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सिर पर चुनाव, आप का भी बढ़ रहा तनाव दो किसान यूनियनें और विरोध में उतरेंगी

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अब भाकियू-एकता उगराहां और सिद्धूपुरा

ने भी खोला मान सरकार के खिलाफ मोर्चा

 

नदीम अंसारी

लुधियाना/यूटर्न/1 अप्रैल। लंबे वक्त से भारतीय जनता पार्टी के लिए परेशानी का सबब बने आंदोलित किसानों ने अब दोहरा मोर्चा खोल दिया है। कृषि नीतियों को लेकर केंद्र के साथ ही अब किसान पंजाब की आप सरकार के विरोध में एकजुट होने लगे हैं। यहां काबिलेजिक्र है कि किसान मजदूर एकता संघर्ष कमेटी दो दिन पहले ही इसी मुद्दे पर मान सरकार का पुतला फूंक आंदोलन का ऐलान कर चुकी है।

चंडीगढ़ में 8 अप्रैल से आंदोलन की पहल

अब सूबे में सबसे बडे़ नेटवर्क वाली किसान जत्थेबंदी भारतीय किसान यूनियन एकता-उगराहां और भाकियू एकता-सिद्धूपुरा भी आप के विरोध में उतर आईं हैं। उगराहां यूनियन ने तो संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में पंजाब सरकार के खिलाफ 8 अप्रैल को चंडीगढ़ में आंदोलन करने की घोषणा कर दी है।

भाजपा से आगे निकली आप : उगराहां

एकता-उगराहां यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां के मुताबिक पंजाब

सरकार ने कृषि बाजारों पर कॉर्पोरेट के कब्जे की शुरुआत कर दी है। 7 लाख 25000 टन गेहूं की खरीद पहले ही चरण में उन्हें सौंपी जा रही है। क्षेत्रों में स्थित 26 मंडियों व उपयार्डों को निकटवर्ती मंडियों में विलय कर समाप्त किया जा रहा है। इस फैसले के जरिए पंजाब की आप सरकार, भाजपा की मोदी सरकार से भी आगे निकल गई। आप भी कॉर्पोरेट घरानों के प्रति गहरी वफादारी दिखा रही है। इस फैसले को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । पंजाब के लोगों को सावधान करते बोले कि अगर चुनाव के दौरान वोटों के लिए हाथ फैलाने की जरूरत होने पर भी ऐसे घातक फैसले लिए जा रहे हैं तो किसी भी रंग की पार्टी के सत्ता हासिल करने के बाद तो इससे  भी घातक साम्राज्यवाद समर्थक हमले होंगे। इस फैसले के खिलाफ 8 अप्रैल को संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब द्वारा चंडीगढ़ में प्रांतीय रैली होगी।

सिद्धूपुरा यूनियन भी आंदोलन में साथ

सिद्धूपुरा यूनियन के रण सिंह चट्ठा ने भी इस मामले में आप सरकार का तीखा विरोध करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह तो किसानी पर सीधा हमला है। लोकसभा चुनाव में आप सरकार को इसकी क़ीमत चुकानी पड़ेगी। विभिन्न मांगों को लेकर किसान यूनियनें पहले ही भाजपा का विरोध कर रही हैं। साइलो क्षेत्रों की मंडियों का विलय का मुद्दा आने वाले दिनों में सबसे चर्चित रहेगा। किसानों के मिज़ाज से आभास हो रहा है कि आप सरकार को आने वाले दिनों किसानों के तीखे तेवरों का सामना करना पड़ेगा। आप सरकार के ख़िलाफ़ यह मोर्चा खुलने से खासतौर पर मालवा की सियासत प्रभावित होगी। ऐसे में आप-भाजपा विरोधी पार्टियां आंदोलित किसानों की हमदर्दी बटोर सकती हैं।

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