बसपा का शिअद से गठबंधन टूटने के बाद से थी चर्चा अब सूबे में किस करवट बैठेगा हाथी
लुधियाना 19 मार्च। बहुजन समाज पार्टी ने शिरोमणि अकाली दल-बादल से गठबंधन खत्म कर दिया था। तब से ही सियासी-हल्कों में गाहे-बगाहे चर्चाएं जारी थीं कि पंजाब में अब हाथी किस ‘करवट’ बैठेगा।
उम्मीदवारों का ऐलान होगा जल्द : जानकार सूत्रों के मुताबिक बसपा ने पंजाब में लोकसभा चुनाव अपने ही बलबूत लड़ने की ठान ली है। पार्टी सुप्रीमो मायावती भी इस बाबत हरी झंडी दे चुकी हैं। बाकायदा सभी 13 सीटों पर टिकट के लिए 39 दावेदारों के नामों की सूची बनाकर हाईकमान को भेज दी गई है। दो सप्ताह के दौरान बैठक में उम्मीदवारों के नाम फाइनल होंगे।
हाईकमान से ओके करा बताएंगे प्रधान : बसपा संस्थापक कांशीराम के दौर से ही पार्टी में हाईकमान का फरमान सर्वोपरि रहा है। सूत्र बताते हैं कि बसपा के प्रदेश प्रधान जसवीर सिंह गढ़ी ने दावेदारों की सूची बनाने की रस्म-अदायगी कर दी। हर सीट के लिए औसतन तीन दावेदार सामने आए हैं। बस अब बसपा सुप्रीमो ने उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगानी है।
सूबे में बसपा की सियासी-डगर : पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा ने पंजाब की तीन सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जालंधर से बलविंदर कुमार, होशियारपुर से खुशीराम और आनंदपुर साहिब सीट से विक्रम सिंह सोढी उम्मीदवार थे। इसी तरह पिछले विधानसभा चुनाव में फगवाड़ा सीट से जसवीर सिंह गढ़ी ने भी चुनाव लड़ा था। बसपा ने 1989 के लोस चुनाव में फिल्लौर सीट जीत ली थी। जबकि साल 1992 के विस चुनाव में 9 सीटें जीतकर बसपा ने सबको चौंका दिया था। पिछला विस चुनाव में अकालियों से गठजोड़ के बावजूद पार्टी महज एक सीट जीत पाई थी।
लोस चुनाव रास आए थे : पिछल लोकसभा चुनाव में बसपा ने तीन सीटों पर चुनाव लड़कर अपना वोट-बैंक मजबूत किया था। उसका वोट शेयर लगभग 3.52 प्रतिशत रहा था। वह पंजाब लोकतांत्रिक गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में थी। जबकि 2014 के लोस चुनाव में बसपा का वोट शेयर 1.9 प्रतिशत ही था। तब पार्टी ने सभी 13 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
रिजर्व सीटों पर पड़ेगा असर ! सियासी जानकारों का मानना है कि बसपा के चुनावी-जंग में उतरने पर सभी प्रमुख दल जाहिर तौर पर चिंतित होंगे। खासतौर पर चारों रिजर्व सीटों फतेहगढ़ साहिब, जालंधर, होशियारपुर और फरीदकोट में बसपा दलित मतदाताओं को रिझा सकती है।
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