पंजाब/यूटर्न/31 जुलाई: अंग्रेजी शासन में जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेने वाले महान योद्धा शहीद ऊधम सिंह की शहादत का सफर लंदन से लेकर फतेहगढ़ साहिब तक जुड़ा हुआ है। उनकी अंतिम इच्छा शहादत के 34 वर्ष बाद फतेहगढ़ साहिब की धरती पर पूरी हुई थी। उनकी अस्थियों का कलश शहीदों की धरती फतेहगढ़ साहिब स्थित रोजा शरीफ के नजदीक दफनाया गया था। हर साल 31 जुलाई को इस शहीदी स्मारक पर ऊधम सिंह को श्रद्धांजलि भेंट की जाती है। शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला नरसंहार के समय पंजाब के लेफिटनेंट गवर्नर रहे माइकल ओडवायर की लंदन के कैकस्टन हाल में गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद उन्हें इंग्लैंड में फांसी दे दी गई थी। शहीद ऊधम सिंह उर्फ राम मोहम्मद का शहीदी स्मारक फतेहगढ़ साहिब में है। ऊधम सिंह की अंतिम इच्छा थी कि मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को रोजा शरीफ के नजदीक दफनाया जाए। पूर्व मुखयमंत्री स्वर्गीय मुखयमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने उनकी अस्थियों को लंदन से लाकर यहां दफनाया था। इसी जगह पर उनका स्मारक बना है। 26 दिसंबर 1899 को संगरूर के सूनाम में पैदा हुए ऊधम सिंह खुद को राम मोहंमद सिंह आजाद कहलाने में फख्र महसूस करते थे। जनरल डायर को गोलियां मारने के बाद ऊधम सिंह ने पकड़े जाने पर अपना नाम राम मोहंमद सिंह आजाद ही बताया था। फतेहगढ़ साहिब के रोजा शरीफ के पास बने शहीदी स्मारक पर बुधवार को ऊधम सिंह के शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। डिप्टी कमिश्नर परनीत कौर शेरगिल, विधायक एडवोकेट लखवीर सिंह राय समेत कई अन्य शख्सियतों ने शहीद की स्मारक पर श्रद्धा के फूल भेंट किए। विधायक ने कहा कि शहीद ऊधम सिंह भारत मां का वह बहादुर बेटा था जिसने जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला दुश्मन के घर जाकर लिया था।
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