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अप्रासंगिक होते ड्राइंग रूम

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विवेक रंजन श्रीवास्तव

 

त्यौहार पर संदेशे तो बहुत आ रहे हैं, लेकिन मेहमान कोई नहीं आया। ड्राइंग रूम का सोफा मेहमानों को तरस रहा है । वाट्सएप और फेसबुक पर मैसेज खोलते, स्क्रॉल करते और फिर जवाब के लिए टाइप करते – करते हाथ की अंगुलियां दर्द दे रही है। संदेश आते जा रहे हैं,बधाईयों का तांता है, लेकिन मेहमान नदारद हैं । कालबेल चुप है। मम्मी पापा अगर साथ रहते हैं तो भी कुछ ठीक है अन्यथा केवल घरवाली और बेटा या बेटी।

पहले की तरह यदि आपने आने वाले मेहमानों के लिये बहुत सारा नाश्ता बना रखा है तो वह रखा ही रह जाता है।

सगे संबंधियों, दोस्तों की तो छोड़ दें, आज के समय आसपास के खास सगे-संबंधी और पड़ोसी के यहां मिलने – जुलने का प्रचलन भी समाप्त हो गया है।

अमीर रिश्तेदार और अमीर दोस्त मिठाई या गिफ्ट तो भिजवाते हैं, लेकिन घर पर देने खुद नहीं आते बल्कि उनके यहां काम करने वाले कर्मचारी आते हैं । दरअसल घर अब घर नहीं रहे हैं, ऑफिस की तरह हो गए हैं ।

घर सिर्फ रात्रि में एक सोने के स्थान रह गए हैं, रिटायरिंग रूम ! आराम करिए, फ्रेश होईये और सुबह कोल्हू के बैल बनकर काम पर निकल जाईये । ड्राइंगरूम अब सिर्फ दिखावे के लिये बनाए जाते हैं, मेहमानों के अपनेपन के लिए नहीं । घर का समाज से कोई संबंध नहीं बचा है । मेट्रो युग में समाज और घर के बीच तार शायद टूट चुके हैं ।

घर अब सिर्फ और सिर्फ बंगला हो गया है।शुभ मांगलिक कार्य और शादी-ब्याह अब मैरिज हाल में होते हैं।बर्थ-डे मैकडोनाल्ड या पिज़्ज़ा हट में मनाया जाता है। बीमारी में सिर्फ हास्पिटल या नर्सिंग होम में ही खैरियत पूछी जाती है । और अंतिम यात्रा के लिए भी लोग सीधे श्मशान घाट पहुँच जाते हैं।

सच तो ये है कि जब से डेबिट-क्रेडिट कार्ड और एटीएम आ गये हैं, तब से मेहमान क्या.. चोर भी घर नहीं आते हैं । चोर भी आज सोचते हैं कि, मैं ले भी क्या जाऊंगा.. फ्रिज, सोफा, पलंग, लैपटॉप, टीवी कितने में बेचूंगा इन्हें ? री सेल तो ओएलएक्स ने चौपट कर दी है ।

वैसे भी अब नगद तो एटीएम में है इसीलिए घर पर होम डिलेवरी देनेवाला भी पिज्ज़ा-बर्गर के साथ कार्ड स्वाइप मशीन भी लाता है ।

क्या अब घर के नक़्शे से ड्राइंग रूम का कंसेप्ट ही खत्म कर देना चाहिये ? विचार करियेगा पुराने समय की तरह ही अपने रिश्तेदारों, दोस्तों को घर पर बुलाईए और स्वयं भी उनके यहां जाइयेगा।आईये भारत की इस महती संस्कृति को पुनः जीवित करे।

 

विवेक रंजन श्रीवास्तव

(विनायक फीचर्स)

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