सुपर एक्सक्लूसिव यूटर्न पार्ट वन
लखनऊ 6 जुलाई : साधू जिन्हें हम बाबा भी कहते हैं वह एकांतवास में विश्वास करते है। वह खुद को तकलीफ में डालकर दूसरों की मदद करते है। तो फिर यह लोग कौन है? जिनके पास अरबो की सम्पत्ति है, तो फिर यह कहां से प्रकट हुए है जो लाव लश्कर के साथ चलते हैं । लग्जरी कारों में यात्रा करते हैं और महंगे फ्लैट में रहते हैं। इस बड़े सवाल के साथ यूटर्न पहुंचा पब्लिक के बीच। उसी पब्लिक के बीच जो बाबा को बड़े बाबा बना देती है। वैसे तो देश में बाबाओं की कमी नहीं है। बात अगर टॉप 10 बाबा की करें तो इनकी नेटवर्थ अरबों रूपयों को क्रास कर जाएगी। हर राज्य और उनके शहरों में अलग—अलग बाबा है। कोई नामी और कोई गुमनामी में अपनी—अपनी जयजयकार करवा रहे हैं। हर बाबा के काम अलग—अलग है। कोई नौकरी लगवाता है तो कोई सफल शदी ब्याह करवाता है। लेकिन नकली बाबाओं में काम सबके एक है और वह है पैसा कमाना। बाबा आश्रम के नाम पर मेन लोकशन की जमीनों पर कब्जा जमाते हैं और यही से शुरू होता है बाबागिरी का असली धंधा। बात अगर सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा की करें तो देशभर में करीब 24 आश्रम होने का पता चला है। उसके आश्रमों के पास 100 करोड से ज्यादा की जमीन है। लग्जरी कारों का बड़ा काफिला है। और खुद बाबा फार्चुयनर कार से चलते हैं।
कॉरपोरेट की भाषा में पीआर नेटवर्किंग होती है
नेटवर्क से करवा देते हैं काम
यह तो एक बानगी भर है। भोले बाबा का नाम हादसे के कारण लोगों की जुबान पर है और हम उन्हें जान सके हैं 121 लोगों के मरने के बाद। लेकिन न जाने कितने ऐस बाबा है जो आस्था के नाम पर करोड़ो अरबों का व्यापार कर रहे हैं। मैनेजमेंट गुरू श्रीनिवास कहते हैं कि जमीन दुकान और मकान के मसलों के अतिरिक्त बेरोजगारों की नौकरी लगाने के चलते इन बाबाओं से लोग आसानी से जुड़ते हैं। यह अपनी नेटवर्क छमता के बल पर असानी से ग्रेज्युएट स्तर के लोगों को नौकरी फक्ट्री, दुकान कंपनी में नौकरी पर रखवा देते हैं। बस यही से इनके प्रति लोगो का आकर्षण बड़ने लगता है और लोग जुड़ते चले जाते हैं। कारपोरेट की भाषा में हम पीआर नेटवर्क कहते हैं। जहां बहुत से अलग—अलग लोगों को बुलाया डिनर/ लंच आदि पर बुलाया जाता है। फिर लोग एक दूसरे को जानते हैं और वहीं से टच में आते हैं और फिर व्यापारिक रिश्ते बनते हैं। इसी फार्मूले को यह बाबा देसी स्टाइल में लोगों पर लागू करते हैं।
दिमाग से खेलते हैं बाबा
सुमन देवी कहतीं हैं कि यह बाबा लोग दिमाग से खेलते हैं। वह कई बाबाओं को जानती जरूर है लेकिन कभी किसी आश्रम या फिर दिक्षा आदि लेने कहीं गयी नहीं है उनके मुताबिक जो मांगना है वह ईश्वर से मांगों यह बाबा भी उनही से मांगते हैं।
आनंद मिश्रा कहते हैं कि बाबाओं का जाल है। और जो उसमें फंस गया उसका निकलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। इसलिए मैं कहता हूं कि इनसे खुद और परिवार को बचा कर रखो। जो मांगना है ईश्वर से मांगों।
सर पर गमछा बांधे महादेव कहते हैं कि ओरिजन महादेव की कृपा है तो फिर बाबाओं की क्या जरूरत। वह खुद सवाल पूछते हैं कि आखिर इतनी भीड़ इनके पास कहां से और कैसे पहुंच जाती है।
रवि कुमार कहते हैं कि पूरे सिस्टम को बाबाओं ने हाईजैक कर लिया है। लोगों को समझना चाहिए और इनसे बच कर रहना चाहिए। पूजा करिये अपने मां—बाप की इज्जत कीजिए और दूसरों के काम आइये फिर किसी बाबा की जरूरत नही।
अजय यादव कहते हैं कि मनोविज्ञान के मुताबिक बाबा आप को पढ़ लेते हैं। इतनी शक्ति जरूर इन लोगों के पास होती है। उसके बाद फिर वह आप से खेलते हैं। आप की भक्ति् का मखौल बना देते हैं। हादसा दुखद है और निदंनीय है। न जाने कितने लोगों की जान चली गयी। सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
राकेश वर्मा के मुताबिक इन दिनों हादसों की बाढ़ सी आई है। अभी तमिलनाडू में हादसा हुआ। हज में सैकड़ो लोग मारे गये और अब हाथरस में एक साथ इतने लोगों की मौत हो गयी। मुझे तो यह अपशकुन लगता है। अभी भी समय है हम सब सुधर जाये और ईश्वर से लौ लगाये।
चेतराम कहते हैं कि लोगों की अब तो आंखे खुल जानी चाहिए। थोक में लोग मर रहे हैं। अगर कोई इस तरह के कार्यक्रम में जा रहा है तो समझदार लोगों को जा रहे लोगों को रोकना चाहिए।