दयानंद अस्पताल में भ्रष्टाचारी हुए तनाव मुक्त

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नयी मैनेजमेंट भी नहीं उखाड़ पाई भ्रष्टाचार के गढे मुर्दे

 

लुधियाना 9 अप्रैल : दयानंद हॉस्पिटल में पिछले समय के दौरान भ्रष्टाचार करे से मामले सामने आए की सुनने वाला दंग रह गया फार्मेसी शुरू होने के बाद दवाइयो की खरीद से लेकर जमीनों की खरीद तक किस सिलसिले में कई मुद्दे चर्चा में रहे अस्पताल के सूत्र बताते हैं कि इसमें मैनेजमेंट के पदाधिकारी की चमचागिरी करने वाले डॉक्टर सबसे आगे रहे और दादागिरी करते रहे डॉक्टर के बाद एकाउंट्स विभाग प्रमुख रूप से चर्चा में रहा और उसमें कार्यरत अकाउंट के अधिकारी मनमानिया करते रहे एक अकाउंट के अधिकारी ने अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम पर इंश्योरेंस की एजेंसी ले ली और अस्पताल में बीमा करता रहा जबकि एक अन्य अधिकारी महिला कर्मचारियों के फेर मे पढ़ने के कारण काफी चर्चा में रहा परंतु यह सारे एकाधिकार मैनेजमेंट के पदाधिकारी की चापलूसी करने के बाद मिले जहां तक अस्पताल के लिए जमीनों की चर्चा है उसमें पहले जमीन की खरीद अस्पताल के किसी कर्मचारी के नाम पर की गई बाद में उसे अस्पताल के नाम पर ट्रांसफर कर दिया गया चर्चा तो यह भी रही कि हम्बडा रोड पर स्थित अस्पताल के लिए खरीदी गई जमीन निर्धारित दामों से अधिक दामों पर खरीदी गई इन सारे मामलों की चर्चा जब मैनेजमेंट के प्रधान तक पहुंची तो बताया जाता है कि दिल्ली से एक इंटरनल ऑडिट के लिए टीम दयानंद अस्पताल पहुंची और ऑडिट की रिपोर्ट बनाकर मैनेजिंग समिति के प्रधान को सौप दी जिगर से लेकर अस्पताल में कई हफ्तों तकिया चर्चा रही कि अब अस्पताल की मैनेजमेंट भ्रष्टाचारियों के चेहरे बेनकाब कर देगी और उन्हें अस्पताल से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा इन्हीं चर्चाओं के चलते एक अकाउंट का अधिकारी बीमार भी रहने लगा

 

ना रिपोर्ट उजागर हुई और ना ही हुई कोई कार्रवाई

 

 

परंतु आशा के विपरीत अस्पताल की मैनेजमेंट द्वारा ना तो इंटरनल ऑडिट की रिपोर्ट को उजागर किया गया और ना ही किसी अधिकारी या कर्मचारी के विरुद्ध कोई कार्रवाई हुई और सारे मामलों को ठंडा बस्ती में डाल दिया अस्पताल की मैनेजमेंट की इस खोज कर गुजरी के चलते भ्रष्टाचार मे सलिप्त कहे जाने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों की पौ बारह हो गई और अब वह तनाव मुक्त दिखाई दे रहे हैं उसके बाद नहीं मैनेजमेंट को आए भी काफी समय हो गया परंतु सभी कार्रवाइयों को ठंडा बस्ते में डाल दिया गया

 

 

अस्पताल के वाइस प्रेसिडेंट भी लिख चुके हैं भ्रष्टाचार के मामलों पर किताब

 

 

उल्लेखनीय है कि जिन मामलों में अस्पताल चर्चा में रहा उनसे संबंधित भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर अस्पताल के वाइस प्रेसिडेंट एक किताब भी लिख चुके हैं और उसे पर चर्चा भी करते रहे हैं बताया जाता है कि तब वह अस्पताल की मैनेजमेंट में शामिल नहीं थे परंतु जब से उन्हें अस्पताल की मैनेजमेंट में शामिल कर लिया तब से वह उनकी किताबभी गायब हो गई अब वह राज्यसभा के सदस्य भी बन चुके हैं और पहले से ज्यादा पावरफुल बताए जाते हैं परंतु भ्रष्टाचार्यों को पकड़ने के लिए अब वह भी सॉफ्ट कॉर्नर रखते हैं

 

हृदय रोग विशेषज्ञ के मामले पर भी जांच की मांग

 

 

हीरो डीएमसी हार्ड इंस्टिट्यूट के एक प्रसिद्ध डॉक्टर के बारे में बताया जाता है कि हार्ट सेंटर शुरू होने के बाद एंजियोग्राफी के लिए इस्तेमाल होने वाली वायर को स्वयं तैयार कराने लगे स्टेंट बनाने वाली कंपनियां के प्रतिनिधियों से भी काफी क्लोज रहे प्रत्यक्ष में यह मैनेजमेंट के प्रथम दर्ज चापलूसों में से एक रहे जो उनके बचने का भी कारण बताया जाता है लोगों का कहना है कि सारे मामलों में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए क्योंकि दयानंद अस्पताल एक चैरिटेबल अस्पताल है और स्वामी दयानंद की शिक्षाओं पर चलने वाले लोग मैनेजमेंट में शामिल पहले भी रहे हैं और अब भी हैं ऐसे में लोगों का यह कहना है कि जिन उद्देश्यों को लेकर अस्पताल की स्थापना की गई थी वह बिना भ्रष्टाचारियो को पकड़े अधूरे हैं और स्वामी दयानंद सरस्वती की शिक्षाओं तथा आचरण के विपरीत भी हैं

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