watch-tv

अपना ‘रिपोर्ट कार्ड’ पेश करते उद्यमी लगे हाथों दिखा बैठे लुधियाना के सांसदों का ‘रिपोर्ट-कार्ड’

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

मंत्री बिट्टू पहुंच से बाहर, एमपी वड़िंग काबिल, मगर तालमेल नहीं करते, सांसद अरोड़ा इंडस्ट्री-फ्रैंडली बने

लुधियाना 12 सितंबर। जाहिर है कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ इंडस्ट्री होती है। ऐसे में अगर लुधियाना की बात करें तो इस औद्योगिक-नगरी की पहचान तो दुनिया के नक्शे पर है। इसके बावजूद स्थानीय उद्यमी अपनी समस्याओं के हल ना होने की वजह से ज्यादातर जनप्रतिनिधियों से खफा हैं।

ऐसे निकली उद्यमियों की भड़ास :

गत दिवस यहां एपेक्स चैंबर ने मीटिंग के दौरान अपने दो साल के कामकाज का रिपोर्ट-कॉर्ड पेश किया। इसी दौरान 428 मेंबरों ने वरिष्ठ उद्यमी रजनीश आहूजा को प्रेसिडेंट भी चुना गया। खैर, एपेक्स के ओहदेदार जब अपनी उपलब्धियां गिनवा रहे थे तो उन्होंने कई मुद्दों यानि अपनी प्रमुख समस्याओं का जिक्र भी किया। जो समस्याएं हल नहीं हो सकीं, उनको लेकर उद्यमियों ने केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ खुलकर भड़ास निकाली। फिर सीधे तौर जनप्रतिनिधियों के नाम लेकर उनकी नाकामियां तक उजागर कर दीं।

राज्यमंत्री रवनीत बिट्टू को बताया नाकाम

सवाल, क्या इसी तरह बनेंगे वह सीएम-फेस :

यहां बता दें कि एपेक्स प्रेसिडेंट रजनीश आहूजा बुजुर्ग होने के साथ बेबाकी से बात करने के लिए जाने जाते हैं। आहूजा और बाकी ओहदेदारों ने रोष जताया कि केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने कारोबारियों को अपने चार फोन नंबर दिए थे। उसमें से वह एक भी नहीं उठाते हैं। वह पहले से ही ऐसा करते रहे हैं। यहां काबिलेजिक्र है कि बिट्टू लुधियाना से दो बार लगातार लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने। ऐसे में उद्यमियों को केंद्र से जुड़ी अपनी समस्याओं को लेकर उनसे बड़ी उम्मीदें थीं। इस लोस चुनाव में लुधियाना से ही बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के दौरान बिट्टू ने इंडस्ट्री को बड़े-बड़े सपने दिखाए थे। चुनावी घोषणापत्र में बड़े वादे किए, लेकिन मंत्री बनकर भी वह उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। लिहाजा उद्यमी एक तरह से उनसे नाउम्मीद हो चुके हैं।

सांसद राजा वड़िंग भी ‘गुड-बुक’ में नहीं,

सैर करते भी उद्यमियों का हाल ना जाना :

लुधियाना से ही लोकसभा चुनाव जीते कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग से भी उद्यमी खुश नहीं लगते हैं। दरअसल उन्होंने तो चुनाव प्रचार के दौरान विजन-डॉक्युमेंट जारी कर दावा किया था कि वह इंडस्ट्री की तमाम समस्याएं हल कराएंगे। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने लोकसभा क्षेत्र में उद्यमियों से कोई मीटिंग नहीं की। इसे लेकर उद्यमी तंज कसते हैं कि एमपी वड़िंग को पार्कों में सैर करने का शौक है, वहां भी उद्यमी जाते हैं। थोड़ा वक्त निकालकर वहीं उद्यमियों का हाल जान लेते तो वह कुछ संतुष्ट हो जाते। गौरतलब है कि वड़िंग और उद्यमियों के बीच तालमेल कराने की असल जिम्मेदारी कांग्रेस जिला प्रधान संजय तलवाड़ की बनती है। वह भी कारोबारी हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद से तलवाड़ हताश हैं। उन्होंने खुद उद्यमियों से किनारा कर लिया। अब वड़िंग को भी उद्यमियों-कारोबारियों से मिलाते तक नहीं हैं। इसका खमियाजा जिला कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा। खैर, इस सबके बावजूद एपेक्स ओहदेदारों ने वड़िंग से उम्मीद नहीं छोड़ी। वह अब खुद सांसद वड़िंग के जरिए केंद्र के आगे अपनी आवाज पहुंचाने की कोशिश भी करेंगे। एपेक्स के प्रेसिडेंट रजनीश आहूजा ने एक बड़ी बात भी कही, जो दोनों सांसदों बिट्टू और वड़िंग के लिए बड़ी सीख साबित हो सकती है। जिससे वह अपने कामकाज की बखूबी समीक्षा भी कर सकते हैं। बुजुर्ग होने के नाते आहूजा ने नसीहत वाले लहजे में कहा कि हर नेता को लुधियाना से राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा के ‘वर्किंग-स्टाइल’ से सीखने की जरुरत है।

सांसद अरोड़ा में उद्यमियों को दिखती है

भूतपूर्व सांसद सतपाल मित्तल की झलक :

अब सवाल यह आता है कि आखिर राज्यसभा सांसद संजीव अरोड़ा उद्यमियों की गुड-बुक में क्यों हैं ? इसका जवाब एपेक्स के प्रेसिडेंट आहूजा व अन्य उद्यमियों ने खुद दे दिया। उन्होंने सांसद अरोड़ा के काम करने के अंदाज को सराहनीय बताया। उनके मुताबिक अरोड़ा ने इंडस्ट्री के कई मुद्दे हल कराए। उन्होंने यहां तक कहा कि केंद्र सरकार के आगे उनके मुद्दे रखने के लिए सांसद अरोड़ा जैसे ही ‘वकीलों’ की कमी खलती है। दरअसल अरोड़ा खुद भी पहल कर उद्यमियों से मिलते हैं। उनकी समस्याएं पहले खुद समझते हैं। फिर होम-वर्क कर बाकायदा नोट्स तैयार कर संसद में मुद्दे उठाते हैं। संबंधित मंत्रियों-अधिकारियों से मीटिंग करके भी समस्या रखते हैं। इस प्रोसेस से कई छोटी समस्याएं तो मौके पर ही मंत्रियों-अधिकारियों के निर्देश से हल भी हो जाती हैं। सांसद अरोड़ा द्वारा महज दो महीने में दस मंत्रियों से मीटिंग करना उनके वर्क-स्टाइल की बड़ी मिसाल है। कई उद्यमी तो यह भी कहते हैं कि इसी महानगर के रहने वाले राज्यसभा के भूतपूर्व सांसद सतपाल मित्तल जैसे उद्यमियों में लोकप्रिय थे, वैसी ही इमेज सांसद अरोड़ा की बन चुकी है।

————–

Leave a Comment