोपियों के साथ सेटिंग है। चर्चा है कि बैंक के कई अधिकारी भी रडार पर हैं।
इनकम टैक्स विभाग द्वारा नहीं लिया जा रहा एक्शन
चर्चा है कि आरोपियों ने बेशक 3.16 करोड़ रुपए जमा करवा दिए। लेकिन इतने पैसे कुछ दिनों में जमा कराना भी बड़ा सवाल है। इनकम टैक्स विभाग भी इसमें शांत हुए बैठा है। विभाग के अधिकारियों को आखिर इतना पैसा इकट्ठा लाने के मामले में जांच करने की जरुरत है।
सरेआम घूम रहा आरोपी राजिंद्र, विजिलेंस की नजर में फरार
गौर हो कि मामला दर्ज होने के बाद रिटयार्ड एसई राजिंद्र सिंह की बेटी की निरवाना क्लब में शादी थी। राजिंद्र सिंह शादी में जमकर एंजॉय कर रहे थे। शादी में कई राजनेता भी पहुंचे थे। लेकिन फिर भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया। चर्चा है कि आरोपी राजिंद्र सिंह सरेआम शहर में घूम रहा है। लेकिन विजिलेंस उसे फरार बता रही है।
निगम कमिश्नर भी बैठे हैं शांत
वहीं नगर निगम कमिश्नर आदित्य डेचलवाल भी इस मामले में शांत बैठे हैं। वैसे तो उन्होंने बतौर निगम कमिश्नर ज्वाइंन करते हुए कहा था कि वह किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगें। लेकिन अब उनके सामने ही विभाग के अधिकारी लगातार एक के बाद एक भ्रष्टाचार कर रहे हैं, लेकिन वह फिर भी शांत बैठे हैं।
यह मिसयूज ऑफ फंड है
वहीं मामले संबंधी सीए अमरजीत कंबोज ने कहा कि नगर निगम एक गावर्नमेंट बॉडी है, जिसके चलते इनकम टैक्स उनकी पेमेंट जमा कराने व निकालने में दखल नहीं दे सकता। लेकिन निगम खाते से 3.16 करोड़ निकालना और उसे अपने पास दो साल रखकर फिर जमा कराना, यह मिसयूज ऑफ फंड है। अगर मुलाजिमों ने निगम के पैसे नहीं इस्तेमाल किए और उनके पास पड़े थे, तो पूरी पेमेंट एक साथ जमा करवा सकते थे। ऐसे में अलग अलग जमा कराना, कही न कही आशंका जाहिर करता है। इनकम टैक्स विभाग दो साल पेमेंट घर रखने पर आपत्ति जता सकता है।