काउंट-डाउन : लुधियाना वैस्ट उप चुनाव में अब बस एक दिन बाकी

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अरोड़ा ने तो कर दिए अपने काम, अब जनता देगी इनाम, कवायद बस ‘लीड’ बढ़ाने को लेकर

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आम आदमी पार्टी सारे विरोधियों के निशाने पर, यह कैसा डर ?

लुधियाना, 17 जून। महानगर लुधियाना में बेशक बारिश होने से मंगलवार को मौसम में ठंडक देखने को मिली, लेकिन सियासी-माहौल बेहद गर्माया रहा। सभी प्रमुख राजनीतिक दल लुधियाना वैस्ट विधानसभा हल्के के उप चुनाव में जीत के लिए दावे कर रहे हैं। वहीं इलाके के वोटरों और सियासी-जानकारों के मुताबिक सबसे पहले इस सीट से उम्मीदवार बने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ‘प्रचार की दौड़’ में सबसे आगे नजर आ रहे हैं। करीब तीन महीने से ज्यादा समय तक प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने इस हल्के की बहुत सारी समस्याओं को हल कराकर वोटरों को अपना मुरीद बना लिया। जबकि इसके पहले वह तीन साल से ज्यादा समय के दौरान राज्यसभा सांसद रहते हुए वैस्ट हल्के समेत पूरे लुधियाना और पंजाब में विकास के तमाम काम करा चुके हैं। लिहाजा ऐसे में इलाके के लोग और सियासी-जानकार मान रहे हैं कि अब तो बस वोटरों ने अपने फतवे के जरिए उनको ‘जीत का इनाम’ देना है।

हालांकि दूसरी तरफ, सूबे में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस और केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी से लेकर शिरोमणि अकाली दल-बादल के बीच इस उप चुनाव में ‘सियासी-खौफ’ नजर आ रहा है। ये सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियां सीधेतौर पर आप उम्मीदवार पर हमलावर हैं। सियासी-जानकारों की मानें तो जिस पार्टी के उम्मीदवार पर बाकी प्रमुख दलों के हमला बोलते हैं, वहीं सबसे मजबूत माना जाता है। ऐसे में यही चर्चा आम है कि आखिर विपक्षी दलों में यह कैसा डर बना है कि सभी ‘मिलकर’ आप उम्मीदवार पर हमलावर हैं ?

पुरानी कहावत : फिर कांग्रेस की अंतर-कलह ने ही कर दिया नुकसान !

—जो अपने सीनियर्स की ही कर रहे बेकद्री, वोटरों का कैसे करेंगे सम्मान

लुधियाना, 17 जून। फिलहाल पंजाब के सियासी-हालात का जायजा लिया जाए तो कांग्रेस ही सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के मुकाबले में है। हालांकि लुधियाना वैस्ट हल्के के उप चुनाव में कांग्रेस की स्थिति संकट वाली बनी है। कांग्रेसी उम्मीदवार भारत भूषण आशु और पार्टी के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग के बीच अभी तक सीधे तौर पर छत्तीस का आंकड़ा बना है। गत दिवस एक बार फिर दोनों के बीच टकराव की बड़ी मिसाल देखने को मिली। पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज व छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम ने आशु के हक में प्रेस कांफ्रेंस की। जिसमें कांग्रेस प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग समेत तमाम सीनियर नेता मौजूद रहे, लेकिन आशु नदारद रहे। दूसरी तरफ, उनकी खासमखास कौंसलर परमिंदर कौर इंदी के पति इंदरजीत सिंह इंदी ने आशु के हक में पोस्टर लगवाए। इंदी द्वारा आशु के हक में लगाए पोस्टरों में राजा वड़िंग और बाजवा ‘गायब’ दिखे।

यहां काबिलेजिक्र है कि इसके पहले भी ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें आशु और उनके समर्थकों पर अपने सीनियर्स की ‘बेकद्री’ करने के इलजाम लग चुके हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रधान राजा वड़िंग एक बार आशु के घर उनसे समझौता करने की मंशा से गए थे, लेकिन उनको भी बड़े ‘बेआबरु’ होकर लौटना पड़ा था। ऐसे में इलाके के वोटर और हताश-निराश कांग्रेस वर्कर तक चर्चा कर रहे हैं कि अपने सीनियर्स की बेकद्री करने वालों पर आखिर कैसे भरोसा किया जाए ? अगर ऐसे उम्मीदवार फिर जीत गए तो वोटरों की क्या खाक इज्जत करेंगे।

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