फाजिल्का 16 अक्टूबर। अगर कभी न हार मानने का जुनून हो और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है। कुछ इसी तरह की मिसाल पेश की है जलालाबाद गांव स्वाहवाला की रहने वाली अनीशा ने। पिता के साथ हुए हादसे के बाद आर्थिक मंदी की दौर से गुजरी अनीशा ने मन में अधिकारी बनने की ठानी। परीक्षा में दो बार फेल होने होने के बाद तीसरी बार दी गई परीक्षा में आखिरकार वह आज जज बन गई। जिसका गांव और पारिवारिक सदस्यों ने ढोल की थाप पर नाच कर स्वागत किया। गांव स्वाहवाला निवासी अनीशा ने बताया कि हरियाणा में एचसीएस ज्यूडीशियल (न्यायिक) सेवा परीक्षा हुई थी। जिसके परिणाम के दौरान उन्हें 55वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने बताया कि इससे पहले वह दो बार परीक्षा दे चुकी है। जिसमें दूसरी बार वह पंजाब में हुई परीक्षा के दौरान पास भी हुई और इंटरव्यू में महज दो नंबर से रह गई। लेकिन अब उनके द्वारा तीसरी बार हरियाणा में दी गई परीक्षा के दौरान जज बनने का अवसर मिला है। जिसके बाद वह घर लौटी है और पारिवारिक सदस्यों ओर गांव निवासियों ने उसका भव्य स्वागत किया।
18 घंटे वर्कशॉप में किया काम
अनीशा ने कहा कि पहले उनके पिता को ब्रेन हेमरेज हुआ, तो उनकी एक आंख की रोशनी चली गई। इलाज के लिए पैसा तक नहीं था। ऐसे दौर से गुजरने के बाद उसने ठानी कि वह कुछ करके दिखाएगी और उसे अधिकारी बनना है। जिसने यह साबित कर दिया कि अगर मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो हौसले बन ही जाते हैं। जबकि अनीशा के पिता जय चंद ने कहा कि उन्होंने अपनी बच्ची के लिए वह 24 में से 18 घंटे वर्कशॉप पर काम करते रहे। मकसद एक ही था कि उनकी बच्ची पढ़ लिखकर अपना मुकाम हासिल करें। उनकी मेहनत रंग लाई है और उनकी बच्ची जज बन गई है। परिवार में बेहद खुशी का माहौल है।