‘लोकतंत्र के महापर्व’ में पंजाब को फिर से ‘खौफ-तंत्र’ में धकेलने की साजिश !

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इधर, बठिंडा में लिखे सरकारी इमारतों पर खालिस्तानी नारे
उधर टाइमिंग देखें, गर्म-ख्याली अमृतपाल लड़ रहा है चुनाव

लुधियाना 27 अप्रैल। लोकतंत्र के महापर्व यानि लोकसभा चुनाव के लिए तैयार माहौल के बीच पंजाब में सब कुछ ठीक नजर नहीं आ रहा। गर्मख्याली लहर के पैरोकार एक बार फिर सूबे में ‘खौफ-तंत्र’ कायम करने की साजिश जारी है। काले दौर के बाद से कई मर्तबा ऐसी कोशिशें नाकाम होती रही हैं। राज्य सरकार, पुलिस प्रशासन व खुफिया एजेंसियां भी इससे बखूबी वाकिफ होने की वजह से अलर्ट-मोड पर हैं।
यहां गौरतलब दो ताजा घटनाक्रम की ‘टाइमिंग’ आशंकाएं पैदा कर रही हैं। बठिंडा में नामालूम लोग शनिवार की सुबह मिनी सचिवालय और अदालत कांप्लेक्स की दीवारों पर काली स्याही से खालिस्तान के नारे लिख गए। जैसे ही पुलिस प्रशासन को पता चला तो खलबली मच गई। पुलिस प्रशासन ने फौरन लिखे नारों पर काला रंग पुतवा दिया।

पुलिस ने फटाफट आसपास के सभी सीसीटीवी कैमरों को भी खंगाला। काबिलेजिक्र है कि ऐसी हरकत करने वाले बेहद शातिर व बैखौफ होंगे। इस कांप्लेक्स के पास ही एसएसपी दफ्तर भी है, जहां रात-दिन पहरा होता है, फिर वे इस हरकत को अंजाम दे गए। दूसरी तरफ, इस बार भी खालिस्तान के नारे लिखने की जिम्मेदारी विदेश में बैठे गुरपंतवंत सिंह पन्नू ने ली। एक वीडियो जारी कर उसने पहले की तरह ही खालिस्तान मूवमेंट का मुखिया बनते हुए दावा किया कि यह उसने ही कराया है।
अब गौर करें दूसरे घटनाक्रम पर, खालिस्तान मूवमेंट का हिमायती अमृतपाल सिंह लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुका है। अमृतसर में उसकी माता व समर्थकों ने इसका रस्मी-ऐलान किया। इस खुशी में मिठाई भी बांटी। विदेश बैठकर खालिस्तानी-मूवमेंट चला रहा पन्नू जेल में बंद अमृतपाल को बेकसूर बताते हुए उसकी रिहाई की मांग भी करता रहा है। ऐसे में ये दोनों घटनाक्रम कहीं न कहीं एक-दूसरे से जुड़े नजर आते हैं। कुल मिलाकर पंजाब की अमन-चैन वाली फिजां को बिगाड़ने की यह सोची-समझी साजिश भी हो सकती है। खालिस्तानी नारे लिखने और अमृतपाल को चुनाव लड़ाने का मकसद एक ही लगता है कि गर्मख्याली को जगाने के साथ खासतौर पर युवा पीढ़ी को भटकाने की कोशिशें हो रही हैं।
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