हरियाणा और पंजाब की ‘इकोनॉमिक-कैपिटल‘ गुरुग्राम और लुधियाना कचरे और जलभराव से बदहाल

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चंडीगढ़, पंजाब, 24जुलाई। मानसूनी-कहर के बीच हरियाणा की ‘इक्नॉमिक-सिटी’ गुरग्राम की कचरे के ढेरों और जलभराव के चलते देश-दुनिया में खासी किरकिरी हो रही है। दूसरी तरफ, पंजाब में ‘मैनचेस्टर’ कहलाने वाले सबसे बड़े नगर निगम की भी कम फजीहत नहीं हो रही। जहां हर करोड़ रुपये सालाना खर्च करने के बावजूद स्वच्छता अभियान में उसकी रैकिंग 40 में से 39वें नंबर पर रही है।

सीएम सैनी देंगे ध्यान ! अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘मिलेनियम-सिटी’ गुरुग्राम हो रही बदनामी, बना ‘कचरा-घर’

केंद्रीय राज्यमंत्री राव, गुरुग्राम में रही फ्रांसिसी महिला और जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ जता चुके नाराजगी

राजेंदर जादौन

चंडीगढ़, 24 जुलाई। हरियाणा के ‘मिलेनियम-सिटी’ की उपाधि लेकर गुरुग्राम आगे बढ़ा, अब पीछे पिछड़ता दिख रहा है। यह शहर उसी सूबे का हिस्सा है, जिसके करनाल और सोनीपत शहरों ने स्वच्छता सर्वेक्षण में राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कार लिया है।

गुरुग्राम में नगर निगम के साथ ही महानगर विकास प्राधिकरण भी है। एक करोड़ की आबादी पार करने जा रहे इस नगर निगम का बजट 1500 करोड़ रूपए और विकास प्राधिकरण का बजट 3 हजार करोड़ से ज्यादा है। ऊंची इमारतों और जगमग कॉरपोरेट दफ्तरों वाले इस शहर की तस्वीर को कचरे के ढेर व जलभराव बदरंग करते हैं।

यहां गौरतलब है कि गुरुग्राम में रहने वाली फ्रांसीसी महिला मैथिडे आर ने सोशल मीडिया पर लिखा कि सुअरों के घर जैसा बना गुरुग्राम, हम जानवरों जैसे रह रहे। उन्होंने प्लेटफॉर्म एक्स पर कुछ फोटो डालकर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने यहां तक कहा कि लोग अच्छा जीवन जीने के लिए टैक्स दे रहे हैं, लेकिन उस पैसे से अफसरों के महल बन रहे हैं। जेट एयरवेज के पूर्व सीईओ संजीव कपूर ने भी कूड़े की तस्वीरें पोस्ट कर लिखा था कि यह शर्म की बात है। इसके अलावा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भी इसे लेकर अफसरों को फटकार लगा चुके हैं। यहां गौरतलब है कि गुरुग्राम में ही डीएलएफ कैमेलियास देश-दुनिया की गिनी-चुनी महंगी कॉलोनी में शामिल है। जहां नामचीन हस्तियों के फ्लैट्स भी हैं। फिलहाल यहां तक पहुंचने के लिए मानसूनी-बारिश में तालाब बन चुकी सड़कों से गुजरना दुश्वार है।

हजार करोड़ सालाना खर्च कर भी ‘मैनचेट्सर-सिटी’ लुधियाना की स्वच्छता अभियान हो रही फजीहत

कहां गए वो लोग, जो लुधियाना को स्वच्छता अभियान में टॉपर बनाने के दावे करते थे ?

राजदीप सैनी

लुधियाना, 24 जुलाई। इस मानसूनी-बारिश में पंजाब की ‘आर्थिक-राजधानी’ लुधियाना की और फजीहत हो रही है। करीब हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च करने के बावजूद लुधियाना नगर निगम स्वच्छता अभियान की रैंकिंग में 40वें से 39 वें नंबर पर बुरी तरह पिछड़ा। पांच हजार सफाई सेवक होने के बावजूद महानगर के पॉश-इलाके भी एक-आधे घंटे की बारिश में ही जलमगन हो जा रहे हैं।

हालात कितने संगीन हैं, इसका अंदाजा एक मिसाल से लगा सकते हैं। महानगर के सूफिया चौक के पास इंडस्ट्रियल यूनिट के मालिक अशोक जैन ने बताया कि सरकारी स्कूल के सामने अघोषित-डंप बना है। दो दिन पहले शिकायत करने पर यहां बारिश के पानी में बहकर फैला कूड़ा निगम मुलाजिमों ने हटाया। उन्होंने सीएम भगवंत सिंह मान और नगर निगम कमिश्नर आदित्य देचलवाल से मांग की कि स्कूली बच्चों को इस बरसाती मौसम में संक्रमण से बचाने के लिए यहां कूड़ा ना फेंकने के पक्के इंतजाम किए जाएं।

इसी मुद्दे पर, आईएमए के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ.गौरव सचदेवा ने भी रोष जताया। वह महानगर के पॉश एरिया बीआरएस नगर के निवासी हैं, वहां भी ड्रेनेज-सिस्टम सही ना होने के साथ मानसूनी बारिश से पहले रोड-जालियां तक साफ नहीं की जाती हैं। कई बार शिकायत के बावजूद उनके एरिया में सफाई नहीं की गई थी। डॉ.गौरव के मुताबिक, इसके पीछे राजनीतिक इच्छा की कमी, नगर निगम प्रशासन की लापरवाही और समय रहते मानसूनी-समस्या से निपटने की तैयारी ना करना अहम वजह है। बेशक, स्मार्ट सिटी मुहिम के तहत ही स्वच्छता अभियान का बजट मिला था, लेकिन उसका सही से इस्तेमाल ना होना भी एक वजह है।

अब इसी सवाल को आगे बढ़ाते हुए महानगर के समाजसेवी कीमती रावल समेत तमाम लोग सवाल कर रहे हैं। वह जानना चाहते हैं कि आप सरकार के कार्यकाल से पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ही महानगर में गीले कूड़े के निस्तारण को जो कांपेक्टर लगे थे, उनमें से कई काम क्यों नहीं कर रहे। जबकि पिछली सरकार में ही प्रस्तावित 40 कांपेक्टर लगाने की योजना आखिर कहां गई ? स्वच्छता अभियान की रैंकिंग में लुधियाना क्यों पिछड़ा, क्या निगम कमिश्नर आदित्य देचलवाल और उनके मातहत वरिष्ठ अधिकारियों की टीम क्या इसका कोई जवाब देगी ? मानसूनी-बारिश में जलभराव के साथ अघोषित कूड़े के डंपों से उसमें बहने वाले कचरे से बेहाल शहरी इसका जवाब चाहते हैं।

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