ईसी-सस्टेनेबल बिल्डिंग कोड : चंडीगढ़ में बड़ी इमारतें भी अब बचाएंगी पानी-मिट्टी को खराब होने से

चंडीगढ़ में बड़ी इमारतें भी अब बचाएंगी पानी-मिट्टी को खराब होने से

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नए कोड के तहत इन इमारतों से होगी बिजली बचत भी

चंडीगढ़, 20 जून। अब सिटी ब्यूटीफुल में इमारतें पर्यावरण के प्रति भी जिम्मेदारी निभाएंगी। शहर में ऊर्जा संरक्षण और सतत भवन संहिता को अपनाने के लिए काम शुरू हो गया है। ताकि भविष्य की बड़ी इमारतों के जरिए सिर्फ बिजली और पानी बचत की जाएगी। साथ ही कचरे के उचित निस्तारण और मिट्टी के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाने का काम इन इमारतों से लिया जाएगा।

जानकारी के मुताबिक ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा हाल ही में नोटिफाई ईसीएसबी कोड को अगले 6 से 8 महीने में चंडीगढ़ में लागू करने की तैयारी है। फिलहाल शहर में चंडीगढ़ ऊर्जा संरक्षण भवन कोड-2024 लागू है। इससे हर वर्ष करीब 20 से 30 फीसदी तक बिजली की बचत की जा रही है। अब केंद्र सरकार के बीईई ने संशोधन कर इसमें ‘सस्टेनेबिलिटी’ को भी जोड़ दिया है। जिसके तहत बिल्डिंग्स सिर्फ बिजली ही नहीं, बल्कि पानी भी बचाएंगी। साथ ही  कचरे के उचित निस्तारण और मिट्टी के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगी।

इसका उद्देश्य यह भी है कि भविष्य की बड़ी इमारतों के कचरे का सोर्स लेवल पर ही निस्तारण हो सके। बीईई ने चंडीगढ़ समेत सभी राज्यों व यूटी को इसे अपनाने को कहा है। जिसमें चंडीगढ़ ने पहल करते हुए काम शुरू कर दिया है। अब शहर में नई बनने वाली जिस भी बिल्डिंग का कनेक्टेड लोड 50 किलोवाट या उससे अधिक है या भवन की कॉन्ट्रैक्ट डिमांड 60 केवीए या इससे अधिक है या भवन का प्लॉट क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर या उससे अधिक है या भवन का निर्मित क्षेत्र बेसमेंट को छोड़कर 2000 वर्ग मीटर या उससे अधिक है। इस दायरे में आने वाले सभी इमारतों पर ये कोड लागू होगा।

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