अमृतसर 25 जुलाई। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहादत शताब्दी पर पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा श्रीनगर में आयोजित कार्यक्रम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने समागम में हुई प्रस्तुतियों की कड़ी निंदा की है। धामी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर साहिब जी की शहादत सिख ही नहीं, संपूर्ण धार्मिक इतिहास में सर्वोच्च और अनूठी मिसाल है। ऐसे समागम गुरमत मर्यादा, श्रद्धा, अनुशासन और गुरबाणी के सम्मान के अनुरूप होने चाहिए। उन्होंने अफसोस जताया कि भाषा विभाग ने इस पवित्र अवसर को मनोरंजन का माध्यम बना दिया, जिससे सिख संगतों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
शताब्दियां मनाना धार्मिक संस्थाओं का काम
शिरोमणि कमेटी पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि सिख गुरुओं की शताब्दियां और पर्व सिख धार्मिक संस्थाओं द्वारा ही मनाए जाने चाहिए। सरकारें गुरमत मर्यादा का पालन करने में अक्सर विफल रहती हैं। उन्होंने कहा कि भाषा विभाग के इस हालिया आयोजन ने एसजीपीसी की चिंताओं को सही साबित कर दिया है।
सरकार केवल विकास कार्य तक सीमित रहे
उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री से अपील की कि वे इस गंभीर लापरवाही को समझें और यह सुनिश्चित करें कि सरकार केवल विकास कार्यों तक अपनी भूमिका सीमित रखे। सिख पर्व सिर्फ साधारण उत्सव या मनोरंजन नहीं होते, बल्कि आत्मिक जागरूकता और गुरमत सिद्धांतों को समर्पित होते हैं, जिनमें शबद कीर्तन, गुरबाणी पाठ, सेवा और सिमरन जैसी गतिविधियां होती हैं।
ये घटना गुरु साहिब की शहादत का अपमान
एडवोकेट धामी ने कहा कि नाच-गाना और अन्य मनोरंजन गतिविधियां न केवल गुरमत सिद्धांतों का उल्लंघन हैं, बल्कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत का भी अपमान हैं। अंत में एडवोकेट धामी ने पंजाब सरकार से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की और कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए स्पष्ट और सख्त निर्देश जारी किए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि सिख कौम अपनी धार्मिक परंपराओं और गुरु साहिबानों की मर्यादा से किसी प्रकार की बेअदबी को कभी बर्दाश्त नहीं करेगी।