भारत-पाक मैच के दिन, इलियास कश्मीरी द्वारा समन्वित एक भर्ती अभियान चलाया गया
चंडीगढ़, 20 सितंबर। रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों की मानें तो भारत के ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन अलर्ट हो गए हैं। अब उन्होंने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में अपने ठिकाने शिफ्ट करने शुरू कर दिए हैं।
खैबर पख्तूनख्वा को पहले उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत कहा जाता था और इसकी सीमा अफगानिस्तान से लगती है। यह निर्णय इन आतंकी समूह द्वारा एक महत्वपूर्ण रणनीतिक अनुकूलन को दर्शाता है, जो अब पीओके को भारतीय हमलों के लिए असुरक्षित मानते हैं। जबकि केपीके अफगान सीमा से निकटता के कारण अधिक सुरक्षा प्रदान करता है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारत ने बहावलपुर, मुरीदके, मुज़फ़्फ़राबाद और कई अन्य जगहों पर आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। जिसमें पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया गया। इस हमले के बाद चार दिनों तक भीषण झड़पें हुईं, जो 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति के साथ समाप्त हुईं। सूत्रों के मुताबिक संकेत मिलता है कि आतंकवादी समूहों द्वारा यह गतिविधि पाकिस्तान की सरकारी संरचनाओं की पूरी जानकारी और प्रत्यक्ष सहायता से संचालित की जा रही है।
सूत्रों ने हाल ही में पुलिस सुरक्षा में पाकिस्तान के कुछ स्थानों पर जैश-ए-मोहम्मद की सभाओं के आयोजन और जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम जैसे राजनीतिक-धार्मिक संगठनों की अप्रत्यक्ष संलिप्तता का भी हवाला दिया। ये विवरण कई भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किए गए एक डोजियर का हिस्सा हैं। सूत्रों ने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम खैबर पख्तूनख्वा के मनसेहरा जिले के गढ़ी हबीबुल्लाह कस्बे में हुआ। जहां जैश-ए-मोहम्मद ने 14 सितंबर को भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच शुरू होने से लगभग सात घंटे पहले एक सार्वजनिक भर्ती अभियान चलाया था। यह आयोजन खैबर पख्तूनख्वा और कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद के एक वरिष्ठ नेता मुलाना मुफ्ती मसूद इलियास कश्मीरी उर्फ अबू मोहम्मद की मौजूदगी में जैश-ए-मोहम्मद और जमात-उद-दावा के संयुक्त नेतृत्व में एक समन्वित लामबंदी अभियान था। इलियास कश्मीरी भारत में वांछित एक उच्च-मूल्यवान लक्ष्य है और वह जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अजहर से निकटता से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक एम-4 राइफलों से लैस जैश-ए-मोहम्मद के कार्यकर्ताओं और स्थानीय पुलिस अधिकारियों द्वारा संरक्षित एक सार्वजनिक रैली में उसकी उपस्थिति और उसके प्रति पाकिस्तानी सरकार के समर्थन को दर्शाती है।
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