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मंदसौर के गली मोहल्लों में बिक रहे हैं नशीले मादक पदार्थ व म्याऊं – म्याऊं 

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मंदसौर जिला पुलिस प्रशासन को भी सर्तक हो जाना चाहिए।

 

ड्रग्स एंगल में मालवा क्षेत्र का मंदसौर भी अछूता नहीं है?

 

मंदसौर की माफिया मंडी अभी नहीं हुई है ठंडी

 

 

शाहरूख मिर्जा की कलम से ✍️

 

देश भर में मालवा क्षेत्र का मंदसौर ड्रग्स तस्करी में पूरे देश में नहीं विदेशों में भी चर्चित है, और जब मुंबई का कुख्यात तस्कर हाजी मस्तान जीवित था, तब मंदसौर क्षेत्र के सूत्र भी उससे जुड़े हुए थे, चर्चाएं तो यह भी होती थी कि हाजी मस्तान के कई गुर्गे मंदसौर में आते जाते थे और इस गोरख धंधे में शामिल थे, आज भी मंदसौर का नाम माफिया मंडी के रूप में विख्यात है।

 

हाल ही में राजधानी भोपाल में एमडी ड्रग्स का निर्माण हो रहा था जो सबसे खतरनाक ड्रग्स मानी जाती है एनसीबी और गुजरात एटीएस ने मिलकर राजधानी के बगरोदा इलाके के इंडस्ट्रियल एरिया जो कटारा हिल्स के थाना क्षेत्र में आता है वहां से 1800 करोड़ की एमडी ड्रग्स बरामद की थी अंतरराष्ट्रीय तस्कर बंद पड़ी इस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने का काम कर रहे थे यहां से अमित प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी और सान्याल बाने को गिरफ्तार किया था । यह लोग इस फैक्ट्री में न जाने कितने वर्षों से एमडी ड्रग्स बना रहे थे, वो तो भला हो दूसरी एजेंसियों का जिन्होंने इतने बड़े रैकेट का खुलासा करके भोपाल को उड़ता भोपाल बनने से रोक दिया। हो सकता है कि यह ड्रग्स कि सामग्री मालवा के मंदसौर से ही बॉलीवुड माया नगरी मुंबई व राजधानी भोपाल पहुंचता हो? सूत्र बताते हैं कि मुंबई की एक लेडी महिला बाय कर से मंदसौर जिले का कई बार दौरा कर चुकी है और पिपलिया मंडी के बालागुड़ा क्षेत्र में आती जाती हुई देखी गई थी उसके बाद मंदसौर के कई तस्करों के मुंबई से तार जुड़े होने से इनकार नहीं किया जा सकता, जांच का विषय है, चर्चा है तो यह भी है कि मुंबई में जब दाऊद गेंग चलती थी उस समय उनका गुर्गा दिलावर मंदसौर जिले के कई तस्करों से उगाई करके ले जाता था सूत्र बताते हैं कि ड्रग्स एंगल की जांच राजधानी भोपाल में हो रही है लेकिन उसकी दहशत मंदसौर में फैली हुई है।

 

क्योंकि मंदसौर ही वह एकमात्र क्षेत्र है जहां से ड्रग्स सप्लाय देश के कई हिस्सों में तस्करी के रूप में होती है, यह एक गंभीर जांच का विषय है। आजकल ड्रग्स के कारोबार में सूत्र बताते हैं की जोखिम बहुत बड़ा है और रुपये के लेनदेन पर भरोसा नहीं किया जाता है, ऐसी स्थिति में मंदसौर माफिया मंडी शंकाओं के गहरे में है। किसी जमाने में मंदसौर अफीम तस्करी के नाम से प्रसिद्ध था और अब म्याऊं – म्याऊं एमडी नशीले पदार्थ के नाम से प्रसिद्ध होने लगा है। सूत्र बताते हैं मंदसौर का भैंसा पहाड़ हो,बड़ी होली कोलीवाडा हो, भोईवाड़ा हो, नालबंद चौक हो ,पुरानी तहसील हो,शैका चौक हो, गोंधी चौक हो, तोडा गुदरी हो,छिपाबाखल गेट हो , नयापुरा हो ,मदारपुरा हो,खानपुरा हो, झुग्गी झोपड़ी हो,या मर्दानदिन का शिवना नदी किनारा रोड हो,शहर में चर्चाएं का विषय बना हुआ है यानी मंदसौर शहर का ऐसा कोई इलाका नहीं है जहां मादक पदार्थ नहीं मिलते हैं गांजा ,चरस, म्याऊं म्याऊं नशीला पदार्थ एमडी, शहर क्षेत्र के इन इलाकों में आसानी से मिल सकता है ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसकी खबर नहीं है, लेकिन पुलिस एक्शन लेकर अपना महीना खराब नहीं करना चाहती है,

सवाल यही पैदा होता है कि मंदसौर में हर जगह आपको मादक पदार्थ मिल जाएगा ऐसे हालत में एमडी ड्रग्स का कारोबार एक बड़े रैकेट का राजधानी भोपाल में खुलासा करता है बगैर सरपरस्ती के इतना बड़ा काम राजधानी भोपाल में कैसे चल सकता है ? मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित पूरे प्रदेश में इन दोनों मादक पदार्थ विक्रेताओं का दाल बना है, शहर ही नहीं हो बल्कि छोटे से छोटे गांव में आप मादक पदार्थों के अलावा कोई भी ड्रग्स आसानी से खरीद सकते हो मादक पदार्थ के विक्रेताओं के छोटे-छोटे गांव में भी डीलर है जो एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह माल सप्लाई करते हैं। और समय पर भुगतान करते हैं यानी गंदा-धंधा भी पूरी ईमानदारी के साथ मंदसौर व राजधानी भोपाल में वर्षों से चल रहा है ऐसे में सरकार, प्रशासन और एजेंसी के ऊपर सवाल उठना लाजिमी है। लेकिन ऐसा नहीं है कि मंदसौर की माफिया मंडी हो गई है- ठंडी… इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। कि आज भी मंदसौर जिले में अफीम,स्मैक, एमडी, डोडा चूरा, आदि के कई प्रकरण महीने दो-चार महीने में बनते रहते हैं और जिला पुलिस प्रशासन के हाथों छोटे-मोटे तस्कर हत्थे चढ़ते रहते हैं लेकिन सवाल? यह भी उठता है कि बड़े लीडरशिप रिकॉर्डेड तस्कर पुलिस के हत्थे क्यों नहीं चढ़ते शहर में चर्चाएं तो यह भी है कि क्या इन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है आखिर इन लोगों पर मंदसौर जिला पुलिस प्रशासन कार्यवाही करने से क्यों पीछे रहता है क्यों हिचकिचाता है या उनके नाम आते है इनको उजागर नहीं किया जाता यहां मंदसौर जिला पुलिस प्रशासन के लिए बहुत बड़ा सवाल है? इसलिए माफिया मंडी नहीं हो सकती है ठंडी ड्रग्स एंगल की जांच मुंबई और राजधानी भोपाल में हो रही है लेकिन सूत्र बताते हैं की मंदसौर के माफियाओं मे भी यह खलबली मची हुई है ऐसी स्थिति में कहीं ऐसा ना हो की मंदसौर के सूत्र मुंबई की बॉलीवुड नगरी व राजधानी भोपाल से आज भी जुड़े हुए हो क्योंकि आजकल अफीम का जमाना तो खत्म हो चुका है लेकिन अफीम की तस्करी तो जारी है उसी से स्मैक,ब्राउन शुगर,मेंडैक्स आदि का निर्माण किया जाता है, अफीम के बिना इन नशीले पदार्थो का उत्पादन संभव नहीं है।

अभी हाल ही में जब से मंदसौर जिले मे पुलिस कप्तान के रूप में एस.पी अभिषेक आनंद ने पुलिस की कप्तानी की कमान संभाली है तब से अफीम, एमडी, और डोडा चूरा, कई केस पकड़ने में मंदसौर जिला पुलिस ने सफलता अर्जित की है ऐसे में जागरूक पुलिस कप्तान मादक पदार्थो तस्करों के खिलाफ अभियान तो जारी रखे हुए हैं। लेकिन क्या कारण है कि बॉलीवुड मुंबई व राजधानी भोपाल मे जांच हो रही है और मंदसौर के तस्करों में हड़कंप मचा हुआ है यह एक गंभीर जांच का विषय है जांच होना चाहिए, यहां के तस्करों के बॉलीवुड नगरी मुंबई व राजधानी भोपाल से संपर्क तो नहीं जुड़े हुए हैं, क्योंकि ड्रग्स एंगल में मालवा क्षेत्र का मंदसौर भी अछूता नहीं है? जागरूक पुलिस कप्तान अभिषेक आनंद से अपेक्षा है कि ड्रग्स एंगल के सामने आने के बाद मंदसौर जिला पुलिस प्रशासन को भी सर्तक हो जाना चाहिए।

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