कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर भर्ती को लेकर उच्च न्यायालय के फैसले के सम्बन्ध में महाविधवक्ता की राय लेगी सरकार – मुख्यमंत्री

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कर्मचारी चयन आयोग मामले की जांच किसी स्पेशलाइज्ड एजेंसी से करवा सकता है तो प्रदेश सरकार तैयार

चंडीगढ़, 19  मार्च – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब  सिंह सैनी ने कहा कि  प्रदेश सरकार द्वारा कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा पुलिस में इंस्पैक्टरों के 20 पदों की भर्ती को लेकर  पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के फैसले के सम्बन्ध में  महाविधवक्ता की राय ली जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट के निर्णय की अनुपालना में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग मामले की जांच किसी स्पैसलाइजड एजेंसी से करवा सकता है तो सरकार उन्हें तुरंत सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए तैयार है।

मुख्यमंत्री आज हरियाणा विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान  शून्यकाल में इस भर्ती प्रक्रिया पर उठाए गए मुद्दे पर सदन में बोल रहे थे।

उन्होंने सदन को अवगत कराया  कि वर्ष 2011 में एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में याचिका  दायर कर आरोप लगाए कि वर्ष 2008 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने हरियाणा पुलिस में इंस्पैक्टरों के 20 पदों के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू करके जो रिजल्ट निकाला था उस प्रक्रिया में कई धांधलियां हुई। लिखित परीक्षा में अव्वल आने के बावजूद इंटरव्यू में कम नंबर दिए गए।  याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया था कि दो चयनित उम्मीदवारों ने लिखित परीक्षा स्वयं नहीं दी थी। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता यदि इस निर्णय से संतुष्ट नहीं है तो अपील करना उसका कानूनी अधिकार है।

मुख्यमंत्री ने बताया  कि न्यायालय ने याचिकाकर्ता के सारे आरोपों की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मे प्रतिरूपण  के इस आरोप पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने  कहा कि लिखित परीक्षा की अटेंडेंस शीट अब उपलब्ध नहीं है। इसलिए इसकी जांच के लिए दोनों चयनित उम्मीदवारों की हैंडराइटिंग का सैंपल लेकर उत्तर पुस्तिका में दर्ज लिखाई का फॉरेंसिक मिलान किसी स्पेशलाइज्ड एजेंसी द्वारा किया जाना चाहिए। इस पर अपने निर्णय में लिखा कि कोर्ट जांच एजेंसी  का काम नहीं कर सकती। कर्मचारी चयन आयोग के पास तथ्यों की जांच करवाने की स्वतंत्रता है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकाल में सरकारी नौकरी में भर्ती प्रक्रिया ठीक नहीं थे।  उस समय योग्य युवाओं के साथ शोषण होता था और गरीब का बच्चा तो सरकारी नौकरी की सोच भी नहीं सकता था।

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