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जेल गए मुख्यमंत्री के इस्तीफा नहीं देने की कीमत चुका रही दिल्ली, तीन हजार से ज्यादा फाइलें हैं पेडिंग

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नई दिल्ली,  24 मई।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इस समय अंतरिम जमानत पर चुनाव प्रचार के लिए बाहर हैं। दो जून को उन्हें फिर से तिहाड़ जाना होगा। इस दौरान उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करने की अनुमति नहीं है। नई आबकारी नीति घोटाले के आरोप में ईडी ने 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था।

जेल जाने के बाद भी उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। आम आदमी पार्टी का कहना है कि जेल से दिल्ली सरकार चलेगी। इसका भाजपा विरोध कर रही है। उसका कहना है कि केजरीवाल के इस्तीफा नहीं देने से दिल्ली में प्रशासनिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई काम बाधित हो रहे हैं। भाजपा के प्रत्याशियों के साथ ही अमित शाह और राजनाथ सिंह व अन्य बड़े नेता इस मुद्दे को चुनावी मंच से उठा रहे हैं।

दिल्ली सरकार के पास तीन हजार से अधिक फाइलें लंबित

14 फरवरी 2015 से 12 अप्रैल 2024 तक दिल्ली सरकार के पास 3,060 फाइलें लंबित पड़ी हैं। अकेले मुख्यमंत्री के पास 420 फाइलें लंबित हैं, जिसमें से 23 फाइलें इस वर्ष की हैं।

मार्च और अप्रैल माह में विभिन्न विभागों के पास भेजी गईं 16 फाइलें स्वीकृति की राह देख रही हैं। दिल्ली महिला आयोग के पुनर्गठन, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना, दिल्ली खेल नीति, बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के पुनर्गठन जैसे महत्वपूर्ण विषयों से जुड़ी फाइलों को स्वीकृति मिलने का इंतजार है।

इस्तीफे की मंजूरी का इंतजार

समाज कल्याण मंत्री राजकुमार आनंद ने 10 अप्रैल को मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। उन्होंने डाक के माध्यम से मुख्यमंत्री कार्यालय को अपना इस्तीफा भेजा था। मुख्यमंत्री के नहीं होने के कारण लगभग डेढ़ माह से उनका इस्तीफा लंबित पड़ा हुआ है। वह मंत्रालय का काम भी नहीं देख रहे हैं। इस तरह से समाज कल्याण जैसा महत्वपूर्ण विभाग बिना मुखिया के है।

एलजी ने की है शिकायत

उपराज्यपाल ने अप्रैल के पहले पखवाड़े में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर दिल्ली सरकार के मंत्रियों पर उनके पद को बदनाम करने व झूठ बोलने की शिकायत की थी। उनका कहना था कि कोर्ट से जुड़े मामले मुख्य सचिव और उपराज्यपाल के पास पेश किए जाने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति न होने से महापौर चुनाव नहीं हुआ

पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं होने के कारण 26 अप्रैल को दिल्ली नगर निगम में महापौर का चुनाव नहीं हो सका। मुख्यमंत्री के सुझाव पर उपराज्यपाल पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति करते हैं। मुख्यमंत्री के जेल में होने के कारण यह संभव नहीं हो सका।

इस कारण महापौर डॉ. शैली ओबेराय का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है। नियम के अनुसार इस बार अनुसूचित जाति के पार्षद महापौर बनता। अभी तक निगम में स्टैंडिंग समिति का गठन नहीं होने से जरूरी कार्य भी बाधित हो रहे हैं। निगमायुक्त के पास पांच करोड़ रुपये तक की व्यय शक्ति है। कूड़े के पहाड़ को समाप्त करने के लिए मशीनों की संख्या बढ़ाने व अन्य बड़े कार्य के टेंडर नहीं हो सके हैं।

प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशियों के आरोप

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और दक्षिणी दिल्ली के भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल में यदि थोड़ी भी नैतिकता बची हुई है तो उन्हें तत्काल त्यागपत्र दे देना चाहिए। जेल से सरकार का चलाने का देश में एक भी उदाहरण नहीं है।

गिरफ्तारी से पहले ही लालू यादव, जय ललिता, हेमंत सोरेन सहित कई मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफा दिया है जिससे कि राज्य का कामकाज प्रभावित न हो। इसके विपरीत केजरीवाल इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए हैं। इस कारण दिल्ली की प्रशासनिक व्यवस्था अस्त व्यस्त हो गई है। जरूरी काम बाधित हो रहे हैं।

दिल्ली में चारों तरफ लगे कूड़े के ढेर- कमलजीत सहरावत

प्रदेश भाजपा की महामंत्री व पश्चिमी दिल्ली की भाजपा प्रत्याशी कमलजीत सहरावत का कहना है कि दिल्ली में अव्यवस्था की स्थिति हो गई है। दिल्ली में चारों तरफ कूड़े के ढेर लग गए हैं। पानी के लिए त्राहि-त्राहि है। प्रत्येक जगह लोग समस्याएं बता रहे हैं। लोगों को लगता है कि दिल्ली छोड़ दें।

जेल जाने के बाद इस्तीफा नहीं देने के कारण महापौर का चुनाव नहीं हुआ। निगम की 35 समितियों का गठन नहीं हुआ है। काम पहले भी नहीं हो रहा था, लेकिन अब उम्मीद भी नहीं है। दिल्ली के हित में केजरीवाल को अविलंब त्यागपत्र देकर किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए।

रुक गए हैं दिल्ली के जरूरी काम- हर्ष मल्होत्रा

प्रदेश भाजपा महामंत्री और पूर्वी दिल्ली से पार्टी के प्रत्याशी हर्ष मल्होत्रा ने कहा कि घोटाले के आरोप में मुख्यमंत्री जेल गए हैं। नैतिक व तकनीकी दोनों तरह से उन्हें पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। सरकारी फाइलों की गोपनीयता के चलते वह जेल से सरकार नहीं चला सकते, क्योंकि नियमानुसार कोई भी कागज बिना जेल अधिकारियों के देखे उन तक नहीं जाएगा। फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं होने से जरूरी कार्य रुके हैं तो केजरीवाल ही जिम्मेदार हैं। उन्हें इसकी जानकारी भी है फिर भी इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। दिल्लीवासियों को परेशान करने का उनका यह षड्यंत्र है।

अनुसूचित जाति की बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव- राजकुमार

दिल्ली सरकार के मंत्री व नई दिल्ली से बसपा प्रत्याशी राजकुमार आनंद का कहना है कि बड़ा प्रश्न यह उठता है कि दिल्ली में कौन सा काम हो रहा है? सीवर व पानी की समस्या विकराल होती जा रही है। सड़कों का बुरा हाल है। अस्पतालों में दवा नहीं मिलती है।

अनुसूचित जाति की बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। पानी के लिए हिंसक झड़प होती है। अनुसूचित जाति को धोखा दिया जा रहा है। इनके लिए आवंटित फंड को कहीं और खर्च किया जा रहा है, जिसके विरोध में मैंने इस्तीफा दिया है। अभी तक मेरा इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। इस संबंध में राष्ट्रपति को पत्र लिखा हूं।

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