हरियाना/यूटर्न/11 दिसंंबर: देश की सेवा करने वाले जासूस सतीश मरवाह (77) बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में हुए कई टॉर्चर से अब उनका शरीर बेकार हो चुका है। इसलिए अब वो बिस्तर पर शौच करने को मजबूर हैं। आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। रोते हुए कहते हैं देश के लिए जिंदगी दांव पर लगा दी थी अब ऐसी हालत में सरकार भी उनकी कोई सुध नहीं ले रही। जवानी के साढ़े बारह साल पाकिस्तान की जेल में काटे हैं, उसका फल नहीं मिला।
रौंगटे खड़े कर देने वाली तकलीफें सही
जासूस सतीश मरवाह देश की सेवा के लिए पाकिस्तान गए थे और वहां पर जासूसी के आरोप में पकड़े गए। साढ़े बारह साल तक पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में बंद रहे। पाकिस्तान की हर खुफिया एजेंसी ने उसके साथ टॉर्चर कर पूछताछ की थी। वहां की जेल में उनके शरीर में बिजली का करंट लगाकर टॉर्चर किया गया था। शरीर में ब्लेड से कट लगाकर ऐसा केमिकल डालते थे कि शरीर सुन्न पड़ जाता था। इसके अलावा कुएं में उल्टा लटकाकर नीचे जहरीले सांप छोड़ देते थे। बर्फ की सिल्लियां पर लिटाकर पीटते थे। पूछताछ के दौरान उनके दांत भी तोड़ दिए थे। उनकी मार से शरीर बेकार हो चुका है। अब उन्हें पैरालिसिस का अटैक पडऩे से चल फिर भी नहीं सकते। शौच भी बिस्तर पर करने को मजबूर हैं। देश के लिए बहुत कुछ किया अब तो कोई सरकार नहीं पूछती। आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है।
होमगार्ड की नौकरी मिली, अब पेंशन भी नहीं
पाकिस्तान से लौटने के बाद एक अधिकारी ने होमगार्ड में नौकरी दिलवा दी थी, उसके पीछे भी उनका स्वार्थ था लेकिन सेवानिवृत होने के बाद कोई पेंशन नहीं मिलती। सतीश बताते हैं कि जब पाकिस्तान से भारत लौटे थे उस समय पाकिस्तान की जेल में कई फौजी व अन्य लोग बंद थे, जिनकी संखया 170 के करीब होगी। यहां लौट कर केंद्र सरकार के मंत्रियों को सूचित किया था। किसी ने उन्हें छुड़वाने का प्रयास नहीं किया। कई भारतीय लोगों की अस्थियां जेल मे पड़ी हैं।
यातनाएं याद कर आज भी आता है रोना
सतीश पाकिस्तान जेल में बिताए दिन याद करके रोते हैं। साथ में यह भी कहते हैं कि एक पाकिस्तानी अधिकारी ने उनकी मदद भी की थी, उनकी दी प्लेट व चमच निशानी के तौर अपने साथ भारत लेकर आए थे। सतीश कहते हैं वह उर्दू बहुत अच्छी बोलते हैं, उनकी बोली से कोई पहचान नहीं सकता है। उर्दू में कलमा भी पढ़ लेते हैं।
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देश की सेवा का नही मिला सिल्ला, गुंमनाम हीरों ने साढ़े बारह साल पाकिस्तान की जेल में झेली यातनाएं
Kulwant Singh
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