लुधियाना महानगर में मैत्रेय दादाश्री जी के भक्तों ने निकाली उनकी पादुका की भव्य शोभायात्रा

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भक्त पैदल ही झूमते-गाते महानगर के कई इलाकों में होते हुए सराभा नगर तक गए

लुधियाना 18 जुलाई। महानगर में मैत्रेय दादाश्रीजी के प्रेम और कृपा का प्रसार करने के लिए उनकी पादुका की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। जो फाउंटेन चौक से घुमार मंडी, आरती चौक और फिर सराभा नगर तक पहुंची।
इस शोभायात्रा में शामिल होने के लिए भक्त माता रानी मंदिर में एकत्र हुए। इस उत्सव में श्रद्धालु अपने आंतरिक सत्य स्वरूप के साथ पुनर्मिलन का जश्न मनाते हुए अपने दैविक स्वरूप के लिए दैविक धुनों पर गाते, झूमते और मस्ती में नृत्य कर रहे थे।
पूरे हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ पैदल ही उन्होंने अपनी यात्रा शुरू की और कई लोग इस दैविक माहौल में शामिल होते चले गए। भक्तों ने प्रेम, महा-परिवर्तन और निः स्वार्थ सेवा का संदेश देकर हजारों लोगों की सहायता की। साल 2013 में मैत्रेय दादाश्रीजी द्वारा स्थापित मैत्रीबोध परिवार, लोगों को चिंता मुक्त बनने और आनंद और स्वतंत्रता का जीवन जीने के लिए शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाने के लिए अथक प्रयास कर रहा है। उनके विभिन्न कल्याण करने वाले और उन्नत आध्यात्मिक कार्यक्रमों ने लोगों को स्वयं का बेहतर प्रारूप बनने में मदद की है। उनके सभी प्रयासों के बारे में अधिक जानने के लिए कृपया www.maitribodh.org पर जाएं या हेल्पलाइन नंबर 8929 707 222 पर कॉल करें।
इस मौके पर आयोजकों ने कहा कि हम सभी ने रामायण में पढ़ा है; राजा भरत जब श्री राम को वापस अयोध्या लौट कर राज्य संभालने के लिए मनाने में असफल रहे तो उन्होंने श्री राम की पादुका मांगी। राजा भरत उनकी पादुका अपने साथ लेकर लौटे क्योंकि वे ईश्वर का सभी के लिए निःस्वार्थ प्रेम और असीमित कृपा का प्रतिनिधित्व करती हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में भी गुरु के कमल चरणों का वर्णन बार बार किया गया है| हर युग के साथ ईश्वर का स्वरूप बदलता है पर जो शास्वत रहता है वह है ईश्वर के कमल चरण जिनमें स्वयं दैविक चैतन्य वास करता है। वे शास्वत हैं, और जब प्रेम से उनकी आराधना की जाती है, तो वे हमारे सारे दुष्कर्मों, कर्मों और अवरोधों को दूर करती हैं जो हमें जीवन में आगे बढ़ने से रोकते हैं।
जब हम पादुका की पूजा करते हैं, तो यह हमारे अपने दैविक स्वरूप की पूजा करने जैसा है। इस महान परंपरा को जीवित रखते हुए, मैत्रीबोध परिवार के कई शिष्य इस पवित्र महीने के दौरान गुरु पूर्णिमा तक दैविक मित्र मैत्रेय दादाश्रीजी की पादुकाओं की पूजा आराधना करते हैं, जो की दैविक चैतन्य का प्रतीक हैं।
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