लुधियाना 27 अक्टूबर। शहर की डाइंग इंडस्ट्री को पंजाब सरकार व पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड बुरे तरीके से तबाह करने में जुटा है। दरअसल, पीपीसीबी की और से सीईटीपी प्लांट के डायरेक्टरों पर क्रिमिनल केस फाइल कर दिया गया। जिसमें कारण यह बताया गया कि डाइंग यूनिटों की और से अपना ट्रीटेंड पानी इरिगेशन के कार्यों में इस्तेमाल किया जाना था, लेकिन वह इस पानी को बुड्ढा दरिया में गिरा रहे हैं। हालाकि कारोबारियों द्वारा इस पूरे मामले में पंजाब सरकार की सबसे बड़ी गलती बताई जा रही हैं। क्योंकि पंजाब सरकार द्वारा एक नहर बनाई जानी थी। उक्त नहर में डाइंग यूनिटों द्वारा अपने सीआईटीपी प्लांट का ट्रीटेंड पानी गिराया जाना था। जिसके बाद वह पानी खेतों व अन्य इरिगेशन कार्यों में इस्तेमाल होना था। लेकिन सरकार द्वारा नहर नहीं बनाई गई। जिस कारण डाइंग यूनिटों को मजबूरन अपना पानी ट्रीट करके नाले में गिराना पड़ रहा है। यानि कि गलती पंजाब सरकार की है और भुगतना कारोबारियों को पड़ रहा है। यानि कि बुड्ढे नाले की गंदगी की गाज सिर्फ इंडस्ट्री पर गिराकर उन्हें जबरन आरोपी बनाया जा रहा है।
147 करोड़ रुपए में बननी थी नहर
जानकारी के अनुसार 2012 में पंजाब सरकार द्वारा एक नहर बनाने का प्रोजेक्ट लाया गया था। जिसमें लुधियाना से लेकर फिरोजपुर तक नहर बनाई जानी थी। उक्त प्रोजेक्ट की कॉपी पीपीसीबी की और से डाइंग इंडस्ट्री मालिकों को दी गई थी। जिसमें पंजाब सरकार ने कहा था कि डाइंग यूनिटें अपना सीईटीपी प्लांट लगाएंगे, जबकि सरकार नहर बनाकर देगी। जिसके बाद प्लांटों का सारा पानी नहर में डाला जाना था।
कारोबारियों ने सरकार के आदेशों पर ली क्लीयरेंस
कारोबारियों का कहना है कि 2012 में सरकार के आदेशों के बाद डाइंग कारोबारियों ने केंद्र सरकार से इरिगेंशन की एनवायरनमेंट क्लीयरेंस ली। जिसके बाद केंद्र सरकार से फंड लेकर और कारोबारियों द्वारा खुद फंड जुटाकर सीईटीपी प्लांट लगाए। लेकिन पंजाब सरकार ने प्रोजेक्ट के तहत किया वादा पूरा नहीं किया। जिस कारण सीईटीपी प्लांटों का ट्रीटेंड पानी बुड्ढा दरिया में फेंकना शुरु किया गया।