रघुनंदन पराशर जैतो
बठिंडा,16 मार्च – बेसहारा गौशाला गोनियाना में चल रहे “श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ” के छठे दिन कथावाचक श्री अश्वनी शर्मा ने भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि माता रुक्मिणी का विवाह शीशपाल से हो रहा था, रुक्मिणी नहीं चाहती थीं कि उनका विवाह किसी राक्षस से हो। उन्होंने इस विवाह को रोकने के लिए भगवान को पत्र लिखा। स्वामी जी ने भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए उपस्थित भक्तजनों को कहा कि जो भगवान के प्यार में डूब जाता है उसके पास सांसारिक विद्या कितनी भी कम हो लेकिन उसका प्रभु प्यार वाला ज्ञान इस सांसारिक ज्ञान से बहुत ऊंचा होता है, उद्धव के इस प्रकार के भ्रम को भी भगवान कृष्ण ने दूर किया। उद्धव को अपने ज्ञान पर इतना घमंड था कि वह वृन्दावन जाकर टूट गया। कर्तव्य भावना से बड़ा है अर्थात मनुष्य को अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने के लिए अपने व्यक्तिगत आत्म का बलिदान देने में भी संकोच नहीं करना चाहिए। स्वामी जी ने कहा कि गोपियों से अत्यंत प्रेम करने वाले भगवान श्रीकृष्ण मथुरा चले जाते हैं और फिर कभी वापस नहीं आते।स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन बहुआयामी है, निरंतर संघर्ष करते हुए अपने जीवन को ऊंचा उठाने की प्रेरणा श्री कृष्ण जी के चरित्र से मिलती है, भगवान की प्रत्येक बाल लीला हमारे मन की भावना को प्रकट करती है, जिस कारण सुनने वाला प्राणी उनकी लीला में इतना खो जाता है कि वह अपने बारे में सब कुछ भूल जाता है। ईश्वर उसे अपने जैसा लगता दिखाई देता है। सभी उनसे प्यार करते हैं, वे सभी से प्यार करते हैं। ऊँच-नीच का कोई भेद नहीं है।इस मौके पर अन्यों के अलावा राज कुमार लिली, पवन कुमार बुर्जांवाले, राजेश कुमार बिट्टू, अमृतपाल टल्ली, लाजपत राय गोयल, राजिंदर कुमार, विजय गोयल, नरिंदर बांसल, दीपक भगत, सुरजीत बोतलेंवाले, केवल कृष्ण, राव सुरजीत, संजय गर्ग, गगनदीप शर्मा, सुरेश ठेकेदार, देविंदर दीपू, प्रिंस रोमाना आदि मौजूद थे।