सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पहली बार आदेशित ईवीएम पुनर्गणना ने हरियाणा पंचायत चुनाव के परिणाम को पलट दिया

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हरियाणा 14 अगस्त। अपनी तरह की पहली प्रक्रिया में, सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा के पानीपत के बुआना लाखू गाँव की ग्राम पंचायत के सरपंच के चुनाव से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और अन्य रिकॉर्ड मंगवाए और अपने परिसर में पुनर्गणना करवाई, जिसके परिणामस्वरूप परिणाम उलट गए। पुनर्गणना सर्वोच्च न्यायालय की ओएसडी (रजिस्ट्रार) कावेरी द्वारा दोनों पक्षों और उनके अधिवक्ताओं की उपस्थिति में की गई और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी हुई। न्यायमूर्ति सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि उपायुक्त-सह-निर्वाचन अधिकारी, पानीपत को निर्देश दिया जाता है कि वे दो दिनों के भीतर इस संबंध में एक अधिसूचना जारी करें। जिसमें अपीलकर्ता मोहित कुमार को उपर्युक्त ग्राम पंचायत का निर्वाचित सरपंच घोषित किया जाए। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने आदेश दिया कि अपीलकर्ता मोहित कुमार तत्काल उक्त सरपंच पद का ग्रहण करने और अपने कर्तव्यों का पालन करने के हकदार होंगे।

2022 में हुए थे पंचायती चुनाव

यह विवाद 2 नवंबर, 2022 को हुए सरपंच के चुनाव से संबंधित था, जिसमें कुलदीप सिंह को प्रतिद्वंद्वी मोहित कुमार के मुकाबले निर्वाचित घोषित किया था। अपीलकर्ता ने पानीपत के अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ प्रभाग)-सह-चुनाव न्यायाधिकरण के समक्ष परिणाम को चुनौती देते हुए एक चुनाव याचिका दायर की। जिसने 22 अप्रैल 2025 को उपायुक्त-सह-चुनाव अधिकारी द्वारा 7 मई 2025 को बूथ संख्या 69 के मतों की पुनर्गणना का आदेश दिया। हालाँकि, चुनाव न्यायाधिकरण के आदेश को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1 जुलाई, 2025 को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय के आदेश से व्यथित होकर, कुमार ने शीर्ष अदालत का रुख किया। 31 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम और अन्य रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

सभी बूथों की हुई पुनर्गणना

6 अगस्त को ओएसडी (रजिस्ट्रार) कावेरी ने सभी बूथों (65 से 70) के मतों की पुनर्गणना की और एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कुल 3,767 मतों में से याचिकाकर्ता मोहित कुमार को 1,051 मत मिले, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रतिवादी कुलदीप सिंह को 1,000 मत प्राप्त हुए। इस न्यायालय के ओएसडी (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर प्रथम दृष्टया संदेह करने का कोई कारण नहीं है, खासकर जब पूरी पुनर्गणना की विधिवत वीडियोग्राफी की गई हो और इसके परिणाम पर पक्षों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हों।

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