अधिकारी व मौकाप्रस्त की मिलीभगत, फिर देंगे सरकार को गच्चा
लुधियाना 5 फरवरी। लुधियाना के साउथ सिटी स्थित साउदर्न बाइपास पर पंजाब सरकार की और से प्रस्तावित सरकारी टाउनशिप की आढ़ में बड़ा खेल होने की चर्चाएं हैं। दरअसल पंजाब सरकार द्वारा यह टाउनशिप ग्लाडा के अधीन शुरु की जानी थी। लेकिन अब किन्हीं कारणों से यह टाउनशिप का प्रोजेक्ट बीच में ही लटक गया है। चर्चा है कि अब कुछ रियल एस्टेट कारोबारियों द्वारा अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके इस टाउनशिप की जमीन में हेरफेर करने का प्रयास किया जा रहा है। कारोबारियों द्वारा अधिकारियों के साथ मिलकर कुछ जमीनें सरकारी प्रोजेक्ट से बाहर निकालकर उसकी जगह नई प्राइवेट टाउनशिप बनाने का प्रयास किया जा रहा है। एक तरफ तो पंजाब सरकार द्वारा पहले वहां कॉलोनियां बने कॉलोनाइजरों को रोक दिया गया था, वहीं अब दूसरी तरफ अधिकारियों द्वारा कुछ रियल एस्टेट कारोबारियों के साथ मिलकर हेरफेर करके वहां कॉलोनियां बनवाने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में आशंका है कि जल्द साउदर्न बाइपास पर रियल एस्टेट सेक्टर में जल्द गृहयुद्ध छिड़ सकता है। मौकाप्रस्त लोगों और अधिकारियों की और से मिलकर सरकार को बड़ा चुना लगाने की कोशिश की जा रही है।
ऐसे हेरफेर करने का हो रहा प्रयास
चर्चा है कि कई रियल एस्टेट कारोबारियों की और से सरकारी टाउनशिप न बनते देख ग्लाडा के अफसरों के साथ सेटिंग करनी शुरु कर दी। उनकी और से सरकारी टाउनशिप से जमीन का कुछ हिस्सा दस्तावेजों में बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि वह हिस्सा और अन्य जमीन मिलाकर वहां टाउनशिप बनाई जा सके। इसके लिए बड़े सत्र पर अधिकारियों की जेब गर्म भी की जा रही है। चर्चा है कि ऐसे हेरफेर कर कई फाइलें तो पास होने के लिए विभाग के पास भेजी भी जा चुकी हैं।
सरकार को जानबूझकर बेची जा रही थी महंगी जमीनें
जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार की और से करीब 1700 एकड़ में टाउनशिप बनाई जानी थी। जब सरकार ने टाउनशिप का ऐलान किया तो सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के करीबियों ने टाउनशिप के रास्ते में आने वाली जमीनें खरीदनी शुरु कर दी। इस दौरान 15-20 लाख रुपए की जमीन दो करोड़ रुपए तक बिकी। सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के करीबियों ने वहीं जमीनें आगे सरकार को दोगुने दाम में बेचनी शुरु कर दी। चर्चा है कि जब इस हेरफेर का खुलासा हुआ तो सीएम भगवंत मान ने टाउनसिप का काम बीच में रखवा दिया, ताकि किसी तरह का कोई हेरफेर होने पर सरकार की बदनामी न हो।
सरकार ने रोकी थी कॉलोनियों की फाइलें
जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा इस टाउनशिप का ऐलान करने से पहले कई कॉलोनाइजरों द्वारा वहां पर कॉलोनियां डवेलप की जा रही थी। जिसके लिए बकायदा फाइलें भी पास होने के लिए ग्लाडा को भेज रखी थी। लेकिन सरकार द्वारा ऐलान करने के बाद सरकार ने लिखित रुप में कहा था कि वहां पर सरकारी टाउनशिप बनने जा रही है। जिसके चलते वहां कॉलोनी डवेलप नहीं हो सकती। एक तरफ तो सरकार ने खुद कॉलोनियों को बनने से रोका और अब ग्लाडा के अधिकारियों के साथ मिलकर कुछ कॉलोनाइजर वहां कॉलोनी बनाने की जुगत में लगे हैं।
पुराने कॉलोनाइजर भी ताक में बैठे
चर्चा है कि एक तरफ तो पुराने कॉलोनाइजरों को सरकार ने कॉलोनियां डवेलप करने से रोक दिया। दूसरी तरफ नए कॉलोनाइजरों को कॉलोनियां डवेलप कराने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में पुराने कॉलोनाइजर ताक में बैठे हैं कि कब अधिकारियों द्वारा इललीगल तरीके से कॉलोनियां डवेलप करवाई जाए और कब वे उनके खिलाफ मोर्चा खोल सके।