चंडीगढ़ में एक व्यक्ति के साथ यूपीआई के जरिए बड़ी धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। इस धोखाधड़ी में उसके खाते से 99,940 रुपये गायब हो गए। अब इसकी भरपाई स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को करनी होगी। चंडीगढ़ उपभोक्ता आयोग ने किस आधार पर यह फैसला दिया? आइए जानें।
क्या है पूरा मामला?
चंडीगढ़ स्थित SBI शाखा में संजीव कुमार शर्मा का बचत खाता था।
21 जुलाई को दोपहर 2:50 बजे उनके मोबाइल पर लगातार यूपीआई ट्रांजैक्शन के मैसेज आने लगे। देखते ही देखते उनके खाते से 25,060 रुपये की तीन बार, 24,560 रुपये, और 200 रुपये की रकम डेबिट हो गई। कुल मिलाकर 99,940 रुपये निकाल लिए गए।
धोखाधड़ी का पता चलते ही संजीव ने तुरंत कदम उठाए। उन्होंने शिकायत दर्ज कराई, अपना बैंक खाता और मोबाइल नंबर बंद करवाया। साथ ही, उन्होंने साइबर सेल और बैंक में भी शिकायत दर्ज की। बैंक ने कार्रवाई का आश्वासन देते हुए 15 दिनों में पैसा वापस करने की बात कही, लेकिन कई दिनों तक कोई परिणाम नहीं मिला।
बैंक ने क्या कहा?
SBI का कहना था कि सभी लेनदेन यूपीआई के जरिए हुए हैं, और यूपीआई पिन के बिना ट्रांजैक्शन संभव नहीं। इसलिए बैंक की कोई लापरवाही नहीं है। बैंक ने अपनी सेवाओं में किसी भी तरह की कमी स्वीकार करने से इनकार किया और शिकायत खारिज करने की मांग की।
उपभोक्ता आयोग का फैसला
उपभोक्ता आयोग ने ग्राहक के पक्ष में निर्णय देते हुए 6 जुलाई 2017 के RBI सर्कुलर का हवाला दिया। आयोग ने कहा कि अगर किसी तीसरे पक्ष की ओर से अवैध लेनदेन होता है, तो ग्राहक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, चाहे बैंक की चूक हो या न हो। आयोग ने SBI को आदेश दिया कि वे संजीव को 99,940 रुपये वापस करें और धोखाधड़ी की तारीख से 9% वार्षिक ब्याज भी दें।





