शर्मनाक : सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गवई पर वकील ने की जूता फेंकने की कोशिश

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चंडीगढ़, 6 अक्टूबर। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक वकील ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई पर हमला करने की कोशिश की। यह घटना तब घटी जब सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ वकीलों द्वारा मामलों की सुनवाई कर रही थी।

सूत्रों के अनुसार, वकील मंच के पास गया और अपना जूता निकालकर जज पर फेंकने की कोशिश की। हालांकि, अदालत में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने ऐन मौके पर हस्तक्षेप किया और वकील को बाहर ले गए। बाहर जाते समय वकील को यह कहते सुना गया, सनातन का अपमान नहीं सहेंगे। हालांकि सीजेआई ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अदालत में मौजूद वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उन्होंने कहा, इस सब से विचलित ना हों। हम विचलित नहीं हैं, ये बातें मुझे प्रभावित नहीं करतीं।

यह घटना पिछले महीने एक सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की कथित टिप्पणियों से उपजे विवाद के बाद हुई। जब मुख्य न्यायाधीश गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने राकेश दलाल नामक व्यक्ति द्वारा दायर एक याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया था। दलाल ने मध्य प्रदेश के खजुराहो स्मारक समूह के अंतर्गत आने वाले जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति को पुनर्स्थापित करने के निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि मुगल आक्रमणों के दौरान मूर्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था। बार-बार अनुरोध के बावजूद अधिकारी इसे पुनर्स्थापित करने में विफल रहे। यह घटना संभवतः खजुराहो में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित एक पिछले मामले में मुख्य न्यायाधीश गवई की टिप्पणियों से शुरू हुई थी।

उस मामले को खारिज करते हुए उन्होंने कहा था, जाओ और देवता से ही कुछ करने के लिए कहो। तुम कहते हो कि तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो। तो अब जाओ और प्रार्थना करो। यह एक पुरातात्विक स्थल है और एएसआई को अनुमति देनी होगी आदि। इस टिप्पणी से सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया था और कई लोगों ने मुख्य न्यायाधीश पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया था। दो दिन बाद खुली अदालत में इस विवाद पर बोलते हुए, मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि उनका कोई अनादर करने का इरादा नहीं था। उन्होंने कहा, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं, यह सोशल मीडिया पर हुआ।

केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश का समर्थन करते हुए कहा कि घटनाओं पर प्रतिक्रियाओं को अक्सर सोशल मीडिया पर बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है। उन्होंने कहा, हमने यह देखा है, न्यूटन का नियम है जो कहता है कि हर क्रिया की समान प्रतिक्रिया होती है, लेकिन अब हर क्रिया पर सोशल मीडिया पर असंगत प्रतिक्रिया हो रही है।

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