बिजली बिल रद्द करवाने की मांग को लेकर किसानों ने जालंधर के शक्ति सदन में चल रहे बिजली घर का घेराव कर दिया। किसानों का कहना है कि उनकी मेन डिमांड है कि ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2025 को पूरी तरह वापस लिया जाए, प्रीपेड/स्मार्ट मीटर हटाए जाएं और पुरानी मीटर सिस्टम वापस लाई जाए।
किसानों का आरोप – प्राइवेटाइजेशन का खतरा
किसान नेताओं का कहना है कि नए कानून और सरकार की पॉलिसीज बिजली बोर्ड के प्राइवेटाइजेशन का रास्ता साफ करती हैं। इससे किसानों, मजदूरों और कॉमन यूजर्स पर एक्स्ट्रा बर्डन पड़ेगा। किसान नेता जसवंत सिंह ने कहा कि अगर बिजली विभाग केंद्र या प्राइवेट एजेंसियों के अंडर चला गया, तो आम लोगों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि बिल में लिखा है कि फैक्ट्रियों के बिजली रेट घरों के बराबर होंगे, जो आम जनता के लिए सही नहीं है, क्योंकि उद्योगपतियों के मुकाबले किसान और लोक लोग सिर्फ परिवार चलाते हैं। एसकेएम् की कल चंडीगढ़ में मीटिंग है, जिसमें बड़ा फैसला लिया जा सकता है।
जगरांव में भी बड़ा विरोध प्रदर्शन
जगरांव के सिधवां रोड पावरकॉम ऑफिस के बाहर भी किसानों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। उन्होंने विद्युत अधिनियम 2025 को जनविरोधी बताया और इसे तुरंत रद्द करने की मांग उठाई।
किसानों का कहना है कि नया एक्ट पूरी बिजली व्यवस्था कॉरपोरेट्स को दे देगा। क्रॉस सब्सिडी खत्म होने से गरीब, मजदूर और किसान सीधे प्रभावित होंगे। नए स्मार्ट मीटर और एडवांस पेमेंट की अनिवार्यता से गरीब लोग बिजली से वंचित हो सकते हैं।
बीज अधिनियम पर भी नाराजगी
प्रदर्शन में किसानों ने नए बीज अधिनियम को भी खारिज करने की मांग की। उनका कहना है कि यह कानून किसानों के पारंपरिक अधिकार छीनकर बीजों पर कॉरपोरेट कंट्रोल बढ़ाता है, जिसे किसी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
कई किसान संगठनों के नेता इस धरने में मौजूद रहे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
