कैथल में फूंका मोदी सरकार का पुतला, गिरफ्तार किसानों की रिहाई की मांग, बेवजह परेशान करने के आरोप

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कैथल/7 अप्रैल। हरियाणा के कैथल में किसानों ने गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहाई की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के तहत किसान हनुमान वाटिका में एकत्रित हुए। इसके बाद नारेबाजी करते हुए लघु सचिवालय के मुख्य गेट पर आकर सरकार का पुतला जलाया। इस प्रदर्शन की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन धन्ना भगत के प्रदेश उपाध्यक्ष हो​शियार गिल ने किया। इस मौके पर होशियार गिल ने सरकार शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे किसानों को बेवजह से ही परेशानी करने का काम कर रही है।

नहीं माने तो आंदोलन होगा और तेज
इसे किसान बिल्कुल भी सहन नहीं करेंगे। यदि सरकार ने किसानों की मांगों को जल्द ही नहीं माना तो वे अपने आंदोलन को और अ​धिक तेज करेंगे। प्रदेश में उसकी अ​स्थि कलश यात्रा निकाली गई थी। इस यात्रा के दौरान पुलिस ने अंबाला से तीन युवा किसानों को गिरफ्तार कर रखा है। जबकि उनका कोई कसूर नहीं था। सभी किसान संगठनों उनको छुड़वाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने तीनों युवा किसानों को नहीं छोड़ा तो सभी संगठन मिलकर नौ अप्रैल को शंभू बॉर्डर पर अंबाला-अमृतसर-दिल्ली रेल मार्ग ​स्थित रेलवे लाइन पर जाम लगाएंगे। इसके बाद आंदोलन को लेकर आगामी रणनीति बनाई जाएगी। इस मौके पर सुरेश बंदराणा, सुभाष शर्मा, बलराज सरपंच, बूरा राम पबनावा, जस्सा पुनिया, गुरदेव पुनिया, बलवान पाई व करतारा पाई आदि किसान मौजूद थे।

राष्ट्रीय खाद्यान्न संकट में, 4 लाख एकड़ जमीन जलमग्न, गुरमीत खुडियां ने केंद्र से तत्काल राहत की मांग की • कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अमृतसर, गुरदासपुर और कपूरथला जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। • खुदियां कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव को प्रदर्शित करता है • बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय पैकेज और प्रभावित किसानों को सहायता देने के लिए बढ़े हुए मुआवजे की मांग की गई।

राष्ट्रीय खाद्यान्न संकट में, 4 लाख एकड़ जमीन जलमग्न, गुरमीत खुडियां ने केंद्र से तत्काल राहत की मांग की • कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ अमृतसर, गुरदासपुर और कपूरथला जिलों के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। • खुदियां कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव को प्रदर्शित करता है • बाढ़ के विनाशकारी प्रभाव से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय पैकेज और प्रभावित किसानों को सहायता देने के लिए बढ़े हुए मुआवजे की मांग की गई।