पंजाब 11 अप्रैल। फरीदकोट के डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने जिले के सभी 85 सरकारी हाई और सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार स्कूलों को अपने आस-पास की दुकानों में नशीली दवाओं की बिक्री की जांच करने के लिए छात्रों की टीमें बनानी होंगी। यह निर्णय शिक्षा जगत में बहस का विषय बन गया है। डीईओ द्वारा जारी किए गए विस्तृत दिशा-निर्देशों में प्रत्येक स्कूल को कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों में से 10 छात्रों की एक टीम बनाने का आदेश दिया गया है। इस टीम की निगरानी के लिए एक शिक्षक को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। टीम का मुख्य कार्य स्कूल परिसर के आस-पास की दुकानों का निरीक्षण करना और यह सुनिश्चित करना होगा कि वहां कोई नशीली दवाएं नहीं बेची जा रही हैं।
प्रशासन के आदेश से शिक्षक चिंतित
इस नई पहल ने शिक्षकों में चिंता और असहजता पैदा कर दी है। अधिकांश शिक्षकों का मानना है कि नाबालिग छात्रों को ऐसे जोखिम भरे कार्यों में शामिल करना उचित नहीं है। उनका तर्क है कि यह काम सुरक्षा एजेंसियों का है और स्कूली बच्चों को इसमें शामिल करना उनकी सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
आदेश न मानने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
डीईओ ने 4 अप्रैल को पहला पत्र जारी करके स्कूलों से 10 छात्रों और एक नोडल अधिकारी के नाम मांगे थे। जब स्कूलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो 9 अप्रैल को एक और पत्र भेजा गया। इस दूसरे पत्र में आदेश का पालन न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। यह स्थिति स्कूल प्रशासन और शिक्षकों के लिए दुविधा का कारण बन गई है।