सीएसआर फंड कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए बना सिरदर्द, समाज सुधार की जगह अपने इस्तेमाल में लगे अधिकारी व राजनेता

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

Listen to this article

लुधियाना 19 मार्च। केंद्र सरकार की और से शुरु किए गए सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) कही न कही कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है। जहां एक तरफ सरकार द्वारा यह फंड समाज और पर्यावरण के लिए सकारात्मक प्रभाव डालना, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता आदि चीजों में बदलाव लाने के लिए किया था। वहीं चर्चा है कि अब अधिकारियों द्वारा इस फंड का गलत तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है। जिस कारण कॉर्पोरेट घराने बेहद परेशान हो चुके हैं। हालांकि सरकार के ही अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा इस फंड का गलत उपयोग करने के चलते कॉर्पोरेट सेक्टर में कोई इसके खिलाफ आवाज भी नहीं उठा पा रहा। क्योंकि कल को उन्हें खुद को गलत एक्शन होने का खतरा बना हुआ है। चर्चा है कि अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा इस फंड को अपने ऑफिसों और अपनी जरुरत के मुताबिक लगवाया जा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि केंद्र सरकार द्वारा इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तो जन कल्याण के लिए इस फंड की शुरुआत की, लेकिन अफसर व राजनेता इसे अपने फायदे में लगा रहे हैं।

देश की आर्थिक व्यवस्था में जरुरी है कॉर्पोरेट कंपनियां
 देश की आर्थिक व्यवस्था में कॉर्पोरेट कंपनियों द्वारा अहम योगदान डाला जाता है। क्योंकि कॉर्पोरेट घरानों की और से जहां एक तरफ देश की अर्थ व्यवस्था को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं जनता को रोजगार भी मिल रहा है। लेकिन उसके बावजूद भी सरेआम इनके साथ हो रही धक्केशाही को कोई देखने वाला नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा भी कानून पास कर दिया, वे कानून सही से लागू हो रहा है या नहीं यह राम भरोसे ही है।

अपने तरीके से खर्च करवा रहे पैसा

चर्चा है कि सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं द्वारा अपने तरीके से सीएसआर फंड का पैसा खर्च करवाया जाता है। अधिकारियों द्वारा इस फंड को अपने ऑफिसों व उनके प्रमुख स्थलों पर लगवाया जा रहा है। वहीं राजनेताओं द्वारा भी इसे अपनी मर्जी से इस्तेमाल किया जाता है। फंड तो कंपनियां देती है, लेकिन जनता के बीच राजनेता अपनी चांदी चमकाते हैं। वहीं कॉर्पोरेट घरानों को कार्रवाई के डर से मजबूरी में यह फंड देना भी पड़ रहा है।

अपने प्रॉफिट में से भी देना पड़ रहा फंड

वैसे तो केंद्र सरकार द्वारा अपनी आमदन का 2 प्रतिशत सीएसआर फंड में देने का ऐलान किया गया था। लेकिन चर्चा है कि पंजाब में पिछले कुछ समय के दौरान कॉर्पोरेट घरानों से इतना पैसा लिया जा रहा है, सीएसआर फंड खत्म होने के बाद भी उन्हें अपने प्रॉफिट में से पेमेंट अदा करनी पड़ गई है। चर्चा है कि इस फंड के नाम पर अधिकारियों व राजनेताओं द्वारा जितना फंड होना चाहिए, उससे भी पांच गुना राशि ले ली जा रही है।

अधिकारियों व राजनेताओं ने खुद ही बदले नियम

जानकारी के अनुसार इस फंड के लिए डीसी से परमिशन लेनी होती है। चर्चा है कि पहले तो अधिकारी इस फंड को अपने तरीके से इस्तेमाल करते रहे। लेकिन जब से उन्हें डीसी से परमिशन लेने का पता चला है तब से अधिकारियों द्वारा इस फंड को दूसरे तरीकों से लेकर इस्तेमाल करना शुरु कर दिया गया है। जिसके चलते कॉर्पोरेट घरानों के लिए यह सिरदर्द बनता जा रहा है।

2014 में सीएसआर की हुई थी शुरुआत

जानकारी के अनुसार केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 अप्रैल 2014 को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 135 के तहत इस सीएसआर फंड की शुरुआत की। यह एक कानूनी ढांचा है जिसके तहत कुछ शर्तों को पूरा करने वाली कंपनियों को अपने पिछले तीन वर्षों के औसत शुद्ध लाभ का 2% सीएसआर गतिविधियों पर खर्च करना होता है। इसमें 500 करोड़ रुपये या उससे अधिक की शुद्ध संपत्ति, 1000 करोड़ रुपये या उससे अधिक का टर्नओवर या 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक का शुद्ध लाभ वाली कंपनियों आती है। इस फंड का उद्देश्य समाज और पर्यावरण के लिए सकारात्मक प्रभाव डालना, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता था।

Leave a Comment